पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/३३७

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२७४ अभिनिविष्टे अभिभूत अभिनिविष्ट----वि० [सं०] १ धंसा हुआ। पैठा हुश्रा । गडा हुअा। अभिप्रतिसशा पी० [२०] १ नमीप माना। २ पूति । : रण २ बैठा हुआ । उपविष्ट । ३ एक ही अोर लगा हुआ । अनन्य ।। करना । ४ ० उपपत्ति [को॰] । मन से अनुरक्त। लिप्त । मुग्न। अभिपन्न--वि० [स०] १ निकट गया या पहुंचा हुअा । २ 'भगोडा । अभिनिवेश-सज्ञा पुं० [सं०] [ वि० अभिनिविष्ट, अभिनिवेशित) १: । ३ पराभूत या गित । ४ विपतिग्रम्। प्रभागा । ५. दोषो । प्रवेण । पेठ । गति । २ मनोयोग । किसी विषय में गति । ६ म्वीकृत । ७ मृत । ८ रक्षित । ६ दूर किया हुआ [को०] 1 लीनता । अनुरक्ति । एकाग्रचितन । ३ दृढ संकल्प । तत्परता। अभिपुष्प--- वि० [म ०] पुप मे प्रायन । फूलों में दुकः, जैसे, वृदए । ४ योगशास्त्र के पाँच क्लेशो में से अतिम । मरणमय से। अभिपुष्प-मा'वै० मदर पुगनायाब फ7 वि०] । उत्पन्न वलेश । मृत्युशका १५ दर्प । घमड । शान । नाक । अभिप्रणय---छा ti० [म ०] प्रेम । गृपा । अनुग्रह (फो०] । [को०)। ६ उत्कट लालसा । तीव्र प्रकिाक्षाः [को०)। अभिप्रणयन-सा पुं० [२०] मम्फार । वेद विधि में प्रग्नि ग्रादि का अभिनिवेशित--वि० [६०] प्रविष्ट । | सस्कार | अभिनिष्क्रमण-संज्ञा पु० [सं०] १ बाहर जाना । बहिर्गमन । २ अभिप्रपन्न --वि० [सं०] मप्राप्त । उपन०1 (ो०] ! वौद्धो के अनुसार प्रव्रज्या ग्रहणार्थ गृह का परित्याग । , अभिप्राणन-सा पु०[ १०]मारा बाहर छोट बा । फूक मारना ०] अभिनिष्पत्ति--सज्ञा स्त्री० [सं०] पूर्णता । ममाप्ति । अत । परिपूर्णता अभिप्राय—सा पुं० [न०] [वि० अभिप्रे त] १ अागय । मतलब । ', निष्पन्नता [को॰] ।। अर्थ । तात्प ।। गरज । प्रयोजन । उ०-३सुने मांक हुनकर अभिनिष्पन्न---वि० [स०] पूर्ण । समाप्त । सिद्ध [को०] । कुछ अभिप्राय मे पूछा !-:०, १० १०० । ३ अर्थ । माने । अभिनीत–वि० [स०] १ निकट लाया हुआ । २ पूर्णता को पहुंचाया मतना । जैसे, शब्द या वाक्य का (को०)। ३.ये । विवार । हुम्रा । सुसज्जित । अलकृत । ३ युक्त । उचित । न्याय्य । ४ मनार (को०)। ४ सत्र छ । लगाव (को०) । ५ विग्री का एक अभिनय किया हुआ । खेला हुआ (नाटक) । नकल करके नाम (०) । दिखलाया हुआ । ५. विज्ञ। धीर। ६ शुद्ध (को०) । ७ दयालु अभिप्रेत-वि० [सं०] १ इप्ट। अभिलपित। चाहा इग्री। २ प्रिय। (को०)। ६ स्वीकृत (को०) । ३. स्वोकृत । अभिनेतव्य-वि० [सं०] नाटक द्वारा प्रस्तुत करने योग्य । श्रमिनय अभिप्रोक्षण---सा पुं० [३०] यज्ञादि में प्रयुक्त विभिन्न पात्रों और के योग्य [को॰] । | गामानों को जन्मदि द्वारा मिचन (को०] । अभिनेता-वि० [म ०अभिनेतु] अभिनय करनेवाला । स्याग दिखाने- अभिप्लव-राज्ञा पुं० [म०] १ उपद्रव । उत्पात । फर्मादि । २ गा- वाला । नाटक का पात्र । (अ०) ऐक्टर।, , . मयन यज्ञ में प्रति मास का पचमाश जो छ छ दिनों का होता अभिनेत्री-सझा जी० [सं०] नाटक में अभिनय करनेवाली स्त्री । था और जिनमें से प्रत्येक फी अलग अलग नाम होना था। नटी 1(-०) ऐक्ट्रेस ।। | स्तोम शादि का पाठ जो एक अभिनव में होता थी । ४ अभिनेय-वि० [स०] अभिनय करने योग्य । खेलने योग्य (नाटक)। उमटकर बहन । बाढ़ । ५ प्राजापत्य मादित्य । । अभिनयमा पु० [हिं०] दे० 'अभिनय' । -उ०-नटवा निपट, ग्राभप्लुत-वि० [सं०] १ श्रावृत्त । भाच्छादित । २ युक्त का०]। -निपुन सिमडल मैं अभिनै भेद बताच, गीत रीति परवान सो। अभिभव—सझा पुं० [म०] [वि॰ अभिभावक, अभिभावो, अभिभूत] -घनानद, पृ० ३६६ ।। १ पराजये । २ तिरम्यार। अनादर । ३ अनहोनी बात। अभिन्न-वि० [स०][मक्षा अभिन्नती]१ जो भिन्न न हो। अपृथक् । विलक्षण घटना। ४ प्राबल्दै । अधिकना [को०] । अभिभाव-वि० [म ०] दे॰ 'अभिभावक' । एकमय । २ अप्रभावित (को०)। ३ जो बदला न हो। अपरि- अभिभावक-वि० [सं०] १ अभिभन वा पराजित करनेवाच । - व. १ (को०)। ४ अविभक्त । पूर्ण, जैसे, सखा (को०), १.५ तिरस्कार करनेवाला । २ जडे पर्यान् निम्ति कर देनेवाला । ३ ।मि -हू । सटा हुआ । लगा हुआ । सबद्ध । | वशीभूत करनेवाला । दबाब में लानेवाला ।रक्षक । मेर • यौ०---भिन्नपुट= नया पत्ता । अभिन्नहृदय= धनिष्ठ ।।";"" परस्त । उ०—अभिभावक अब वही हमारे नुते स्नेह सहित अभिन्नता---सज्ञा स्त्री॰ [सं०] १ भिन्नता का अभाव ।। पृथक्त्व। मुझको ।--प्रेम ९, पृ० १६ । ५ प्रक्रिमण करने से न (को०) । २ लगावट । सबघ । ३ मेल । अभिभीवन--वि० [सं०]वशी मूत करनेवाला । माने त । रुवि । ॐभिन्नपद—समा पु० [सं०] श्लेष अलंकार का एक भेद ।। ऋ भगद । उ०चले चतुर्दिक हैन अनि रापन |--माराधना, पृ० २५ । अलेप। । - । ।।।।। अभिभावी-वि० [स० अभिभावन] ३० *अभिभावक' ।। अभिन्यास--सञ्ज्ञा पुं॰ [सं०] सनिपात का एक भेदं जिसमें नीद नही अभिभावुक--वि० [स०] ३० 'अभिमायक' ।। । अाती, देह काँपती है, चेष्टा बिगड़ जाती है और इद्रियाँ अभिभाषण--संज्ञा पुं० [सं०] १ प्रवचन। भापण । २ वो नना। शिथिल हो जाती हैं और सिर के बाल वीच से अलग अलग भाषण देना ।। ३ अायोजन अादि में सवं मुख्य भाषण । {" हो जाते हैं। । । । । । । -- 1 । । । । । लिखित 'मोपण को । अभिपतन--संज्ञा पु०[स]'१' समीप थाना । २. अाक्रमण । प्रहार। अभिभूत--वि० [सं०] १ पराजित । हरया हुअा । २ पीडित । ३. प्रस्थान [को०] ।'!*! : (,८ - 1113 | । उ०—जब चले थे तुम यहाँ से दूत । तब पिता क्या थे अधिक