पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/३८८

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३१६ अजुनक || अर्घा'--सज्ञा पुं० [म० अर्घ] १ ताँबे या अन्य धातु का बना हुआ अर्जक-वि० उपार्जन करनेवाला । पैदा करनेवाला [को॰] । बृहर के पत्ते या शस्त्र के प्रकार का एक पात्र जिसमे अर्ध देते अर्जदाश्त--सज्ञा स्त्री० [फा०] निवेदनपत्र । प्रार्थनापत्र । हैं। पितरों का तर्पण भी इससे किया जाता है । २ जनधी । क्रि० प्र०—करना ।---देना ।----भेजना। || अर्घा-सा ही० [म०1 २० मोतियों का लच्छा जिसकी तौल ३२ ग्रर्जन--सझापु० [सं०] १ उपार्जन । पैदा करना । कमाना । २ सय । रत्ती हो । करना 1 संग्रह। दिशेप- वाराहमिहिर के समय में एक अर्धा १७० कार्पोपण मे क्रि० प्र०—करना । || बिकता था। अर्जनीय--वि० [सं०] १ सग्रह करने योग्य । २ ग्रहण करने योग्य। | | अर्घापचय--सज्ञा पुं० [म०] मूल्य गिरना (को०] । | प्राप्त करने योग्य । | अर्घाश---सज्ञा पुं॰ [सं०] शिव [को०) । अर्जमा---सज्ञा पुं० [स० अर्यमा] दे॰ 'अर्यमा' । अर्धेश्वर-संज्ञा पुं० [म०] शिव । महादेव (को०] । अर्जस्त-सज्ञा स्त्री॰ [फा० अर्जदाश्त दे० 'अर्जदाश्त' । उ०--पग || अर्थ्य-वि० [सँ०] १ पूजनीय । २ वहुमूल्य । ३ पूजा मे देने योग्य काज अर्जस्त चला वहु ।- प० रासो, पृ० ६७ । (जन, फूर, मूल अदि) । ४ भेट देने योग्य । अजित--वि० [म ०] १ सग्रह किया हुआ । संग्रहीत । २ प्राप्त किया | अघ्र्यं’- सच्चा पुं० [स०] जिम दन मे जरत्कारु मुनि व्रत करते थे। ' हुआ। कमाया हुआ । प्राप्त । || वहाँ का मधु । अर्जी-संज्ञा स्त्री० [फा० अर्जी ] प्रार्थनापत्र । निबेदनपत्र । अर्जीदावा- संज्ञा स्त्री० [फा० अर्जी दावा] वह निवेदनपत्र को अदालत ।। अर्चक---वि० [सं०] पूजा करनेवाला । पूजक । | दीवानी या माल में किसी दादरसी के लिए दिया जाय ।। ।। अर्चन'-सज्ञा पुं० [म०] १ पूजा । पूजन । २ अादर। मकार ।। अर्जी नवीस----वि० [फा० अर्जीनवीय ] प्रार्थनापत्र या निवेदनपत्रा अर्चन--सज्ञा पुं० [देश॰] घड़ी जिस पर दूर दूर केलावत नपेटा हो । || अर्चना--भज्ञा स्त्री० [सं०] पूजा । पूजन ।। | लिखनेवाला (को]।। अर्चना --क्रि न० [हिं०] दे॰ 'रचना' । अर्जीनालिश--संज्ञा पुं० [फा० अर्जी नालिश] ६० 'अजदाव' [को॰] । |'- अर्चनीय--वि० [म०] १ पुजनीय । पूजा करने योग्य । २ अादरणीय । अर्जीमरंमत--संज्ञा स्त्री॰ [फा० अर्जी परम्मत] वह श्राबेदनपत्र जो || अचं मान-वि० स०] पूजनीय । अर्चनीय । उ०--विचारमान ब्रह्म, किसी पूर्व अावेदनपत्र भे छूटी हुई वानों को बढ़ाने या अशुद्धि देव अर्चमान मानिए !--राम चु०, पृ० ३ ।। को शोधने आदि के लिये दिया जाये । अर्चा--संज्ञा स्त्री० [सं०] १ पूजा । २ प्रतिमा । अजून --- संज्ञा पुं०[स०] १ वह वृक्ष जो दक्धिन से अवध तक नदियो अचि-सज्ञा स्त्री० [स० अचिस्] १ अग्नि आदि की शिखा । उ०-- के किनारे होता है। शुष्क डालियो से वृक्षो की अग्नि अचियाँ हुई समिद्ध–कामा- विशेप-यह बेरमा और लका में भी होता है । इसके पत्ते टसर यनी, पृ० । २ दीप्ति । तेज। ३ किरण । के कीडो को खिलाए जाते हैं। छाल. चमडा सिझाने, रगे अचित--वि० [म०] १ पूजित । २ अदृत । अादरप्राप्त । बनाने तथा दवा के काम में आती है। इससे एक स्वच्छ गोद निकलती है जो दवा के काम में आती हैं। लकडी अचित--सज्ञा पुं० [म०] विष्णु । से खेती के औजार तथा नाव और गाडी आदि बनती है । अचिती--वि० [सं० अचितिन्] अाराधना करनेवाला [को०] । इसको जलाने से राख मे चूने का भाग अधिक निकलता है । अचिमान--वि० [सं०] प्रकाशमान । चुमकता हुआ । पर्या०--शिवभल्ल । शबर। ककुभे । काहू । चिमाल्य--संज्ञा पुं० [ मं० ] वामीकि के अनुसार एक बदर जो २ पाँच पाडवो मे से मंझले का नाम । ये वडे वीर और धनु- महपि मरीचि का पुत्र था। विद्या में निपुण थे । अचिरादिमार्ग--सशा पुं० [सं०] देवयान । उार मार्ग । पर्या ०-फाल्गुन । जिष्णु। किरीटी । श्वेतवाहन। वृहन्नल। अचिष्मती--सज्ञा स्त्री० [सं०] अग्निपुरी । अग्नि नौक। धनजय । पार्य । कपिध्वज । मव्यमाची। गाडीवधन् । अचिष्मान'-- मझा पुं० [स० अचमत्] [ली० fचष्मती] १ सुर्य । गाडीदी । बीभत्सु । पाडुनदेन । गुडाकेश। मध्यम पाय । २ अग्नि । ३ देवनाग्रो का एक भेद ४ बाल्मीकि के अनुसार विजय । राधाभेदी ऐ द्रि। | एक वदर जो महपि मरीचि का पुत्र था। २ हैहयवणी एक राजा । सहस्रार्जुन 1 ४ मफेद कर्नन । ५ अचिष्मान’--वि० दीप्त्र । प्रकाशमान । मो? । ६ ख का एक रोग जिसमें अखि में सफेद छीटे पड़ अर्ज-मझा पु० [अ० अर्ज ] १ विननी। विनय । जाते हैं । फू नी । ७ एकलौता बेटा । ८ अर्जुन (वैदिक)। ६. | c प्र०—करना= प्रार्थना करना। बहना निवेदन करना । इद्र (को०) । १० चाँदी [को०] । ११ मोना [को॰] । १२ दूब | २ चौटाई । आयत । को०] 1 १३ मफेद रग [को०] । अर्जइन्साल --- सश गु० [फा०]ह पत्र जिम द्वीप पर जाने अजुन’-- वि० १ T। मफेद । २ शुभ्र । स्वच्छ । | में दाखिल किया जाता है। चनान । अजुनक- --वि० [सं०] १ अर्जुन सवधी 1,१. अर्जुन की पूजा करने- अर्जक'-सज्ञा पुं० [ग ०1 बनतुलसी । वेवई । वाली [को०] । -