पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/३३०

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|| अवौली अत्रह अवोला--सज्ञा पुं० [सं० अ+ हि वोलन र ज से बोलवाल का न विशेष---प्रदान वासी होने से अहमदशाह के नाम के आगे यह होना । उ०--मिलि खेत्रिय जा सँग वालक तें कहु तासो शब्द जुडता है इसने नादिरशाह के बाद भारत पर १७६१ ई० अबोलो क्यो जान कियो । केगव (शब्द०) । मै अाक्रमण किया था। इसका युद्ध मराठी में हुआ था जिसमे अब्ज-सज्ञा पुं० [सं०] १ जन में उत्पन्न वस्तु । २ कमल । पद्म । | मराठो की हार हुई थी । इसकी उपाधि दुरए दुरनी भी थी। उ०-अकुम ऊरध रेख अब्ज अठकोन अभनतर --भारतेंदू अव्दैि —सज्ञा पुं० [सं०] वादल । मेध (को॰) । अ ०, भा० २, ५० ७ । ३ ख ४ निचल। इज्जल । अब्दुर्ग-संज्ञा पुं॰ [सं०] वह दुर्ग या किला जो चारो श्रोर से जल से हिज्जन । ईजड का पेडू । ५ चद्रमा । ६ घन्वतरि। ७ घिरा हो । वह किला जिसके चारो ओर खाई हो ।

  • कपूर । ८ एक संख्या । सौ करोड़ । अरब । ६ अरब के स्थान अब्धि--सज्ञा पुं० [म०] १ ममुद्र । सागर । २ मेरोवर । ताल ।

पर आनेवाली सख्या १,००,००,००,००० । ३ सात की संख्या ।४ चीर की संख्या का द्योतक (को०)। यौ०-अव्जकणिका-कृमले का छाता । अब्जज = (१) ब्रह्मा । अधिकफ सज्ञा पुं० [सं०] समुद्रफेन । (२) यात्रा में एक योग ।। अग्विज--मछा पुं० [सं०] [स्त्री० अधिना] १ समुद्र से पैदा हुई वस्तु । विशेष--यह तब होता है जब बुध अपनी राशि और अपने अश २ ख । ३’ चद्रमा । ४ अश्विनीकुमार । ५ नमक (को०)। का हो और लग्न में शुक्र या वृहस्पति हो । अग्विजा--सच्चा स्त्री॰ [सं०] १ लक्ष्मी। २ वारुणी । मदिरा [को॰] । अव्जद, अब्जेनयन, अब्जनेत्र= कमलनयन । कमल जैसे नेत्रो- अब्धिद्वीप-संज्ञा स्त्री० [सं०] १ पृथ्वी । २ समुद्र से घिरा मूखड । वाला । अब्जबाधव = सूर्य' । अब्जभव = ब्रह्मा । अब्जभू = टापू [को०] । ब्रह्मा । अब्जभोग =(१) कमल की जड । मॅसीड। (२) अव्धिनगरी--सज्ञा स्त्री॰ [सं०] द्वारकापुरी। कोही । बाटक । अब्जयोनि = ब्रह्मा । अजवाहत= शिव । अधिनवनीतक-सञ्ज्ञा पुं० [म०] चद्रमा को०] । अजवाहना= लक्ष्मी । अव्जस्थित = ब्रह्मा । अब्जहस्त= अधिफेन-सज्ञा पुं० [सं०] समुद्री झाग । ममुद्रफेन [को०] । सूर्य । प्रजासन = ब्रह्मा । अधिमकी----सज्ञा स्त्री॰ [सं० अन्वितण्डू की] वह सीप जिसमे मोती अब्जद—सा पु० [अ०] १ अरबी फारसी वर्णमाला के अक्षर । २ रहता है । अरबी अक्षरो का वह क्रम जिसमे प्रति अक्षर का मूल्य सख्या अधिशय---सज्ञा पुं० [सं०] 'विष्णु । में निर्धारित है। अधिशयनमा पुं० [सं०] दे॰ 'अब्धिय' (को॰] । विशेष--इससे लोगों के मरने या पैदा होने का साल निकाला अब्धिसार--सज्ञा पुं० [सं०] रत्न को] । जाता है। कुछ लोग बच्चों के नाम उसी आधार पर रखते हैं। अब्ध्यग्नि-सज्ञा स्त्री० [सं०] समुद्र की अग्नि । बडवानल । जिससे जन्मवर्प ज्ञात हो । अब्बर --वि० [हिं०] दे॰ 'अवल'। उ०--बब्बर की धाक औ अब्जदख्वा--सज्ञा पुं० [अ० अब्जद +फा० ख्वां] अरबी फारसी अकबर की साक मव्व, अव्वर की छाक लौं सनही मिसि | वर्णमाला पढनेवाला विद्यार्थी 1 नवसिखियो । जायगी ।—रत्नाकर, भा॰ २, पृ० १६८ । अव्जा-सज्ञा स्त्री॰ [सं०] लक्ष्मी । अव्वा—संज्ञा पु० [अ० अब =पिता का संबोधन आबा] पिता । वाप । अव्जाद-सज्ञा पुं० [सं०] हम [को०] । अव्वाजान--सज्ञा पुं० [अ० आबा +फा० जान] पिता के लिये अब्जिनी--संज्ञा स्त्री० [सं०] १ कमलवन । पद्मसमूह । २ पद्मलता । अादरसूचक सवोधन । पौनार । ३ कमलिनी (को०)।१ कमल से पूर्ण स्थान या अब्बास-मज्ञा पुं० [अ०] [वि॰ अब्बासी ] १ एक पौधा जो दो तीन । जलाशय (को॰) । फुट तक ऊँची होता है । गुल अब्बास ।। यौ०--अब्जिनीपति = सूर्यं । । ।। विशेष—इसकी पत्तियाँ कुत के कान की तरह नोकीली और लंबी अब्द-सज्ञा पु० [अ०] दास । सेवक । गुलाम । अनुचर । भक्त (को०] । होती हैं । कुछ लोग भूल से इसकी मोटी जेड को चोव चीनी अब्द--सज्ञा पुं॰ [स०] १ वर्ष । साल 1 २ मेघ । बादल । उ०— कहते हैं। इसके फूल प्राय लाल होते हैं, पर पीले और सफेद मर्कट जुद्ध विरुद्ध क्रुद्ध अरि ठट्ट दपट्टहि । अब्द शब्द करि गज भी मि नते हैं । फू तो के झड जाने पर उनके स्थान पर काले तजि झुकि झर्षि झपट्टहि --भिखारी ग्रे ०, भा॰ २, पृ०१६ २ । काले मिर्च के ऐसे वीज पडते हैं । ३ एक पर्वत । ४. नागरमोथा । ५ कपूर । ६. अाकाश । ३ हजरत मुहम्मद साहब के चाचा जो अम्वासी खलीफा के ३०--जय जय शब्द अब्द अति होई। वर्पत कुसुम पुरंदर पूर्वज थे । सोई -गोपाल (शब्द०) । अब्बासी-सच्ची जी० [अ०] मिस्र देश की एक प्रकार की कंपनि । यौ०-अब्दप = वैपधिप । इद्र । अब्दज्ञ =ज्योतिषी । अब्द वाहन अव्वासी–वि० [अ०] १ गुनबासी के फून के रग की। २ हजरत इद्र } अब्दसार= कपूर ।। | अव्वास के वश में या संबंधी । अब्दकोश-संज्ञा पुं० [म० अब्द+कोश, अं० इयरडे] १ वह वार्षिक अविदु-पक्षी पुं० [सं० प्रब्बिई ] १. जनविद् । २. मू । संग्रहग्न थ जिनमे वर्ष के मुख्य व्यक्तियो, घटनाप्रों, जानकारियों | अनुविद् [को०] । आदि का विवरण मिनें । २. व वर्ष का विवरणसंग्रह । नैवींह----वि० [सं० अप, त्रै० अत्र+जह] निर्भय । निडर । अब्दाली--वि, सो इं० [फा०] माल का निवासी (व्यक्ति)। ३०---दिन सीह वह सपेट खिल्ले ।-यू० रा०, १॥३१२।