पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/३२७

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अबलंख २६४ अदावतं । अबलख---वि० [सं० अवर्लक्ष] सफेद । श्वेत । अवलखा-सज्ञा स्त्री० [अ०'अवल] एक पक्षी । विशेष---इसका शरीर काला होता है, केवल पेट सफेद होतो हैं। इसके पैर सफेदी लिए हुए होते हैं और चोच का रग नारंगी होता है । यह उत्तर प्रदेश बंगाल तया विहार में होता है और पत्तियो तथा परों का घोसला बनाता है । यह एक बार में चार पाँच अडे देता है । इसकी लवाई लगभग नौ इंच होती है । अवलां--संज्ञा स्त्री॰ [सं०] स्त्री । नारी । उ०—-पावस कठिन जु पीर अवला क्यो करि सहि सके । तेऊ घरत न धीर रक्तवीज सम ऊपज 1--विहारी (शब्द॰) । | यौ- अबलासेन= कामदेव । अबलाबल-सज्ञा पुं० [स०] महादेव शिव । (को०] । अबलि---संज्ञा स्त्री० [हिं०] दे॰ 'अव ती’। उ०—-नीति प्रीति छवि अबलि ए सत्र सरि की भाँति ।---पोद्दार अभि० ग्र०, पृ० ५३३ । अवली -सज्ञा स्त्री० [सं० झवली] १ पक्ति । २ समूह । उ०-वर विहग अब नी जहँ भाँति भाँति की श्रावति ।--प्रेमघन॰, मा० १, पृ० २ ।। अबल्य–सज्ञा पुं० [सं०] १ दुर्बनती। कमजोरी । २ बीमारी । | रुग्णावस्था [को०] ।। अबल्य–वि० जो वलकारक न हो । अववाव—सज्ञा पुं० [अ०] १ वह अधिक कर जो सरकार मालगुजारी पर लगती है । २ वह अधिक कर जो लगान पर जमीदार को असामी से मिलता है । भेजा । अधिक कर । लगता। ३ क्ह कर जो गांव के व्यापारियो तथा लोहार सोनार आदि पेशे- वा नो से जमीदार को मिलता है। धरद्वारी । वसौर। भिटौरी। अवस'- वि० [सं० अवश] दे॰ 'अवश' । उ०---चंदन में नाम मद | भयो इद्रनाग, विष भरो शेषनाग, कहै उपमा अवम को ।- भूपण ग्र०, पृ॰ ३० । अवस--वि० [अ०] व्ययं । निरर्थक 1 फजूल 1 वेकार [को॰] । अबहि –क्रि० वि० [हिं०] दे० 'अभी' । उ०—–अवहि उगत ससि । तिमिरे ते जब निसि उसरत मदन पासरे ।-विद्यापति०,६८। अवाँह--वि० [हिं० अ + वह] १ विना वह का। जिसे बहि न हो। अवाहू 1 असहाय । अनाथ । वैसहारा । अवा- सच्चा मुं० [अ०] अगे से मिलता जुनता एक प्रकार का पहिनावा ।। विशेष—यह अगे के बराबर या उससे कुछ अधिक लवा होता है। यह ढीलाढाला होता है और सामने खुला होता है इसमें छह कलियाँ होती है और मामने केवल दो घुडियाँ या तुमके लगते हैं । कोई कोई इसमें गरेवान मी लगाते हैं । यह पहनावा मुसलमानों के समय से चला आता है। अवाक ---वि० [हिं] ३० 'अबाक' । उ॰—तन अमो के परखर रहा जोहरी याक । दरिया तहाँ कीमत नहीं, उन मन 'भया अबाक ।--दरिया० वानी, पृ० २० । । अबाद-सज्ञा पुं० [हिं०] खराव रास्ता । कुपथ । उ०---मन कमें मर्म अबाट परिहरि बाट घर को देत है--कवीर ना॰, पृ० ४०१ । यौ०---अव्राट सवाट = अडवड । गलत सलत ।। अबात--वि० --[स०अवात] [स्त्री० याती] १ विना वायु का । २ जिसे वायु न हि जाती हो । ३ भीतर भीतर मुलगनवाला । उ०—प्राई तजि ही तो ताहि तर नितनूजा तीर, ताकि ताकि तारापति तरफति ताती सी । कई पद्माकर घरीफ ही में धन श्याम काम तो कतलबाज कुज ही है काती सी। याही छिन वाही सो न मोहन मिलोगे जो पै नगनि लगाई एती अगिनि अबाती सी । राउरी दुहाई त बुझाई न बुझेगी फैरि, नेह भरी नागरी की देह दिया वाती मी ।—पद्माकर (शब्द॰) । अवाद -वि० [सं० अाद] वादशून्य । निर्विवाद 1 उ०—प्र# विचारे ब्रह्म को पारख गुरु परमाद । रहित है पद राखि के जिव से होय अवाद |--कवीर (पान्द०)। अवादान–वि० [फा० श्रावादान] वसा हुआ । पूर्ण । भरा पृ।। उ०—यह गाँव अबादान रहे ।--( फकीरो की वोली )। अवादानी--सज्ञा स्त्री॰ [फा० अावादानी ] १ पूर्णता । बस्ती। उ०-२-भूखे को अन्न पियामे को पानी। जगन जगन युवादानी (शब्द०)। २ शुभचिंतकता। उ०—जिसका खाए अन्न पानी, उसकी करे अन्नादानी (शब्द०)। ३.चहल पहल । मनोरजकता। उ०-~-जहाँ रहैं मिया रमजानी, वहीं होय अबादानी (शब्द॰) । अबाध--वि [ सं०] १ वाधारहित । बेरोक । उ०—हँसी का मदविह्वल प्रतिबिंब मधुरिमा खैला सदृश अबाध |--कामायनी पृ० ४८ । २ निविघ्न ( उ०--राम भगति निरुपम निरुपायी वस जासु उर सदा अबाधी ।—तुलसी (शब्द०)। ३ असीम । अपरिमित । अपार । बेहद । उ ---अन्न भनी अवधि अभेद नेति नेति कहि गावहिं वेद ।--सूर० (शब्द॰) । अवाधगति--वि० [ म० शवधि + गनि ] जिसकी गति अवाः बेरोक हो । अबाधा--वि० [हिं०] दे॰ 'अवाध' । उ०—रघुपति महिमा अगुन | अबाधा !-—तुलसी (शब्द॰) । अवाघित--वि० [सं०] १ बाधा रहित । बेरोक । २ स्वच्छ स्वतंत्र । ३ अनि पिद्ध। अवाप्र---वि०म०] १ वेरो छ । जो रोका न जा सके । २ अना ३ जो वश मे न किया जा सके । अवान--- वि० [स० अ = नहीं+हि० बाना = चिह्न शम्त्ररहित । हथियार छोड़े हुए। निहत्था । उ०—चढे पिट्ठ दस कोम ला सव अजवीर अवान । फंने पाय सूरज वली ठाढौ ता मैदानी- सूदन (शब्द०)। अवाबील--सज्ञा स्त्री० [अ० ] एक काले रग की चिटिया । कृष्ण। कन्हैया । देवविलाई । विशेष—इम की छाती का रग खुत्रता होता है । इसके पैर बहुत छोटे छोटे होते हैं, जिस कारण यह बैठ नहीं सकती और ।। दिन भर बहुत ऊपर अार्कश मे झड़ के साथ उड़ती रहती है ! यह पृथ्वी के सभी देशों में होती है। इसके घोंसले पुरानो दीवारों पर मिलते हैं । । ।

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