पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/३७२

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अयुक्नेत्र ३०३ अयोध्या - - - - --- | अयुक्नेत्र--संज्ञा पुं॰ [सं०] गिव [को०)। अयुध- सा पु० [१०] वह व्यक्ति जो युद्ध न करता हो । अयुपलाश-मज्ञा पुं० [स०] दे० 'अयुग्छद' । अयुध--संज्ञा पुं० [हिं०] २० युध' । अयूकशक्ति--संज्ञा पुं० [सं०] शिव । । अयुध्य-वि० [सं०] जिसने युद्ध न किया जा सके । दुर्धर्य को०)। अयुक्शर--संज्ञा पुं० [सं०] पचेर । कामदेव (को॰] । अयुव--वि० [म०] १ ग्रमबद्। २ शात [को०] । अयुक्त--वि० [म०] १ अयोग्य । अनुचित । वेठीक । २ अमिश्रित । अयुप---नशा श्री० [हिं०] दे० प्रायुप्' ।। असयुक्त । अलग । ३ अपग्रस्त । ४ जो दूसरे विषय पर आये--मशा पु० [अनु० ] स्लोथ की जाति का एक जनु । यह जतु आस हो । अनमना । ६ असवः । युक्तिशून्य ! ७ अये, अये शब्द करता है। इसीलिये इमको ‘अये' कहते हैं । अविवाहित (को०)। अये--अव्य [म०] १ क्रोध, विवाद, भयादि द्योतक अव्यये । यो०-.-अयुक्त कृत् -- बुरा या गलत काम करनेवाला । अयुक्त वार = २ मवोधन । जिमने दूतो यजानूनो की नियुक्ति न की हो । ग्रयोग'--संज्ञा पुं० [म०] १ योग का अभाव । २ अपशम्त योगयुक्त काल । वह कान जिसमे फनिन ज्योतिष के अनुसार दुष्ट ग्रह अयुक्ति--सज्ञा स्त्री॰ [म०] १ युक्ति का प्रभाव । अमवद्धतः ।। नक्षत्रादि का मन हो । ३ कुममय । कु काल । ४. कठिनाई । गहवडौ । २ अयुत्तता [को०] ! योग न देना । अप्रवृत्ति ३ म कट । ५ वह वाक्य जिसका अर्थ सुगमता से न लगे । कूट। वशी बनाने में गनी ने उसके छेद को वद करने की क्रिया । ६ अप्राप्ति । ७, ग्रस भव । ८ अलेगाव (को०] । ६ अनुपयुक्तन ।। अयुग-वि० [सं॰] १ विपम । ताक । २ अकेला । ३ जो शिष्ट (को०] 1 ० तीव्र प्रयत्न | जोरदार कोशिश को०)। ११. । या मिना न हो । विधुर । १२ हुडा को०] । १३ किमी वस्तु को न चाना। अयुगक्ष--मज्ञा पुं॰ [सं०] शिव । त्रिनयन [को॰) । नापम दर्ग। (को०) ।। अयुगपद-वि० [को०] एक नाथ नहीं । क्रमश (को०] । अयोग--वि० [म०] १ अप्र रम्त । बुरा । २ अस बढ़ [को०] । ३ अयुगल---वि० [म ०] दे॰ 'अयुग’ को । जोरदार कोशिश करनेवाला विनै)। युनिपु--संज्ञा पु० [भ] कामदेव ! अयुग्वाण को०)। अयोग'--वि० [म० अयोग्य] अयोग्य । अनुचित । अयुग'---वि० [सं०] १ जिसका कोई मित्र या सगी न हो। २ वाह । अयोगव--सज्ञा पुं० [म०] वैश्9 जाति की मी शोर शूद्र पुरुष से | लटकी जिसकी कोई बहन न हो [को०] । उत्रि एक वर्णन कर जाति ।। अयुग’ ---- संज्ञा स्त्री॰ वह स्त्री जिने जीवन में एक ही संतान उत्पन्न अयोगवाह --मज्ञा पुं० [म०] वह वर्ण जिना पाठ अक्षरसमाम्नाय होकर फिर कोई मतान न हो। काकवध्या [को०] । सूत्र में नहीं है। अयुग्बाण-मज्ञा पुं० [सं०] विपमवाण । कामदेव (को०] । विशेप---ये किसी किसी के मत से अनुम्यार, विमर्गक और अयुग्म-वि० [स०] १ विपम । ताफ । २ अकेला । एकाकी । प धार हैं और किसी किसी के मन से अनुस्वार, विसर्ग यी०-अयुग्मच्छद । अयुग्मनेत्र। अपुग्मना। अयुः नशर ।। क ए ग्रौरफ छह हैं । अनुस्वार विसर्ग के अयुरमच्छद--संज्ञा पुं० [म० १ मप्त इण वृक्ष । छतिवन । सतबने ।। अतिरिक्त जिह्वा मूरय नथा उपमानीय मी अयोगबाह है। २ वह वृक्ष या पौधा जिसकी अयुग्म पत्तियाँ हो, जैने बेन अायोग'- वि० [सं० अयोगिन्] योगशास्त्रानुसार जिसने योगागो का अरहर इत्यादि । अनुष्ठान न किया हो । योगागो के अनुष्ठान में असमर्थ । जो योगी न हो। अयुग्मनयन-सज्ञा पुं० [१०] दे॰ अयुग्मनेत्र' (को०] ! अयोगोG--वि० [स० अयोग्य] अयोग्य । अयुग्मनेत्र--सज्ञा पुं० [न० ] [ नीअयुग्मनेत्री ] शिव। महादेव ।। अगुड- भज्ञा पु० [म०] १ लोहे की गोजी । लोहे की बनी गेंद। । विशेप--शिव की शक्तियो को भी अयुग्मनेत्रा कहते हैं । लौह कदुक । २ एक प्रकार का शस्त्र जिसमें लोहे के गद नगे अयुग्मवाण---संज्ञा पुं० [सं०] कामदेव । ग्ते ह को ।। अयुग्मवाद-संज्ञा पुं० [भं०] सूर्य । अयोग्य-- वि० [म०] १ जो योग्य न हो । अनुपयुक्त २ अकुश न । अयुग्मशर- सच्चा पुं० [म०] कामदेव । अयुग्मवाण [को०] । नानायक । बेकाम । निकम्मा । अपात्र । ३ अनुचित । अयुग्मसप्ति-मज्ञा पु० [म०] वह जिनके रथ मे मात धोडे जुने हो। नामुनासिव । वैजा ।। | सुर्य (को०)। अयोधन--संज्ञा पुं० [न०] लोहे का घन या थोड; (को०] । अयुज -वि० [सं०] १ जो जोड न हो। तक। २ अके ना । स - अयोच्छिष्ट---सज्ञा पुं॰ [सं०] मोरचा । जग को०] १ विहीन । ३ अश्लिप्ट [को०] । अयोजाल—संज्ञा पुं० [म०] लोहे का बना हुअा जाल [को०] । अयुत----सच्चा पुं० [मं०] १ दम जार सपा का म्यान । २ उम अयोद्धा-सा पु० [१०] १ निम्न चोटि का सैनिक । २ वह पवित स्थान की सेवा । | जो योढ़ा या मैनिक नही है [को०] ! अयुत’---वि० १ असवद्ध । युक्त न हो । २ प्रक्षुब्ध (को०] । अयोध्य-- वि० [सं०] १ जिमसे युद्ध में किया जा सके । अजेय । अयुतमिद्ध--वि० [सं०]जो पृथक् करने योग्य न हो । गरर से युक्त ।। | २ जो युद्ध के लिये असमर्थ हो (०३ ।। | अविच्छेद्य (को॰] । अयोध्या--संज्ञा स्त्री० [सं०] १. सूर्यवशी राजा की राजधानी । - --- -