पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/३००

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अपन। २३७ अपना (a) हरि के 'ननिन उ7 निहा। मुभने उर दधि बु ? गद नति अपनप नाम् । तु नदी () । ४ अङ्गकार । गई । ममना । अगाउ । उ०—-गदा प्रपनप रे दुराए । मा विधि गन उग पनप --नुनम (ग३०) १५ प्रमगौरव । मर्यादा । मान । उ०--निन के राय में तु पो प्रमू वह अपनी १।२।--नुनी (शब्द०) ।। अपनय-मंशा पुं॰ [सं०] १ दूर ना पा हट्टाना। २ अपकार । ३ अनीति । अन्य । ८ अयंगात्र के अनुसार मधि ग्रादि उचित नि पर न करने का व्यवहार जिम विपनि । म पत्रमा हो जानी है, [फो०] । अपनयन-मज्ञा पुं० [न०] १ दूर करना हुटाना } २. म्यानातरित करना । एक म्यान में देरे मन पर ने जाना । ३ नशातर करना । गति के गमीकरण में कि आणि के एक पत्र में दूसरे पर म ने जाना । विशेष—जैम- इ +५= 1+ २५ =२१-=२-५ = यः == २० इस क्रिया में पढ़ने पक्ष के पांच को दूसरे पक्ष में ले गए और दूसरे पक्ष के हैं को पहले पक्ष में ने प्राए । ४ वरन । ५ (रोग अदि) अच्छा करना या दूर करना (को०)। ६. कर्ज अदायगी । ऋएपरिशोधन (को०)। ७ ग्रन्याय । अपनर्मक-संज्ञा पुं० [ग ०] एक प्रकार का हार ।। अपना'-मर्व ०[ म ० श्रात्मन., प्रा० अप्पणी] [स्त्री॰ अपनी] [क्रि० अपनाना] १ निज का। '०-गान् चोर तुनाएनि माना। मीनहि मे भरी हिन अपना ।—मानस, ५॥१० । विप---मी प्रयोग तीन पुप में होता है। जैसे-तुम अपना काम करो। मैं अपना काम कम्' । वह अपना काम करे । मुहा०—-अपना उल्लू मीया करता = किंग को मूर्ख बनाकर अपना कार्य निकालना । स्वार्थ सिद्ध करना । अपना फरके छोटना = अपना बना लेना । उ॰--हरीचद अपनी नारि छड तव पर जाऊ रे -भारतेंदु ग्र०, भा० २, पृ॰ ३६८ ! अपना फरना= अपना बनाना । अपने अनुकून कर नैना । जैसे,--मनुष्य अपने व्यवहार से र एक को अपना कर सकता है (६०) । अपना पहा फरना = (१) अपनी बात पर दृढ़ रहना । वचन के अनुगार मच ग वरना । (२) अपनी जिद पूरी करना। अपनी कान देते विना फौ के पी३ दौडना]=(१) मूत्र को भूलकर भटकना । (२) गप पर विश्वास पर वैटना । अपना काम फरना: प्रयोजन निकालना। अपना किया पाना= एि को भुगना । पमं ना फन पाना । अपनापन पापित करना = भाईचारा उत्पन्न करना । प्रात्मीयता बढाना । अपना पराया= शमित्र। जै-तुम्हे अपने पए फी पर नहीं (शब्द०) । अपना पाय धाग में डालना = अपने पैरो प्राप पु हाद मारना । अपना पूत पराया धगदए ही ग तो पर अपने पुत्र को प्यार करना पर दूसरे पै वच्चे को टूटना। अपना बना सेना=(१) दोन बनाना । मित्र बनाना । (२) वन में कर तेन । (३) प्रेमी इन नेन । (1) छीन लेन । अपरा बेगाना = दे० 'भपना परवा'। अपना रोना रोना = अपना ही दुई जन ना, ३२ ही न जुन ई । अग्नी री या == अपने मामयं जा ग्रि : ।। ३ । 'म' प्रपन गग्ना । उ०—(क) दो वन न न न १ २ ३ ३ । वडी गुजान | अपनी में बारि गई। : ।1। अान —सूर (नब्द॰) । (7) दुन्दिर में । । । करि गयो गर्व गैयाः।---नुनमा (ब्द०)। प्रपती मा पचनाअपनी मी वर नुन । ३०-ट* न नि । । । । नर मा जनु फि नी नभनि ग्रन। --नद० १०, पृ०२३८ । अपना सा मुह लेकर रह जाना = किन उति में 97 पं होने पर उज्जित रोना । ३०---प्रौर । गा 57 कर अपनी माँ पर अनेक इट गए 1---फिमाना, न ० ३, १० २२ । अपनी प्रकले अपने पास रग्ना = र 21 ' ' ३ अनावश्यकता अपनी अपनी कहना = अपना अपना fix चिा प्रकट करने । ३०--अपनी अपनी उन , १r ] धनि ध्यान |--कवर मा० म०, पृ० ८६ । अपनी अलग ग्गिचटी पकाना=मयन पृथकू का यं या विचार - अपनी अपनी आ पडनी = अपनी अपनी निता में व्यय होना । अपना अपना पनि हो । उ०—गद्माएर फछ निज या, पर बयान । जाहि न Tो, ता है पदी अपनी अपनी अन ।- 'पापर (शब्द॰) । अपनी श्राग में प्राप जनन = रिमी गैः प्रति ईन्, "प या क्रोध में प्रभावित होना । प्रपती गलियों में अपनी व कुवारी = अपने पाँव प रा मानना है या हाथो अपनी हानि कर नेना |-अपनी गति में प्रप अधिों को तीन मुनानगी !-चुभते, १० ८ 1 अपना गाना = अपनी ही बात माना और किसी की न सुनना । अपनी गुडिया संगर देना= अपने मामध्ये रेः अनुरि बेटी को पा र देना । अपनी नींद सोना = म ने इगुनार, पर ना ! अपनी बात का एपः = यादै । पर । १।। अपनी चात पर पाना = इट पटना । निदृ 7 [ । नेग-नन । अपनी बात पर अा गया है, नहीं माना। (जन्द०)। अपनी ज्ञपि का महा ना -८ म्यान्नवी हुन । प] धन या पौरुप का भरोना होना । ३०-३६ माई प फ 4 हार गई । जर को अपनी मारी है जिने । भन०.१० ४६। अपनी जान हरदम सूली पर हो । = स ट हो गदा शान हैं। 1 । हरदम ख़तरा हूँ।ना । अपनी यातो मा पर बसी पहुना है। अपने या दूगने पर घटित बन गए। ३० --- अपना व मह रि' पर याता, यह वही मने * ।---र १०, ९० ३१ । अपनी मुट्ठी में परिनी = म ने पत्रं पा च में मरना ।। ---उसके मन से अपनी मुटठी में २, नमः। म नैना -रमु० ० ६९, १० : । अपन । काना= मनमानी कर 7 | इ०--यह अपी मो करता । ३१ जा रहा है ।-प्रेमपन० भ० २.१० ३१६ । अपने पर का रास्ता तैना= चलने अनन। अपने ६ रन । । । अपने हक ना= किनी में न । किमी 17 नन । भेद छिपाना । जैसे,--नीर जोग दवा मई 1! ६ । (६०) । पपने में है नाना = ८पने प, म । न । ३०-दिन को पर्ने भने । है दी। । मम ।। ६त्र में फिर हिसान ६ मूढ़ में देने में भारी ।