पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/४०१

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अलि अलुमीनम १०॥३७४२। २ कोयल। ३. कौवा । ४ बिच्छु । ५ वृश्चिक अलीक-संज्ञा पुं० १ नापसद या अमत्य चीज । २ लनाट । ३ राशि । ६ कुत्ता । ७ मदिरा । | स्वर्ग। अाकाश । ४. दु ख (को॰] । -ज्ञा स्त्री॰ [ स० प्रालि, अली ] दे० 'अ' । उ०-वर अलीक-मज्ञा पुं॰ [ म० अ = नहीं +हिं० लीग 1 अप्रतिष्ठा । सो कुसल छेम अलि तेहि पल कुलगुरु कहें पहचाई ।-नुनमी अलीक-- वि० मर्यादारहित । अप्रतिष्ठित । J०, पृ० ३६२ ।। अली की--वि० [म० अलोकिन्] १ नापमद । अप्रिये । २ अमत्य [को०)। अलिक----सज्ञा पुं० [स०] १ ललाट । कपान । २ दे० 'अलि' । अलीगदे---सज्ञा पुं० [सं०] दे० अलिगद्ध' को । उ०—सुनि लोन लोचनी नवल निधि नेही की अलका की अलीगढे ---संज्ञा पुं० दे० 'प्रन्निगर्द' [को॰] । | २० २१० । अलौजा--वि० [अ० थालीजाह ] बहुत मा। अधिक । बुन्न । अलिखित--वि० [सं०] १ जो लिखा न हों। २ मखिक रूप से उo-मोमें मेहावर मूनी बीना । अकरकरा अजमोद | परपराप्राप्त । अलीजा ।--सूदन ( शब्द० ) । २ दे० 'प्रालीजाह' । अलिगर्द–सज्ञा पु० [सं०] दे॰ 'अलिगद्ध (को०] । अलोन' --सज्ञा पुं० [सं० प्रालीन = मिला हुआ] १ द्वार के चौखट अगिद्ध-मज्ञा पुं० [सं०] पानी में रहनेवाला एक प्रकार का की खेडी लवी लकड़ी जिममे पता या किवाई उडा जाना है। सांप को०]। साह । वाजू । २ दानान वा वरामद कै विना का व भा जो अलिजिह्वा-सज्ञा स्त्री० [स०] गले की घाँटी । गले के भीतर का कौवा दीवार से सटा होता है। इसका घेरा प्राय प्राधा होता है । अत्ति -वि० [हिं॰] दे॰ 'अलिप्त' । उ०-मरा 1 वाल शासन। अलीन-वि० [न० अ-नहीं+लीन - रत] १ अग्राह्य 1 अनुपअनित्त साय सासन पृ० रा०, ५७।११६ । युक्त । उ०-है मखा । पुरुवंशियों का मन अलीन वस्तु अलिदूर्वा–सज्ञा स्त्री० [स०] एक पौधा । मालादूब को०) । कभी नहीं जाता’ - शंकुतला०, पृ० ३४ । २ अनुचित । अलिनी-सज्ञा स्त्री० [सं०] भ्रमरी। उ०-गिरा अलिनि मुखपकज | बेजा । उ०प्ररि दलयुक्त श्राप द वहीनी । करि वैठे कछु कर्म | रोकी । प्रगट न लाज निमा अवलोकी ।-मानस १२५९ । अलीना -सवल (शब्द॰) । अलिपक-सज्ञा पुं० [सं०] १ भौंरा । २ कोयन । ३ कुता। अलीपित--वि० ] हि० ] दे०* अलिप्न' । अलिपत्रिका--संज्ञा स्त्री० [सं०] विङग्रा घास । अलीवद-मजा पुं० [अ० अली+फा० वद] एक प्रकार का ग्राभूअलिपणी--सज्ञा स्त्री० [सं०] अलिपत्रिका । विछु घाम को०] ।। | पण । एक प्रकार का बाजूवद ।। अलिप्त--वि० [सं०] जो लिप्त न हो । निलिप्न। उ०-रहकर भी अलील--वि० [ ऋ० 1 : जल जाल में तू अलिप्त अरविंद ।-साकेत, पृ० २९४ । । अलीह –वि० [स० अलीक] मिथ्या । अरात्य । उ०--कान मूदि अलिप्रिय---सज्ञा पुं० [सं०] अरुणकमल । लाल कमल (को०] । कर रद गहि जीहा। एक कहहि प्रेह यात अनाहा - भानन अलिमक-सा पुं० [नं०] १ कोयन । २ मेढक । ३ कम न का ३।४६ । | केसर [को०] । अलिमोदी-सच्चा नी० [सं०] मनियारी नामक पौधा (को०] । अलुस पुं० [ स० ] एक छोटा जन पात्र [को०] । अलियल–मज्ञा पुं० [सं० अलिकुम, प्रा० अलिउल] (अलिसमूह) अलुक्----सज्ञा पुं० [सं०] व्याकरण में नमास का एक भेद जिसमे भ्रमरगण । उ०—अलियन आज करत नह गयेंद कपोला वीच की विभक्ति का लोप नहीं होता। जैसे-नर मिज, गाने । वाँकीदास ग्र०, भा० १, पृ० ३१ ।। मनसिज, युधिष्ठिर, कर्णंजय, अगदकर, अमूर्यपश्या, विजनअलिया-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं० लय] १ एक प्रकार की खारी। २ | वह गड्ढा जिसमें कोई वस्तु रखकर ढंक दी जाये ।। अलुक्क •--वि० [ स ० अनहीं+प्रा० लुक= छिपना ] न अलिवल्लभ-संज्ञा पुं० [सं०] लाल केमन [को०] । छिपनेवाला। उ - -अलुक्क सुक्क मान की कला अचूक्के अलिविरुत-सज्ञा पु० [सं०] मरो की गूज [को०] । धारही ।---पाकर ग्र०, पृ० २८३ ।। अली --संज्ञा स्त्री॰ [स. प्राली] १ मखी। महचरी । महेली । अलुज्झुना----क्रि० अ० [हिं०] दे॰ 'अलुझना' । उ०—बप्परिन्। उ०—येहिं 'मति गौरि असीस सुनि मिय सहित हिय हरपी | खग्ग अलुज्झि जुज्झहि सुभट भटन ढहावही -मानस, ६७८ ।। अली --मानस, १२३६ । २ श्रेणी। पक्ति । कतार । अलुझना ---क्रि० अ० [हिं०] ६० 'अरुझना' और 'उलझना' । श्री-सज्ञा पुं० [सं० अलिन्] [स्त्री० अलिनी ] १. सौर । उ० अलुटना ---क्र० अ० [ सलुट्= लोटना, लड़खड़ाना ] लडखअली कली ही सौं बँध्यो, आगे कौन हवाल।-विहारी र०, डाना। गिरना पडना । उ०-वले जात अल्हू भग, लागे बाग दो० ३८ । २ बिच्छू को॰] । दीठि पर्यो, करि अनुराग हरि सेवा विस्तारिये । पकि रहे अलीक-वि० [सं०] १ बेसिर पैर का । मिथ्या ! झूठ । उ० ग्राम माँगै माली पास भोय लिए, कहो लीजै, कही झुकि आई (क) सोई रावनु जग विदित प्रतापी । सुनेहि न स्रवनअलीक सव हारिये । चल्यो दौरि राजा जहाँ, जाइकै सुनाई बात,गात प्रताप ।-मानस ६.२५ । (ख) ग्रनख भरी बुनि अनि भई प्रीति, अलुटत पवि धारिये |-- -प्रिया (शब्द०)। की वचन अलीक अमान ।-भिखारी० ग्र०, भा० १, पृ०४८। अलुमीनम---सज्ञा पुं० [अ० एलुमीनियन ] एक धातु जो कुछ कुछ २ अमान्य । अप्रिय [को। ३. अल्प । थोड़ा [को०] । नीलापन लिए सफेद होती है और अपने हल्केपन के लिये भर ।