पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/३७८

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३०९ अरनंदिन विवार ते उपजे ज्ञान प्रकाम। ३ अरनी मरिन ने प्राटे गए। विशेप--यह सव घोडो में अधिक बलवान, मेहनत, महिष्ण और हुताम् ।--दीन० ग्र०, पृ० १०६ । ३ जनन । दाई । । प्राञानुवर्ती होता है । इसके नथुने चौड़े, गाल और जवडे मोटे, अन्य--सबा पु० [हिं०] दे० 'अरण्' । उ॰--'दान' कहै मृगहू को माथा नाडा, अखेिं बडी वडी, थूथने छोटे, पुट्ठा ऊँचा और दुम उदास कै वाम दियो हैं अन्य गंभीरनि ।—भिखारी० ग्न ०, जरा ऊपर चढ़कर शुरू होती हैं। इसके कान छोटे, तथा दुम भ!० १, पृ० १०१ ।। और अयाल के बाल चमकीले होते हैं । || अपन()---सज्ञा पुं० [हिं०] १० अर्पण' । उ०—-वेरनै दीनद पा न २ अरवी ऊँट । अरव देश का ऊँट । देखत रूप कुरूप हि । जो घट अरपन करे ताहि ते ममता विशेष—यह बहुत दृढ और महिष्णु होता है और बिना दाने कूजहि ।-दीन० ग्र ०, पृ० २५६ । पानी के मरभूमि में चता रहता है ।। ।' अरपना(५–क्रि० म० [स० अर्पण] अर्पण करना । मेंट करना । ३ अरवी वाजा । ताशा ।। उ०—(क) पहिले दाता नियु मया तन मन और मीन --- अरवी--सज्ञा स्त्री० अरब देश की भाषा । कवीर (शब्द०)। (ख) तोहि आम की मंजरी अरदिन हो अरवीला--वि० [हिं अरबर] १ मोलामाल । अडबड । उ०--- मिर माथ। महाराज कदर्प के धनुष नियो जिन हाय ।-- देखति प्रारमी मैं मुसुक्पति है हि दई बतियाँ अरवीली ।- शकुंतला, पृ० १०६ । लाल (शब्द०)। २ लडाका । युद्ध से न भागने वाना । अरपा-सा पुं० [देश॰] एव म माला । अड़नेवाला ।। | अरपिता--वि० [हिं०] दे० 'अति' । अरबुद(--मज्ञा पुं० [हिं०] दे० 'अर्बुद' । उ०--बुरे ऋषि वृद |' अरव'---सन्नी पु० [सं० अर्बुद [१ सौ करोड । सख्या में दम वाँ स्यान ।। सुअर वुद्र यि । जहाँ ऋषि चर्य वम सत भय ।--- २ इम स्थान की मखया । हम्मीर रा०, पृ० ८ ।। अरवी--वि० [हिं॰] दे॰ 'अरवी' । " अरव’-सच्ची पुं० [न० अर्वन्तु १ बोदा । २ इद्र । उ०----परवे । बरवत अरव अरब ऐसे अरव के अरव चरव जहाय के ।--- | अरवी.. -सज्ञा पुं० [फा० अरबी] १ अरवी बाजा । ताशा ।- वाजे अरबी उमडिके गज्जे मनो घने घुनडि कै--पद्माकर ग्र०, पृ० ८। गोपाल (शब्द०)। अरब-सज्ञा पुं० [अ०] १ एक मरु देश जो एशिया खड के पश्चिम- २ अरबी घोडा । उ०--अरची फिर बेस उबीन १ जे। नटो की कला सीकला जान ले जे–पद्मामकर ग्र०, पृ० २८० । दक्षिण भाग में और भारतवर्ष से पश्चिम हैं । यहां इस्लाम अरभकQ ---वि० [हिं०] दे॰ 'अर्भक' ।। धर्म के प्रवर्तक मुहम्मद साहब उत्पन्न हुए थे । यहाँ धोई, ऊँट अरम --वि० [स०] क्षुद्र । नीच (को०] । अौर छुहारे बहुत होते हैं । २ अरब देश का उत्पन्न घोडा ।। ३ अरव का निवामी । अरमण • -वि० [सं०] १ अरुचिकर । २ खराव । ३ अम तोपदायक । | अरवर)---वि० [अनुच्व०] [ली० अरबरी] ऊटपटाँग । असव ।। ४ विरामरहित । निरतर । ९०-भक्तनि की मुधि की परी अरवर मति, भाव१ करत मोग अरममाण- -वि० [सं०] दे० 'अरमण' कि०] । सुखद लगाए हैं --प्रिया (शब्द॰) । २ कठिन । मुश्किल । अरमनी----मज्ञा पुं॰ [फा०] अारभेनिया देश का निवासी । अरबराना--क्रि० अ० [हिं० अरवर ने ना०] १ घबराना । । विशेष----अरमेनिया काकेशश पहाड से दक्षिण मे है यहाँ के लोग व्याकुल होना । विचलित होना । (क) व्याही ही विमुजु घर विशेष सुदर होते हैं । अरमाँ----संज्ञा पुं० [तु० अर्मान] दे॰ 'अरमान' । उ०--ऐ फनक क्या प्रायः लेन कहे पर खरी अरवरी कोई चित्त चित लगी है।-- या हमारे दिल मे अरमाँ रह गया । 1-- भारतेंदु प्र ०, मा० २, प्रिया (शब्द॰) । (ख) मुनि सोच परेउ हिया वारी अरवरेउ पृ० ८४६ । मन गाढो ले के करेउ बोल्यो हो जू सरसाई है ---प्रिया अरमान- ज्ञा पुं० [तु० अर्मान] इच्छा । ला Tमा । चाह । (शब्द०) । २ लटपटानः । अडवडाना । उ०---मिखवति मुहा०—अरमान निकालना = इच्छा पूरी करना । उ०--बहुत चनन जमोदा मैया । अरवाई कर पानि गहावत डगमगाइ निकले भैरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले ।—कविता धरनी बरे पेया --मूर०, १०।११५ । क०, मा० ४, पृ० ४५७६ । अरमान भरा = उत्सुक । अरमान अरवरी--सा सी० [हिं० अरवर] घबराहट । हडवडी । उ०-- रहना या रह जाना = इच्छा का पूरा न होना । मन की बात (क) भभी की चाह अवगाह हनुमान की गरे डारि दई सुधि भई मन ही में रहना । अति अरवी है ।---प्रिया (शब्द०) । अरर–अव्य ० [सं० अरेरे] एक शब्द जो अत्यत व्यग्रता तथा अचभे अरविंद --संज्ञा पुं० [सं० अरविन्द] ३० ‘अरविंद' । उ०—देबत क्यो की दशा मे मुंह से निक नता है, जैसे—अरर । यह क्या न अपूरव इदु मे है अरविंद रहे गहि लाली ।—पद्माकर है (शब्द॰) । अ ०, पृ० २०६ । अरर--सज्ञा पुं० [सं० अरर] १ किवाड कपटि । २ विघान । अरविस्तान--सज्ञा पुं० [अ० अरव+फा० स्नान] अरव देश । ढक्कन । ३ उन्नूक (को॰] । ४ युद्ध (को॰] । अरबी-वि० [अ० अरब +फा० ई (प्रर १०)] अरब देश का । अरर--सज्ञा पु० [स० अरर, अरल] मैनफ 7 [को०] । अरबी--सज्ञा पुं० १ अरवी घोडा । अव देश का उन 7 अरबी अररनादररना - क्रि० स० [अमु०] द नन । पीसन।। ६०० नस्ल का घोड़ा । ताजी । ऐराकी । चित फ६ गोइ प्रेम की दरिया समुझि समुझि झिकवा