पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/३५०

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अंन्यासादनं २६५ अर्भनाग । •. • झिपर । २ गातार एक ही विषय को बार बार चितन करने अभ्युदित--वि० [स०] १ उगा हुआ । निकला हुआ। । उत्पन्न । से मन या-मस्तिका की एकाग्रता । प्रादुमूत । २ दिन चढे तक नोनेवाला । ३ सूर्योदय के समय अभ्यासादन-सज्ञा पुं० [सं०] शत्रु पर आक्रमण या सामना करनाको०] १ , .. उठकर नित्यकर्म न करनेवाला । ४ समृद्ध | उन्नत 1 ५ । अभ्यासित--वि० [सं० अभ्यास] दे० 'अभ्यमित' । उ०—रात दिन उत्सव रूप में मनाया हुआ [को०] । | के सुनै किए जे अति उभ्यासित भाव, तिन मो कैसे वचौ कहो अभ्युपगत--वि० [स०] १ पास गया हुप्रा । सामने आया हुआ । मन कोटिक कर उपाव !-भारतेंदु ग्र०, भा॰ २, पृ० ५३६ । प्राप्त । २ स्वीकृत । अगीकृत । मजूर किया हुआ । ३ समान। अभ्यासी–वि० [स० अभ्यासिन्] [स्त्री० अभ्यासिनी] अभ्यास करने तुल्य, किो॰] ।, | वानी । माधक । अभ्युपगम--सज्ञा पुं॰ [सं॰] [वि॰ अभ्युपगत]१ पास जाना । सामने । अभ्याहत---वि० [न०] १ . पीडित । ताडित । २ बाधित् । ३ । आना या जाना । प्राप्ति । २ स्वीकार ! अगीकार । मजूरी ।३ दोपयुक्त (को०) । वादा करना (को०)। ४ न्याय के अनुसार सिद्धांत के चार भेदो। अभ्याहार--सज्ञा पुं० [स०] १ निकट लाना । २ अपहरण । में से एक है । चौर्य [को०] - - । - विशेष--विना परीक्षर किए किसी ऐसी बात को मानकर जिसका अभ्युक्त---वि० [सं०] किमी मदर्भ मे.कहा हुआ, को] । खइन करना है, फिर उसकी विशेष परीक्षा करने को अभ्युपगम अम्युक्षण-सज्ञा पुं० [भ], १ सेचन । छिडकाव ।। सिंचन 1,२ सिद्धात कहते हैं। जैसे, एक पक्ष का अादमी कहे कि शब्द द्रव्य मार्जन [को०] ।., , , है। इसपर उसका विपक्षी कहे कि अच्छा हम थोड़ी देर के अभ्युक्षित-वि० [सं०] १ छिड-को हुा । सिंचित , २ जिसपर लिये मान भी लेते हैं कि शब्द द्रव्य है पर 'यह तो बतलाश्री छिडका गया हो। जिसका सिंचन हुग्रा हो । कि वह नित्य है या अनित्य । इस प्रकार मानना अभ्युपगम अभ्यूक्ष्य-वि० [सं०] छिड कने योग्य । सिद्धार्त हुआ। अभ्युचित—वि० [स०] परवरित | प्रवनित । नियमित [को०) । अभ्युपपत्ति-सज्ञा स्त्री० [सं०] १ सहायता के लिये पहुचना । २ । अम्युच्चय--सज्ञा पुं० [सं०] १ वृद्धि । उत्थान संपन्नता । उत्कर्ष । दया 1 अनुग्रह । ३ . अनुमोदन । स्वीकृति । मजूरी । ४ । । २ एकत्रीकरण (को०) । । । । । । । । सीखना । ढाढस 1 ५ रक्षा । बचाव । ६ वादा [को०] । अभ्युच्छय-सज्ञा पुं० [मं०] 1. चढाव ।उठान । २ सगीत में स्वर- अभ्युपाय-सज्ञा ० [सं०] १ वादा । २ स्वीकृत । ३ ३ . ५ साधन की एक प्रणाली जो इस प्रकार है—मा ग, रे म, ग प, म ध, प नि, ध मा । अवरोही--मा ध, नि प,,ध सा, प ग, अभ्युपायन----मज्ञा पुं० [सं०] १ मॅट । उ हार । २ रिस्वत [को०] म रे ग म । । । अभ्युपेत--वि० [स०] १ पहूचा हु प्रा । प्रायः हुप्रा । २ वादा कि । अम्यूच्छित--वि० [सं०1उन्नन् । उठा हुअा। उच्वे को०] । है । । स्वीकृत [को०] । अभ्युत्थान--सज्ञा पुं० [म०] [वि॰ अभ्युत्यायो, अम्युत्थित, अभ्युत्थेय] | अम्युषित--वि० [स०] माय या किट रहनेवार । * १ उठना । २ किमी वड़े के आने पर उमके प्रदर)के लिये अभ्युषित--सज्ञा पुं० माथ रहनेवाला [को०] । उठकर खड़ा हो जाना। प्रत्युद्गमन । ३ बढती । समृद्धि । अभ्यूढ--वि० [स ०] ममीप लाया हुआ [को०] । | उन्नति । गौरव ४ उठान ।'श्रार म । उदय । उत्पत्ति ।। अम्यूष-सज्ञा पुं० [सं०] १ एक प्रकार की रोटी । २ अघि 4फ अभ्युत्थायी---वि० [सं० अभ्युत्यायिन्] [स्त्री॰ अभ्युत्थायिनी] १ उठकर खडा होनेवाला । २ अादर के लिये उठकर खडा होने हुआ भोजन [को०] ।। वाला । ३ उन्नति करनेवाला । ४ बढनेवाला । । अभ्यूह-सा पुं० [म०] १ तर्क । बहस । २ निष्कर्ष । ३ अनुमान अभ्युत्थित--वि० [सं०] १ उठा हुआ। २ दर के ये उठकर ४ विचार [को०] । | खडा हुआ । ३ उन्नत । वढा हुआ । अभ्र कष-वि० [सं० अभ्रष] गगन बु जी । बहुत ऊँचा (को०] अभ्युत्थेय-वि० [सं०] १ उठने योग्य । २ जो 'अभ्युत्थान के योग्य अभ्र कप-संशा पु० १ वायु । हवा । २ पर्वत [को॰] । ' हो। जिसे उठकर दर देना उचिन हो। ३ उन्नति के योग्य। अनं लिह-वि० [सं०] गंगचूबी [को०] । अभ्युदय-संज्ञा पुं० [सं०] [धि० अम्युदित, अभ्युदयि ह] १ सूर्य ग्रंदि अभ्र लिह-सज्ञा पु० [सं०] हवा [को॰) । ग्रहों का उदय । २ प्रादुर्भाव । उत्पत्ति । ३ इष्टतम । मनो- अत्र-राज्ञा पुं॰ [सं०] १ मेघ । बादल । २ ग्राकाण । ३ ,,, ' , रथ की सिद्धि । ४ विवाह आदि शुम अवसर । ५. वृद्धि । धातु । ४ स्वर्ण । सोना । ५ नागरमोया । ६ गणित बदत। । उन्नति । तरक्की ।६ अस्तित्व में आना । प्राविभूत | शून्य । ७ कपूर (को०)। ६ बेत वेय (को०) । होना [को०] ७ घर में सतान के जन्म लेने पर किया जाने अभ्रक----सज्ञा पुं० [सं०] अवरक । मोडर । दे० 'अबरक' । वाला नादीमुखं श्राद्ध । [को०] । " अभ्रकसत्व -सज्ञा पुं० [सं०] इस्पात [को०] । अभ्युदाहरण---सज्ञा पुं० [सं०] कौटिल्य के अनुसार किसी तथ्य को अभ्रकूट-प्रज्ञा पुं० [१०] पर्वत कार वाद ( की चोटी को । | प्रमाणित करने के ये ' विपरीत' तय्य द्वारा दिया गया अन्नगगा--संज्ञा स्त्री० [सं० अर्ध्वगङ्गा] भाकाशगंगा (को०] 1 , उदाहरण । अन्ननाग-संज्ञा पुं० [सं०] ऐरावत [को०] ।