पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/४२५

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

अविवाद ३५८ अविस्पष्ट) अविवाद-संज्ञा पु० सहमति । विवाद की न होना [को॰] । अविश्रात-वि० [सं० प्रविश्रान्त्र] १ विरामरहित । जो के नहीं । ऋविवादी--वि० [सं० अविवादिन् ]विवाद न करनेवा ना । शात [को॰] । २ जो थके नही । ३ जो हतियुत न हो । अक्षन कि०] ।' अविवाहित--वि० [सं०] [वि॰ स्त्री० अविवाहिता] जिसका व्याह ने अविश्रात-क्रि० वि० अनवरत । नगातार (को०)। हुआ हो । बिना व्याहा । क्वा । उ०--तब मैं इस युटुब अविश्वसनीय---वि० [ स० ] जो विश्रामयोग्य न हो । जिम पर की कमनीय कल्पना को दूर ही से नमस्कार करता और आजी विश्वास न किया जा सके। वन अविवाहित रहता' ।--स्कद०, पृ० ७० । अविश्वस्त--वि० [म०] म देहास्पद । अविश्वसनीय ।। अविविक्त--- वि० [सं० ] १ जिसकी विवेचना न हो। अविवेचित। अविश्वास--सज्ञा पुं० [म०] १ विश्वास का प्रगाव । बे एतबारी । २ विवेकरहित । अविवेकी । ३ कोई भेद न रखनेवाला । उ०परतु उस पर प्रकट हा ने अविश्वा7 का भी नमय नहीं भेदरहित । ४ सर्वसाधारण से सवध रखनेवाला । सार्व रहा --म्कद०, पृः १०१ । २ अप्रत्यय । अनिश्चय ! जनिक (को०) । यी--अविश्वासपात्र = जिस पर विश्वास ने किया जाय। अविवेक----सज्ञा पुं० [सं०] १ विवेक का अभाव । अविचार । २ । बेतवारी। झूठा । अज्ञान । नादानी । ३ अन्याय । ४, न्यायदर्शन के अनुसार अविश्वासी-वि० [ म० अबिश्वासिन् ] १ जो किसी पर विश्वास विशेष ज्ञान का अभाव । ५ साख्यशास्त्रानुमरि मिथ्याज्ञान । न करे। विश्वासहीन । श्रद्धारहित । ३०-स) कैसे होगी अविवेकता--संज्ञा स्त्री॰ [सं०] १ विचार की अमाव । अज्ञानता । २ । अविरामी यि ।' तभी तो म्लेच्छ 'नोग साम्राज्य बना रहे। विवेक का न होना ।। हैं ।---चद्र०, पृ० १९२ । २ जिस पर विश्वास ने किया अविवेकी-वि० [सं० अविवेकन् १ अज्ञानी । विवेकरहित । जिसे जाय । अविश्वासपात्र । तत्वज्ञान नै हो । २ अविचारी । ३ मूढ़ । मूर्ख । ४ अन्यायी अनिप'--वि० [सं०] १ जो विपला न हो । विषहीन । २ विष के अविवेचक-वि० [सं०] विवेचना चा स्पष्टीकरण न करनेवाला [को०] | अभाव को ममान करनेवाला (को०] । अविवेचना- संज्ञा स्त्री० [सं०] विवेचना वा व्याख्यान करने की शक्ति अपि -सज्ञा पुं० १ ममुद्र । २ प्रकाश । ३ राजा (को०) का न होना को]।। अतिपय–वि० [सं०] १ जो विषय न हो । अगोचर । २ अप्रति- अवि शक--वि० [सं० प्रविशङ्क] १ शका या सदेह न करनेवाला। पाद्य । अनिर्वचनीय । ३ जिसमें कोई विपय न हो। अशक । २ न डरनेवाल।। निर्भय को०] । विषय शून्य । अविश की-- सच्चा स्त्री० [ से अविशडा 1 सदेह या भय का प्राव अवय--सज्ञा पुं० [म०] १ अभाव । २ लोप । प्रदर्शन | ३ [को०] । इद्रियो के विपय की उपेक्षा को०] । अविशुद्ध–वि० [स] १ जो विशुद्ध न हो । मेलमाल का । २ अविपासना सी० [सं०] निविपो तृण । एक जडी । जद्वार । अशुद्ध । मलिन । ३ अपवित्र । नापाक 1 विशेष----यह मोये के समान होती है और पाय हिमालय के अविशुद्धि-सज्ञा स्त्री॰ [सं०] १ अशुद्धि । मेलमान । २ मलिनता । पहाडों पर मि नती है । इस का कद ग्रनो के ममान होता है। अपवित्रता । नापाकी ! ३ विकार । थोर साँप, विच्छ अदि के विप को दूर करता है । अविशेष'-[ स ० ] भेदक धर्मरहित । जिसमें किसी दूसरी वस्तु में । अविपी संज्ञा स्त्री॰ [ म० ] १ सरिता । नदी ! २ पृथ्वी । घरती । ३ स्वर्ग [को०] । | कोई विशेषता न हो । तुल्य । समान । अविमर्गी-वि० [सं० अविर्सागत् ] न हदनेवाला । हमेशा बना रहने- अविशेष--सज्ञा पुं० १ भेदक धर्म का अपवि । तुल्यत्व । २ एकता वाला [को०] । [को॰] । ३ साख्य मे सातत्व, धीरत्व और मूढ़त्व यादि विशेष- यौ०--अविसर्गी ज्वर= लगातार बना रहनेवाT वर । ताओं से रहित सूक्ष्म भूत । अविसह्य-वि० [सं०] रोग उत्पन्न करनेवाला या गुणरहित (पदार्य)। यौ ०अविशेषज्ञ । विशेष-कौटिल्य के अनुसार ऐसे पदार्थ वे वने वाला दड का भागी अविशेषसम--संज्ञा पुं॰ [सं०] न्याय मे जाति के चौबीस भेदो मे से होता था । एक । यदि वादी किसी वस्तु के सादृश्य के आधार पर कोई अविसह्यदुर्ग--संज्ञा पुं॰ [ स० ] कौटिल्य के मतानुसार वह दुर्ग बात सिद्ध करे-उदाहरणार्थ घर के सादृश्य से शब्द को अनित्य जिसमें शत्रु प्रवेश न कर सकता हो । सिद्ध करे और उसके उत्तर में प्रतिवादी कहे कि यदि प्रयत्न अविस्तर-वि०म०] कम विम्नार या लवाईवाला । स क्षिप्त [को०] । | फे उत्पन्न होने के कारण ही घट के समान शब्द भी अनित्य अविस्तार-वि० [सं०] विस्तार का अभाव । सक्षिप्तता (को॰] । हो, तो इतना अल्पसादृश्य तो सभी वस्तुओ में होता है, और अविस्तीर्ण-वि० [सं०] जो विस्तीर्ण न हो । कम फैनबित्रा ना [को०] । |, ऐसे सादृश्य के कारण सभी चीजो के धर्म एक मानने पड़ेंगे, अविस्तृत-वि० [सं०] ठसा हुमा । कम स्थान में फैला हुआ 1 अवि- तो ऐसा उत्तर अविशेषसेम कहा जायगा । | रल । घना (को॰] । अविश्रभ--सझा पुं० [सं० अत्रिभ्भ ] विश्वास का अभाव । अवि- अविस्पष्ट--वि० [ स० 1 जो साफ या स्पष्ट न हो । स्पष्ट रहित। श्वास को । अस्पष्ट को०] । ।