पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/४०७

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अपंगास ३३८ अवगास--संज्ञा पुं० [स० अवकाश, प्रा० प्रोगास] जगह । स्थान । श्रवगाहित--वि० [म०] १ नहाया हुअा । २ जिसमें नहाया गया मैदान । उ०—भए अवगाम कसे वन फुले । कत न फिरे हो । ३ अच्छी तरह मनन किया गया । विदेसहि भूले !-—जायसी ग्र०, पृ० ३५६ ।। | अवगाही--वि० [सं० अवगाहन्] १ खोजनेवाला । अनुसंधान करने-'। अवगाह -वि० [स० जगाध] १ अथाह । गह। अत्यत गभीर। वाला । २ चिंतन करनेवाला । ३ थाह लगानेवाला । गहरे उ०--(क) पेम समुद जो अति अवगाहा । जहाँ न वार ने तक पैठनेवाला । ४ स्नान करनेवाला [को०) । पार न थाहा ।—जायसी ग्र०,पृ० ६० । २ अनहोनी । कठिन । अवगाह्य-वि० [म०] स्नान करने योग्य (प्राणी) । २ म्नान के उ०—तोरेहु धनुष ब्याहुअ वगाहा । विनु तोरे को कुअरि। | निमित्त उचित (क्यान) । ३ अध्ययन, मनन करने योग्य बिश्राहा ।—मानस, १२४५ ।। [को॰] । अवगाह -संज्ञा पुं० १ गहरा स्थान । २ सकट का स्थान । ३ अवगीत–वि० [सं०] १ जिसकी निंदा की गई हो । निदित। ३ कठिनाई । उ०-दस्तगीर गाढ़े कई साथी । जंह अवगाह दीन्ह । बदमागी । दुष्ट । फिर फिर देखा हुप्रा । मुपरिचित फिी०]। तहँ हाथी ।--जायसी (शब्द॰) । अवगीत-सज्ञा पुं० १ निदा । २ निंद्य या अभद्र गीत । बेमुरा गीत अवगाह-सज्ञा पुं० [सं०] १ मीनर प्रवेश । हुलना । २ जल में को । हलकर स्नान करना । ३ स्नान करने की जगह (को०)। अवगुठन--संज्ञा पुं॰ [ म० अवगुण्ठन ] [ वि० अबगु ठित्र ] १ ४ डोन या बालटी [को०] । ५. भलीभाँति अध्ययन या ढुकना । छिपाना । २ रेखा से घेरना । ३ पद । ४ घूघट । छानबीन कौ०] । बुक । ५, झाडे, फो०] । ६ घrfभक अनुष्ठान में प्रयुक्त अवगाहक-वि० [सं०] अवगाह्न करनेवाला । उ०—अवगाहेक सा | उतर अचेतन के निस्तल मे ।—रजत०, पृ० १८ ।। अँगुलियों की एक मुद्रा को ।। अवगाहन-संज्ञा पुं० [ भ० ] १. पानी मे हलकर स्नान करना । अवगुठनपती--वि० सी० [सं० अयगुण्ठनवती] घूघटबाली । उ०-- निमज्जन। उ०-शीतल जल मे अवगाहन कर शैन शिला पर किंतु वह अई अवगुठनवतो कौन ?--इरावती, पृ० १०१ । बैठ गया ।--प्रेस०, पृ० ३१ । प्रवेश । पैठ । ३ मथन ।। अवगु ठिका-संज्ञा पुं० [सं० अवगुप्फ] १ घुघर । २ जवनिका । विलोडन । ४ अहाना । खोज । छानबीन । जैसे-नगर भर

  • पर्दा । ३ चिक ।।

अवगाहन कर डाला, कही लडके का पता ने लगा। ५ चित्त अवगु ठित-वि० [सं० अपगुण्ठिन] ढेका हुअा । छिपा हुआ । ३ चूर वैसाना । लीन होकर विचार करना । जैसे—खूब अवगाहन किया हुआ । चूणित को०] । करो, तव इस श्लोक का अर्थ खुलेगा। वि० दे० 'अवगाह'। अवगु डित- वि० [सं० अवगुण्डित] धूर्ण किया हुआ [को०)। अवगाहना'–क्रि० अ० [ स० अवगाहन] १ हल कर नहानr 1 अवगु फन--सम्रा पु० [सं० अवगुम्फन] १ गुथना । गुहना । १ निमज्जन करना । उ०—जे सर सरित राम अवगाहहि । ग्रथन । बुनना ! तिन्हहि देव सर सरित सराहहि ।—तुलसी (शब्द० }। २. अबगु फित--- वि० [म० अवगुम्फिन १ गूथ हुमी । गुहा हा ! २ डूबना । पैठना । धंसना । मग्न होना। उ०—भूप रूप गुन | बुना हुआ । यथित । सील सराही । वह सोक सिंधु अबगाही ।---तुलसी अवगुण-- सया पुं० [सं०]१ दोष । दूपण । ऐव । २ अपराघ। बुराई। । शब्द०)। खोटाई।। अवगाहना–क्रि० स० १ थाना । छानना । छानबीन करना । अागुन –सा पु० [हिं॰] दे॰ 'अवगुण' । उ०—गुन अवगुन उ०अवगाहन, सीतहि चाहन, यूथप यूथ सबै पठाए ।-राम | जानत सेव कोई, जो जेहि भाव नौक तेहि सोई । —मानस, च०, पृ० ६० । (ख) सहज सुगघि शरीर की, दिसि विदिसन अवगाहि । दूती ज्यो अाई लिये, केशव शर्पनखाडि }-केशव अगगुर--संज्ञा पुं० [सं०] धमकाना । क्षति पहुचाने की धमकी (शब्द०)। २ विचलित करना। हलचल डालना। मथना । | देना [को०] ।। उ०- सुनहु सूत तेहि काल, भरत तनय रिपु मृतक लखि । अवगृहन-सशा पुं० [म ०] १ छिपाना । २ अगित करना [को०] । करि चर कोप कराल, अवगाही सेना सवाल --केशव अागोरा--संज्ञा पुं० [सं०] ३० अवगुरण [को०) ।। (शब्द॰) । ३ चलाना। हिराना । हुलाना । उ०-नद सोक अग्गी -वि० [स०] नियंत्रण मे न रहनेवाला [को॰] । विषाद कुसाग्न ग्रस करि धीर हि ते अवगाहनो है । हित अग्या सक्षा मी० [हिं०] दे० 'अवज्ञा'। उ०—तौ कहि इती दीनदयाल महा मृदु है कठिनो प्रति प्रत निबाहनो हैं ।-दीन अबग्या उन्ह पै, कैसे सही परी --पोद्दार अभि० ग्र०, ग्र० पृ० २५८ । ४ सोचना । विचारना। समझना । उ०-- पृ० ३३६ । । (क) अगसिगार स्याम हित कीन्हे, वृथा होन ये चाहत । सूर ग्रह--सज्ञा पुं० [स ०] १ रुकावट । अटकाव । अचन । बाधा । स्याम आप की नाहि, मन मन यह अवगाहत |---सूर०, १० । २ वर्षा का अभाव । अनावृष्टि । ३ वाँध । वद । ४ व्याकरण २०२८ । (ख) परियम में याही मे बडो है राजहंस एक सदा में सधिविच्छेद । ५ अनुग्रह का उलटा । ६ गजममूह । ७ नीर छीर के विवेक अवगाहे ते |--दुलह शब्द०)। ५ हाथी का ललाट । हाथी का माथा । ६ स्वभाव । प्रकृति । धारण करना । गहण कर। उ०—जाही ममय जौन ऋतु ९ शाप । को नन । १० लुप्ता कार का चिह्न । खंडाकार(5) भावै । तवही ताको गुने अवगाहे ।--लाल (शब्द०)। [को॰] । अकुश [को०] ।