पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/३६९

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अम्ल सरि ३० 0 अयथा अम्लसार---प्रज्ञा पुं० [सं०] १ कांजी। २ चूक । ३ अमलबेत । ४ अय शकु---सुशा पु० [सं० प्रय'शड्कु] १ नेजा। भला। ३ नोहे हिता न । ५ अमलसार गर्धक । ६ नीबू को फल और वृक्ष की कील । अँटी [को०] । [को०)। अय शय-वि० [सं०] लोहे में रहनेवाला (अग्नि) (को०] 1 अम्लहरिद्रा--सज्ञा स्त्री० [स०] अबही दी । कपूर कवरी । अय शुल-मझा पुं० [म०] १ एक अस्त्र । तीव्र उपपात। तीक्ष्ण अम्लाकुश--सज्ञा पुं० [स० अम्लाकुश एक खट्टा साग (को०] । उपाय ।। अम्लाच्युषित (रोग)-सज्ञा पुं॰ [सं०] अखि का रोग जो अधिक अव शोभौ-----वि० [प्रय शोभिन्] सौभाग्य में दीन (को०)। खटाई खाने से होता है । अय----पशा पु० [म०] १ गमन । जाने । गति । २ अशा भाग्य । विशेप- इस रोग में आँखें लाल हो जाती हैं कभी क पी पक भी। शुभविवाह विधि । अभ्युदय । ३ पासा ! अ । ४ शुभ कार्य । जाती हैं, उनमें पीड़ा होती है, और पानी बहा करता है । मगल कृय कि०] । अम्लान'–वि० [म०] १ जो उदास न हो। मलिन न हो । विना यौ०----अयान् अयान्वित = 'भार 7 बान्। मुरझाया हुआ।। २ जो प्रफुल्लित हो । हृष्ट । प्रसन्न । २ अय----मज्ञा पुं० [सं० अयस्] १ लोहा। उ०----उमगे मकल मुठि निर्मल । स्वच्छ । साफ। च चल करनी । अय इव जन धरत पग धरनी ।-नम, अम्लान--सज्ञा पुं० [सं०] १ वाणपुष्प नामक वृक्ष । २ दुपहरिया । १॥ २६८ । २ इस्पात । शुद्ध नोहा (को०] । ३ अम्त्र शस्त्र । | कर सरैया । हथियार । ४ अग्नि । ५, कोई धातु (को०] । ६ म्वर्ण (को०)। अम्लानि-वि० [सं०] जो मुरझाए नही (को॰] । अय----प्रव्य [सं० प्रयि] मवावन का शब्द । है । अम्लानि-सज्ञा स्त्री० १ शक्ति । २ ताजगी । नवता [को०] । विशेष----ग्रह अधिकतर 'हो' लिया जाना है । अम्लानी-वि० [सं० अम्लानिन्] साफ । स्वच्छ को०] । अयम- वि० [म० अयनन्] १ नीरोग । रोगरहि।। २. निरुपद्रव । अम्लिका--सज्ञा स्त्री० [सं०] १ इमनी । २ खट्टी उवार । ३ पताण वाधा शून्य । श्रादि पौधे को०] । प्रयजनीय–वि० [सं०] जो यज्ञ में पूजा या दर के अयोग्य हो । अम्लिकावटक---सज्ञा पुं० [सं०] खटाई से युक्त एक प्रकार का वहा । | अपूज्य । २ निदित । को०] । अयज्ञ-वि० [वि॰] १ यज्ञ न करनेत्रा । । २ यन न हो। को०] अम्लिमा—संज्ञा स्त्री० [म०] खट्टापन [को०] । अयज्ञक---वि० [स०] जो यज्ञ के लिये अनुपयुक्त हो को०)। अम्लीकरण-सज्ञा पुं० [सं०] वह क्रिया जिसमे कोई बम खट्टी अयज्ञिय–वि० [सं०] १ जो यज्ञ के काम में न लाया जाता हो । २ की जाय । जो यज्ञ में न दिया जाता हो । ३ अपवित्र । अशुढ़ [ ४ यज्ञ अम्लीका--सज्ञा स्त्री० [सं०] अम्लिका । इमली [को॰] । करने के अयोग्य । जो शामित्र के अनुसार यज्ञ करने का अधि- अम्लीय-- वि० [म०] अम्न विषयक । अम्न से संबधिर [को०] । कारी न हो। अम्लोटक-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] अश्भतक पौधा [को०] । अयज्ञीय--वि० [म०] दे॰ 'अयजिय' [को०] । अम्लोनार---भज्ञा पुं० [सं०] खट्टी डकार । अयत--वि० [म ०] उच्छ पल । स्वेच्छाचारी । जो सयत न हो [को०] । अम्ह --सर्व० [स० अस्मद्, प्रा० अम्ह] दे॰ 'हम' । उ७---प्रम्हमन अयति--वि० [सं०] उद्योगही7। यत्न न करनेवाला (को॰) । | अचरज भए 3, सखियाँ अखिड एम (--ढो ना० ६०, ६ । अयती--वि० [सं० अ+यतिन] जो यी या जितेंद्रिा न हो । इद्रिया अम्हौरी-सज्ञा स्त्री॰ [म अभ-जल +हिं० और (प्रत्य॰) अथवा के वश में रहनेवाला (को०] 1 सं० ऊष्मा, प्रा० उम्हा, उम्, प्रा०प्रम्ह +ौरी प्रत्य ०] वहुत अयतेद्रिय–वि० [स० अपतेन्द्रिय]१ जो इद्रियों का सयम न कर सके। छोटी छोटी फुसियाँ जो गरमी के दिनों में पीने के कारण इद्रियनिग्रह न करनेवा छ । २ ब्रह्म वर्य भ्रन्ट । ३ च चने द्रिय । लोगो के शरीर में निकल आती हैं। अधौरी । इद्रिय लिप । अय-सवं० [सं० अयम्] यह । उ०—दुइ दर भरि ब्रह्माड भीतर प्रयत्न--सज्ञा पुं० [सं०] यत्न का में भाव । उद्योगशून्यता । काम कृत कौतुक य ।--मानस । १८५।। प्रयत्न.-वि० यत्न शून्य । उद्योगहीन । अयत्र--संज्ञा पुं० [सं० प्रयन्त्र] १ वह जो वश या नियंत्रण में न यौe:-अयनसिद्ध = अयत्नमात्र । जो बिना प्रयास हो जाये । हो। १ यत्र का अभाव । ३ अनियत्रण । नियंत्रण की ऋ भाब प्रयत्नकृत्-वि० [सं०] बिना प्रयास के होनेवाला । सरलता से पूर्ण [को०] । होनेवाला [को०] । अयत्र--वि० अनियति । अवशीकृत [को०] । अयत्नज-वि० [सं०] स्वत हो जानेवाला। प्रामानी से होने अयश्चित--वि० [सं० अयन्त्रित] १ जो यत्रित या वशीकृत न हो। बाला [को॰] । स्वेच्छाचारी ।। अयत्नलस्य--वि० स०] बिना प्रयास के प्राप्त होने योग्ये [को०] । अय --सज्ञा पुं० [सं०] अयस् (लोहा) का समासगत रूप । अयथा--वि० [स०] १ मिथ्याभूत । झ5। अतथ्य । २ अयोग्य । अय पान-तज्ञा गु० [सं०] भागवत के अनुसार एक नरक का नाम । अयथा -अव्य० गलत ढंग से । अनुचित रूप से [को॰] । अय पिंड-सा पुं० [सं० अय पिण्ड] गोहे का गोत्र । नौहपि अयथा-सज्ञा पुं० 1. किसी काम को विधि के अनुसार न करना । को । विधिविरुद्ध कर्म । अनुचित काम ।।