पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/४४५

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

असांप्रत ३७८ असामी आज का न हो(को०] अशाधि-- विमुनि माघ !-मानस असाप्रत-वि० [स० असाम्प्रत] १ जो साप्रत या उचित न हो। असाधारण-संज्ञा पुं० १ न्याय मे हेत्वाभास का एक दोप। २. | अनुचित । अयोग्य । २ जो वर्तमान या आज का न हो[को०]। विशिष्ट संपत्तिा [को०] । असाप्रदायिक---वि० [म० असाम्प्रदायिक] १ जिसमें साप्रदायिकता अशाधि --वि [हिं०] दे० असाध्य'। उ०-देखी व्याधि असाधि की भावना न हो । २ जो प्रथा या परपरा से अनुमोदित नृपु परेउ धरनि घुनि माथ् |-मानस, २।३४ । न हो कि०] । असोधित--वि० [सं०] जो सीधा न गया हो। असिद्ध [को०] । असा--संज्ञा पुं० [अ०]१ सोटा । डहा। २ चाँदी या सोने से मढा असाधु--वि० [सं०][वि० सी० असावी]१ दुष्ट । वुरा । छल । हुआ। सोटा जिसे राजा महाराजाओं के आगे या वरात इत्यादि दुर्जन । खोटा । २ अविनीत । अशिष्ट । ३ जो ठीक ढग के साथ सजावट के लिये आदमी लेकर चलते हैं । दे० 'असा'। से सिद्ध न हो । भ्रष्ट । व्याकरणविरुद्ध [को०) । यो०--असावरदार= असा लेकर चलनेवालो । असावदार। यौ॰--प्रसाधुवृत्ता= पश्च । म्वे रिणी । असा ई -संज्ञा पुं० [सं०अशास्त्रीय]वह जिसे कुछ भी ज्ञान न हो। असाधु-संज्ञा पुं० १ भ्रष्ट या पतित माबु । २ असज्जन । अज्ञानी । उ०—बोला गभ्रवसेन रिसाई। कस जोगी कस भाट असाधुता--सज्ञा स्त्री० [सं०] दुर्जनता । अशिष्टता । खनता । असाई ।—जायसी ग्र०, पृ० ११३ । खोटाई । असाक्षात्- वि० [सं०] जो अाँखो के आगे न हो । परोक्षत । दूरत असाध्य--वि० [सं०] १ जिसका माधन न हो मके । न करने योग्य । ( सुबद्ध ) को०] । दुष्कर। कठिन । २ ने प्रारोग्य होने के योग्य । जिसके अच्छे असाक्षात्कार-संज्ञा पुं० [सं०] १ अनुपस्थिति । २ परोक्ष 1 अप्रत्यक्ष | या चगे होने की स भावना न हो, जैने-यह रोग अमाध्य है। | को०] ।। | (शब्द) । असाक्षिक-वि० [सं०]१ जिसका कोई गवाह न हो । अप्रमाणित यौ०--असाव्यसाधन = न हो सकनेवाले काम को कर लेना। २ शासक विहीन । जिमकी कोई देखरेख करनेवाला न । असाध्वी -सज्ञा स्त्री० [सं०] व्यभिचारिणी । कुटा। अभती (को०] । हो [को०] । असोनी--सज्ञा पुं० [अ० असाइनी] वह 57क्ति जो अदालत की ओर असाक्षी--संज्ञा पुं० [म० असाक्षिन्] वह जिसकी साक्षी या गवाही। से वि सं दिवालिए । म उत्ति, जिसके बहुत से - हन र हो, धर्मशास्त्र के अनुसार मान्य न हो । साक्षी होने का अनधिकारी। तब तक अपनी निगरानी में रखने के लिये नियुक्त हो, जब विशेष--धर्मशास्त्र के अनुसार इन लोगो की साक्षी ग्रहण नही तक कोई रिसीवर नियत होकर मपत्ति को अपने करनी चाहिए-चोर, जुआरी, शराबी, पागल, बालक, हाथ में न ले । अति वृद्ध, हत्यारा, चारण, जालसाज, बिकलेंद्रिय (वहरे, अधे असामयिक-वि० [सं०][वि० जी० असामयिकी ]जो भमय पर न हो। लूले, लंगडे ) तथा शत्रु, मित्र इत्यादि। जो नियत समय से पहले या पीछे हो । विना समय का। असाक्ष्य--संज्ञा पुं० [सं०] गवाही या साक्ष्य का प्रभाव (को०] । बेवक्त का। असाढ- सज्ञा पुं० [ स० ग्राषाढ अपाढ़ का महीना। वर्ष की । असामर्थ्य----सज्ञा स्त्री॰ [स] १ शक्ति का अभाद। अक्षमता । २ चौथा महीना। निर्वनता । नाताकती । असाढा--सज्ञा पुं० [देश०] महीन बटे हुए रेशम का तागा । असामान्य--वि० [सं०] जो माधारण न हो । आमाधारण । असाढा- सज्ञा पुं० [सं० पाढ़]एक प्रकार की खाँड । कच्ची चीनी। | गैरमामूली । असामी-संज्ञा पुं० [अ० असामी J१ व्यक्ति । प्राणी, जैसे-वह लाग्यो असाढी--वि० [सं० झापाढ] पाढ़ का । असाढी-सशा स्त्री० १ वह फसल जो प्रापाढ़ में बोई जाय । का असामी है (शब्द । २ जिसमें किसी प्रकार का लेन देन न हो । जैसे, वह वडा खरा असामी है. रुपया तुरत देगा (शब्द)। खरीफ । २ प्रापढीय पूणिमा। ३ वह जिसने लगाने पर जोतने के लिये जमीदार से खेत । या असाढ --संज्ञा पुं० [दश०] मोटे दल की चट्टान । मोटा पत्यर। भोट । उमवट । हो । रेयन । काश्तकार । जोता । ४ मुद्दा नेहू । देनदार । ५ असात्म्य- सज्ञा पु० [सं०] प्रकृति विरुद्ध पदार्थ । वह अाहार विहार अपराधी । मुन जिम, जैसे,—असामी हुवार रात से भाग गया जो दु खकारक और रोग उत्पन्न करनेवाली हो । (शब्द) । ६ दोस्त । मित्र । सुहृद । जैसे-वो तो, वहाँ बहुत असाध -वि० [हिं०] दे॰ 'असाध्य' ।। असामी मिल जाएँगे (शब्द)। ७ ३ग पर चढ़ाया हुप्रा आदि म।। असाध’--वि० [हिं०] दे० 'असाधु' । उ०-वाहर दस साध गति वह जिससे किसी प्रकार का मतलब गाँठना हो । माँ महा असाधे ।-कवीर ग्रे ०, पृ० ४९। यो०--खरा अादमी = चटपट दाम देनेवाला प्रादमी । इश असाधन'--वि० [सं०] साधन या उपकरण से रहित [फौ] । असामी = गया गुजरा। दिवानिया । मोटा असानी = धनी असाधन-संज्ञा पुं० सिद्धि या पूर्णता का अभाव [को॰] । पुरुप । लीचड असा मी = देने मे सुस्त । नादिहद ।। मुहा०—–असामी बनाना= अपने मत नब पर चढ़ना । अपनी ग असाधारण-वि० [सं०] १ जो साधारण न हो । असामान्य । | का वनाना । २ न्याय मे पक्ष वा विपक्ष से पृथक्-जैसे हेतु [को०] । ३ असामी-सज्ञा स्त्री० १ परकीया या वेश्या । २खेली, जैसे,—तुम्हारी जिसका दूसरा दावेदार न हो । निश्चित रूप से एक का-जैसे असामी को कोई उड़ा ले गया (शब्द०)। २ नौकरी । जगह। संपत्ति [को०] । जैसे,-कोई असामी खाली हो तो बतलानी (शब्द॰) ।