पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/३९०

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|गौरव अर्थातर प्रर्यगौरव--सज्ञा पुं० [ म० ] किसी शब्द या वाक्य मे अर्थ की अर्यभृत-मज्ञा पु० [सं०] अधिक तनख्वाह मे नकद रुपया लेकर काम । गभीरता । | करनेवाला व्यक्ति । अर्यन-वि० [सं०] अपव्ययी । फजूलखर्च [को०)। अर्थश्न श–सजापु०[सं०] १ धन संपत्ति का विनाश । २. उद्देश्य पूर्ण | अर्थचर--सज्ञा पु० [म०] सरकारी नौकर। | न होना [को०)। । 'अर्थचिंतक-मज्ञा पुं० [ म० अर्थचिन्तक ] वह 'मश्री जो राज्य के अर्थमंत्री-सज्ञा पु०[स० अर्थमन्त्रिण अर्य के मामलों से संबद्ध मयी। प्रायव्यय पर ध्यान रखे । अर्थसचिव'। मशीरमाल । अर्थयुक्त–वि० [सं०] अर्थगनत । अर्थपूर्ण को॰] । | अर्थचिंतन--सा पुं० [ भ० अर्थचिन्तन ] १. अर्थ ( माने ) के लिये अर्थयुक्ति-संज्ञा स्त्री० [सं०] प्राप्ति । लाभ (को०] । || चिंतन । २ घन के लिये सोचना [क]।' अर्थराशि--संज्ञा पु० [सं०] प्रचुर धन [को०] । | | अर्यचिता-सज्ञा स्त्री० [स० अर्थचिन्ता] अर्थ या धन मुबधी विता[को। अर्थलाभ--मज्ञा पुं० [सं०] धन या द्रव्य की प्राप्ति [को०] । अर्यजात--वि० [म०] १ अर्थ मे भरा हुआ । २. धनी (को०] । अर्थलोभ–सज्ञा पुं० [स] धन की तृष्णा या लोभ (को०] । | | अर्थज्ञ-वि० [सं०] उद्देश्य या मतलब समझनेवाला [को०] । अर्थवाद--सज्ञा पु० [सं०] न्याय के अनुसार तीन प्रकार के वाक्यो मे । अयंत-अव्य [म०] १. वास्तव में । सचमुचे । वस्तुत । २ अर्य की से एक । वह वाक्य जिससे किसी: विधि के करने की उत्तेजना | दृष्टि मे (को०] । । पाई जाय । यह चार प्रकार का है-स्तुति, निदा, परकृति और ' अर्थदड-सज्ञा पुं० [सं० अर्थदण्ड] वह धन जो किसी अपराध के दड पुराकल्य । | मे अपराधी से लिया जाये । जुर्माना । अर्थवादी-वि० [स० अर्यवादिन्] अर्थवाद को माननेवाला (को०] । | अर्थद-वि० [सं०] [लो० अर्यदा] धन देनेवाला । अर्थवान्-वि० [सं०]१ अर्थ मतलव) वाला । एक विशेष अर्थरखने- ' अर्थद-सबा पु० १. कुत्रेर । २ दस प्रकार के शिष्यों से एक ।। वाला। २ धनवान । पैसेवाला कौ] । । वह जो घन देकर विद्या पढे । अर्थविकरण -सज्ञा पुं॰ [सं०] नात्पर्य परिवर्तन [को०] । अर्थदर्शक-सज्ञा पुं० [सं०1 वह जो अर्थ सय घी मुकदमो पर विचार अर्थविज्ञान-सजापु० [सं०] १ दे० 'अर्थशास्त्र' । २ अर्थ को समझने | करता हैं [को०] । | की ६ प्रक्रियाओं में से एक । धी गुण । [को०] । अर्यदूषग-सज्ञा पुं० [सं०] १ फिजू न खर्व । अपव्यय । २. अन्याय अर्थविद्-वि० [भ] अर्थ का ज्ञाता । समझदार को०] । यो धोखे से दूसरे की संपत्ति लेना। ३ अर्थ (माने) मे ग उती अर्थविद्या-सज्ञा स्त्री० [ ० ] व्यावहारिक जीवन का ज्ञान या | पाना। ४ दूसरे की मपत्ति को नष्ट भ्रष्ट करना [को०] । । अयंदोप–सद्मा पु० [सं०] १ अर्यसबबी दोप। २ • साहित्य मे चार अर्थवेद--संज्ञा पुं० [सं०] शिल्पशास्त्र । || दोषो मे एक [को०] । अर्थव्यवस्था--सज्ञा म्ञी० [म०] सार्वजनिक राजस्व और उसके प्राय- | अर्थना --कि० स० [म० अर्य] माँगना । याचना करना। व्यय की पद्धति । फाइनांस ।। अर्थना-संज्ञा स्त्री० [सं०] याचना । निवेदन..1 प्रार्थना । २ अर्जी- । | अर्थशास्त्र--मझो पुं० [स०] वह शास्त्र जिसमे अर्थ की प्राप्ति, रक्षा और

- दावा कि]।

वृद्धि का विधान हो । प्राचीन काल मे इस विषय पर बहुत से । अर्थन्यायालये--सज्ञा पुं० [सं०] वह न्यायालय जहाँ अर्थसंबधी मुक- प्राचार्यों के रचे ग्र थ थे, पर अव केवन कौटिल्य (चाणक्य) | दमो का निर्णय होता है । । की रचा हुआ ग्न य मिलता है । अर्थविज्ञान । अर्थपति-संज्ञा पुं० [सं०] १. कुवेर ।'२ राजा ।। अर्थशौच-संज्ञा पुं० [सं०] लेन देन मै शुद्ध व्यवहार । अर्थव्यवहार अथपिशाच-वि० [स०] जो द्रव्य का संग्रह करने में कर्तव्याकर्तव्य की पवित्रता रखना (को०] । पर विचार न करे। धनलोलुप ! अर्थसगयापद-सच्चा पुं० [सं०] कौटिल्य के अनुमार ऐसे समानतोऽ- अर्यपिशाच-सज्ञापु[स०] वह जो धन का अत्यन लोभ करता है। । थपिद की प्राप्ति जिसमे पाणिग्राह बाघ के हो। | अर्यप्रकृति--संज्ञा स्त्री॰ [म०] नाटको मे आनेवाली पाँच महत्वपूर्ण अर्थसचिव--संज्ञा पुं० [सं०] दे० 'अर्थमश्री' । । ' स्थितियाँ–१ 'वीज, २ विद, ३. पताका, ४ प्रकरी और अर्थसिद्धिसभा सी० [सं०] १ कौटिल्य के अनुसार पाणिग्राह को ५ कार्य । मित्र तथा प्राकद (शत्रु के शत्रु) का सहारा मिलना । २ अर्थवध--मज्ञा पुं० [ स० अर्थबन्ध ] छद में पाठद अादि का उचित अभिनपित की प्राप्ति । सफलता कौ] । प्रयोग । पद्यरचना । अर्थहर--वि० [स०] उत्तराधिकार में धन पानेवाला [को०] । अर्थबुद्धि-वि० [सं०] स्वार्थंपरायण [को०] । अर्थहीन-वि० [सं०] १ निर्घन । २ जिममे अर्थ न हो । निरर्थक । अर्थवोच-सज्ञा पुं॰ [सं०] वास्तविक अर्थ का ज्ञान किौ] । ३ असफल [को०) । अर्थभाक-मज्ञा पुं० [म० अर्थभाज्] जायदाद में हिम्मा पानेवाला। अर्थातर--संज्ञा पुं० [स० अर्थान्तर] १ भिन्न अर्थ । २ भिन्न कारण । हकदार कि॰] । ३, नई परिस्थिति ।१ अर्थ का अतर (को०] ।