पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/४२१

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अनहारक भगाचोन अगहारक- वि० १ युद्ध रोकनेवाचा । २ व वाव करनेवाला । ३ एक अवाँसबा पुं० [हिं०] दे० 'प्राव' । उ०-चदन की चोली और | स्थान से दूसरी जगह ले जानेवाला [को०)। कपूर च्वाएँ अग अग विरह की अच त्यो अवाँ ज्यो सिग्नगा- अनहार्य--वि० [सं०] १ ले जाने योग्र ।) २ दह योग्य या अर्थदंड | इगो ।गग०, पृ० २०३। योग्य । ३ जिसे लौटाने के निये बाध्य हो । ४. पूर्ण होनेवाला अर्वांग---वि० [सं० प्रवाड्] १ झुका हुश्रा । नत । २ टेढे अगवाला। | [को॰] । अगाँगनापु)---क्रि० स० [ हि० श्वाँग +ना ] नीचे की ओर अगहालिका—संज्ञा स्त्री० [सं०] दीवार । प्राचीर । घेरा (को०] । झुकाना। अवनत करना । अहाम---सज्ञा पुं० [सं०] १. मुस्कान । मुस्काट १ २ उपहास । अवाच--वि० [सं० अवाञ्च]१ झुका हुा । दबा हुआ। २ ‘अधोमुख । | हँसी । मजाक उडाना [को॰] । ३ नीचे की ओर स्यित [को॰] । अनहित-वि० [स०] मावधान । एकाग्रचित्त । अनाच--संज्ञा पुं० १ दक्षिण । २. ब्राह्मण को०] । अनहित्थ–सुज्ञा पु० [सं०] अवहित्था [को०] 1 अनसना--क्रि० स० [हिं० ] अनवासना। नए वर्तन को पहले अाहित्था--मज्ञा स्त्री० [सं०]एक प्रकार का भाव जब कोई मय, गौरव, | पहल काम में लाना। लज्जादि के कारण हर्षादि को चतुराई से छिपावे। यह सचारी असी---सच्चा स्त्री० [स० प्रवामित] वह बोझ जो फसल में से पहले या व्यभिचारी में गिना जाता है। प्राकार गुप्ति जैसे,—ज्यो। पहले काटा जाय । यह नदान के निये काम में प्राता है। ज्यो चबाव चले चहु ग्रो, चित चाव ये त्योही त्यो चोखे । अवान । ददरी। कव न । अत्र नी ।। कोऊ मिखावनहार नही विनु नाज भए :बिगरैल अनोखे । अगाई-सका सी० [ स० भायन =गमन ] १ आगमन । चु०- गोकुल गाँव वो एती अनीति कहाँ ते दई घौं दई अनजोवे । (क) इहाँ राज अस लेन बनाई । उहाँ माह के भई अवाई - देखती हौ मोहि माँझ गली में गही इन अाइ धौं कौन के जायसी प्र ०, पृ० २३० । (ख) लखि यो अवाई वीर की रिपु धोखे ।--(शब्द०)। भीर में खलबल भई ।-पद्माकर ग्र, पृ० १७ । २ गहरा अगही-संज्ञा पुं॰ [ स ० अवह = विना पानी का देश ] एक प्रकार जोतना । गहरी जोताई 1-‘मेव' का इनटा । को बबूल जो काँगडा में होता है । अवाक्--वि० [सं०] १ चुप । मौन । चुपचाप । २ नीचे मुख किए बिशेप--इसकी लपेट अाठ फुट की होती है । यह मैदानों में पैदा हुए । अधोमुख । २ स्तब्ध । जड़ । स्तमित । चकित । होता और इम की लकडी खेती के श्री ब्रार वनाने तथा छनो के विस्मित । ३ दक्षिण का । दक्षिणी [को०] । ततो में काम आती है। क्रि० प्र०—रहना ।—होना । अगहृत-वि० [स०] १ आगे या पीछे हटाया हुआ । २ चुराया यो०--अवाड़, मनसगोचर= जिसका न वर्णन हो सके और न | हुआ। ३ दहित किया गया किो॰] । | चितन । वाणी और मन के परे, जैसे ईश्वर । अवहेलन- -मज्ञा पुं० [म०] [स्त्री॰ अवहेलना] [वि० अवहेलित] अवाक्पुष्पी संज्ञा स्त्री० [म०] वह पौधा जिसके फूल अधोमुख हो । २ १. अवज्ञा । अपमान । २. आज्ञा न मानना । सौंफ । ३. मोया ।। अवहेलना--संज्ञा स्त्री० [सं०] १. अवज्ञा । अपमान । तिरस्कार ।। अगाशाख---सज्ञा पुं॰ [सं०] पीपल को]।। उ०----वे ईप नियमो की कनी अवहेलना करते न थे -- अनाक्श्नति- वि० [सं०]वोल न सुन सकनेवाला । गंगा बहराको०]। भारत०, पृ० ६ । २ ध्यान न देना । बेपरवाही । अनीक सदेश--सज्ञा पुं० [ग] एक प्रकार की वैगला मिठाई । अवहेलना(३.--क्रि० म० [स० अवहेलन] तिरस्कार करना । अवज्ञा अवाक्ष--वि० [स०] रक्षक । अभिभावक । देखभाल करनेवालाको०] करनी। उ०---इन उतपातन गनिय सुजात न, सव अवहेलिय अगागीq---वि० [म० अबाग्मिन् = अप] मौन । चुप । रन मद झेलिय 1- -सुजान०, पृ० २२५ । अनाड-वि० [सं०] नीचे की तरफ झुका हुआ (फो०)। अनहेला - -मज्ञा स्त्री[सं०]अवज्ञा । तिरस्कार । अवहेलना । उ०-: । अगाडनरक--सज्ञा पुं० [सं०] जिह्वा छेदन का दु ख । जिह्वा काटने तब मेरी अवहेना की गई, यह उसी का परिणाम है ।---- का दी । जवान काटने की सजा । | स्कद॰, पृ॰ १४७ ।। अपहेलित----वि० [स०] जिसकी अवहेला हुई हो । तिरस्कृत । अगाड निरय--सज्ञा पुं० [न०] सबसे नीचे या नरक अर्थात् पृथ्वी अगोंछनीय---वि० [स० अवाञ्छनीय] १. जिने न चाही जाय । झिो] । | अप्रिय । २. उपेक्षणोय (को०] 1 अगाड मुख-वि० [म०] १ अधोमुख । उनटा। नीचे मुह का २. अवातर-- -वि० [स० अवान्तर]१. अनर्गत । २. मध्यवर्ती । बीज का लज्जित ।। ३ दूभर । गौण । अन्य (को०] । । अगाड मुख--मज्ञा पु० एक शस्त्र (को०) ।। अनातर--सज्ञा पुं० मध्य । भीतर,। बीच । अनीची-सज्ञा स्त्री० [स०] दक्षिण दिशा। उ०—प्राची प्रतीची अवाची यौ ०.--- अवातर दिशा=वीच की दिशा । विदिश: । अयानर विलोकि दसो दिसि होत ही कूच कुर्केनीगंग०, पृ० ३४० । । देश= दो दे गो का मपघल्ली म्यान । अव वर भेट = अ र्गन अगाचीन--वि० [सं०]१ अधोमुख । मुह लटकाए हुए । २ नज्जित भेद । भाग का भाग । वावर वाक्य - महावाक्य के मध्य में ३, दक्षिण सवयी। दक्षिणी । दक्षिण का (को०]। ४, नीचे शानेबाना वाक्य या सार्थक शब्दसमूह । - • • • गया हुआ (को०] । -