पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/३५४

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• अभ्योसादने श्रेचैनी । । " ," सिद्धानं हा । । खर अशुपयन (०) '14 मेंट . : क्रिया ! २ गातार एक ही विपर्य का वार वार चिंतन करने अभ्युदित-वि० [न०] १ उगा हुा ।, निकला हुआ। । उत्पन्न । से मन या मस्तिष्क की एकाग्रता । प्रादुभूति । २ दिन चढे तक सोनेवाला। ३ सूर्योदय के समय अभ्यासादन-संज्ञा पुं० [सं०] शत्रु पर आक्रमण या सामना करनाको०] 1 । ... -उठकर नित्यकर्म न करनेवाला । ४ समृद्ध । उन्नत ।-५. |अभ्यासित--वि० [अ० अभ्यास] दे॰ 'अभ्यमित' । उ०—रात दिना उत्सव रूप में मनाया हुया [को०] । । | के मुने किए जे अति 7न्यामित भाव, तिन भो कैसे वचौ कहो अभ्युपगत--वि० [सं०] १ पास गया हुन्ना 1,सामने ग्राया हुआ । मन कोटिक करा उपाव -भारतेंदु ग्र०, भा॰ २, पृ० ५३९ । । प्राप्त । २ स्वीकृत । अगीकृत । मजूर किया हुआ। ३ समान । अभ्यासी--वि० [सं० प्रन्यासिन्] [ी० अन्यासिनी] अभ्यास करने तुल्य [को॰] । . वाला । साधक ।, - - अभ्युपगम--संज्ञा पु० [म०] [वि० अभ्युपगत]१ पास जाना । सामने | अभ्याहत--वि० [न०] १ पीडित । ताडित । २ बाधित । ३ . आना या जाना । प्राप्ति । २ स्वीकार। अगीकार । मजूरी ।३ दोपयुक्न (को०] ।... वादा करना (को०)। ४ न्याय के अनुसार सिद्धांत के चार भेदो || अभ्याहार–संज्ञा पुं० [२०] १ निकट लाना । २ अपहरण । में से एक । ' चौर्य [को०] । विशेष---विना परीक्षा किए किमी ऐसी बात को मानकर जिसका ।। अम्युक्त–वि० [स०] किसी मदर्भ में कहा हुअा किो०] । खइन करना है, फिर उसकी विशेष परीक्षा करने को अभ्युपगम || अभ्युक्षण-सज्ञा पुं० [न०] १ से चैन । छिडकाव :: । सिंचन ।।२ सिद्धात कहते हैं । जैसे, एक पक्ष का अादमी कहे कि घाव्द द्रव्य मार्जन [को०] 1 । । है । इसपर उसका विपक्षी कहे कि अच्छा हम थोडी देर के अभ्युक्षित-वि० [सं०] १ छिटका हुआ। सिंचित । २ जिसपर लिये मान भी लेते हैं कि शब्द द्रव्य है पर 'यह तो बतलाओं | डि का गया हो। जिनका सिचन हुप्रा हो । ' कि वह नित्य है या अनित्य । इस प्रकार मानना अभ्युपगम अभ्युदय--वि० [स०] छिड कने योग्य । अम्युचित–वि० [सं०] पररित ।,प्रवनत । नियमित [को०] । , ति । नियमित [को०] १. अभ्युपपत्ति--संज्ञा स्त्री० अभ्युपपत्ति--संज्ञा स्त्री॰ [सं०] १ सहायता के लिये पहुँचना । २ अभ्युच्चय–सझा पुं० [म०] १ वृद्धि ।। उत्थान । सपन्नता 1 उत्कर्प। दया । अनुग्रह ।३ . अनुमोदन । 'म्वीकृति । मजूरी । ४ । २ एकत्रीकरण [को०] । । । सीखना । ढांढस । ५ रक्षा। वचाव । ६ वादा [को०] । । अभ्युच्छय–सच्चा पुं० [म०] 1 चढाब ! उठान । २ मगीत में स्वर- १ युपाय-संज्ञा स्त्री० [सं०] १' 'वादा । २ स्वीकृत । ३ उपाय मावन की एक प्रणाली, जो इस प्रकार है-मा ग, रे म, ग प, साधनं [को०] । | ध मा। अवरोही--मा 'घ, नि प, ध सा, पग, अभ्युपायन—मज्ञा पुं० [सं०] १ मॅट । उपहार। २ रिम्वत [को॰] । म रे ग म ।। - अंम्युपेत-वि० [सं०] १ पहुंचा हुआ । ग्राया हुमा । २ वादा किया अभ्युच्छिन--वि० [म०] उन्नन । उठा हुआ । उच्च (को०)। हुन । स्वीकृत [को॰] । ' अभ्युत्थान--संज्ञा पुं० [अ०] [वि॰ अभ्युत्थायी, अम्युरियन, अभ्युत्थेय] अभ्युषित--वि० [स०] साय या frकट रहनेवा नः ।। १ उठना । २ किमी वर्ड के आने पर उसके अंदर)के लिये अभ्युषित--सच्चा पुं० साथ रहनेवाला [को०) । ।।। उठकर खड़ा हो जाना । प्रत्युद्गमन । ३ वढती। समृद्धि । अम्यूढ--वि० [स०] समीप लाया है (को०] । उन्नति । गोन्छ । ४ उठान । प्रारम । उदेर । उत्पत्ति । । अभ्युत्थायी--वि० [म अभ्युत्थायिन्] [स्त्री॰ अभ्युत्यायिनी] १ | अम्पूष-सज्ञा पुं० [सं०] १ एक प्रकार की रोटी । २ अाघा पका ॥ उठकर खड़ा होनेवाला । २ अादर के लिये उठकर खडा होने | हुआ भोजन [को०)। ' ' वाला 1 ३ उन्नति करनेवाला । ४ बढ़नेवाला ।' अम्यूह-सच्चा पुं० [म०] १ तर्क। वहम । २ 'निष्कर्ष । ३ अनुमान । अभ्युत्थित--वि० [सं०] १ उठा हुआ। २ अादर के निये उठ कर ४ विचार [को०] । खडा हुन्न।। ३ उन्नत । बढा हुआ। अभ्र कष-वि० [म० अभ्रष] गगन चु जी । बहुत ऊँचा [को०] । अभ्युत्थेय--वि० [सं०] १ उठने योग्य । २ जो अभ्युत्थान के योग्य अभ्र कष-संज्ञा पुं० १' बायु ।' हवा । २ पर्वत [को०] । हो । जिसे उठकर प्रादर देना उर्चिन हो । ३. उन्नति के योग्य अभ्र लिह-वि० [सं०] गगचुबी (को०) । अभ्युदय-संज्ञा पुं० [सं०] [वि॰ अम्युदित, अम्युदयि हो १ सूर्य आदि अभ्र लिह-सच्ची पु० [सं०] हवा [को०)। ' ' ग्रहो का उदय । २ प्रादुर्भाव । उत्पत्ति । ३ इष्टुलाम । मनो- अभ्र--संज्ञा पुं० [सं०] १ मेघ । बादल। २ । • रथ की मिद्धि। ४ विवाह आदि शुभ अवसर । ५. वृद्धि । । धातु । ४ स्वर्ण । सोना। ५ नागरमोथा । ६ गणित में ' वदतः । उन्नति । तरक्की १६ अस्तित्व में आना । प्राविमूत • शून्य । ७ कपूर (को०)। ८ वेत'वे (को०) । | होना [को०] १७ घर में सतान के जन्म लेने पर किया जाने- अभ्रक-सज्ञा पुं॰ [सं०] अवरक । मोडर 1 दे० 'अव रक' । । । धान्ना नादीमुख श्राद्ध । को०)। " * " " अभ्रकसत्व संज्ञा पुं॰ [सं०] इस्पात (को०] । । 1. -- अभ्युदाहरण---मज्ञा पुं० [२०] कौटिल्य के अनुसार किपी तथ्य को । अभ्रकूट--संज्ञा पुं० [म०] पर्वता कार बाद की चोटी [को०)। । प्रमाणित करने के ये 'विपरीत तथ्य द्वारा दिया गया अभ्रगगा---संज्ञा स्त्री॰ [स० अर्श्वगङ्गा] अाकाशगंगा [को॰] । " *दाहरण । । अन्ननगिसंज्ञा पुं॰ [सं०] ऐर बित [फो। । । । । "}