पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/२८७

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२२४ अनेय अननुकन्या अनृतुकन्या-- ० [२०] कन्या जिभे रजोधर्म न हुप्रा होको०] । अनैकश–क्रि० वि० [न०] अनेकवार । बार वार । उ० --भेरी कामना ग्रनृतुप्रति मैन्य---- मुं० [सं०] वह मैना जिनके अनुकून ऋतु न है कि इस दिवस की अने कश पुनरावृत्ति हो ।- शुक्० अभि० | ::ना है। । । य०, पृ० १५ ।। विशेष--टिप ३ अनुहार ऐसी पेना ऋतु के अनुकू । वस्त्र, अनेकफ-वि० [न०] फटे खुरोवाला (को०] । ग्त्र, वत्र धादि का प्रवध हो जाने पर युद्ध कर सकती है, अनेकशब्द--वि० [सं० पर्यायवाची (को०] । पर भूमिमग्न (अनुपयुन भूमि में फेंनी) नेना कुछ करने में अनेकसाधारण–वि० [सं०] अनेक में पाया जानेवाला । वहूतों में असमर्थ हो जाता है। | पाया जानेवाला [को॰] । अनृशन-वि० [३०] क्रन्तारहित । अकठोर । मृदून [को०] ।। | अने कागी--सज्ञा पु० [म० भने काङ्गिन्] वह जिसे कई अग हो । अनृापना-ना नै [२०] 'ना का अभाव । दयालुता [को०] । जिसके बहुत हिस्से या भाग हो । अन५----वि० [न० न्याय, प्रा०) अन्ना) प्रेन्या) अनाव) अनेकागी---वि० अनेक अग, भाग या हिस्सोवाला (को०] । अने) अनेऊ] बुरा । जव । अनेकात–वि० [सं० अनेकान्त] १ जो एकात न हो । २ जो स्थिर अनेक----वि० [१०] एक से अधिक । महत । ज्यादा। अमख्य । | न हो। चचल ।। अनगिनन् । अनेकातवाद---संज्ञा पु० मि० अनेकान्वाद] [वि० अनेकोतवादी] जैन । | वो०-अनेकानेक । | दर्शन । ग्रार्हन दर्शन । स्याद्वाद। अनेकातदादी---वि० [सं० अनेकान्तवादिन] अनेकातवाद को माननेग्रने काम-वि० [म ०] ए से अधिक इच्छाग्रोवान्ना (को०)। | वाला [को०] । अनेक कालावधि-क्रि० fi० [सं०] बहुन को न मे या चिरकाल । अनेकाकार-वि० [सं० अनेक + आकार] अनेक प्रकारवानाअनेक ना [२०] । प्राकृतियोवाला [को०] । अनेककृत-पग पुं० [२०] शिव (को०] । अनेकाकी--वि० [म० अनेक्रान्]ि [वि० स्त्री० अनेकाकिनी] अकेला अनेचर-वि० [न०] नम्ह या मुई में रहनेवाला को०] । नहीं। कई लोगो के साथ को०] । अनेकचित्त--- वि० [२०]१ अनेक बस्तु की कामना या ध्यान रखने बन गरेका अनेकाक्षर--वि० [सं०] अनेक अक्षरों से युक्त किो०] । यात्रा । २ च १२ मनवाना । चपलचित [को॰] । अनेकाग्र–वि० [सं०] १ जो कि मी एक विषय पर ध्यानस्य न हो। अनेकज'-वि॰ [२०] जिसका जन्म एक बार से अधिक हो (को॰] । कई कामो में लगा हुमा । २ ३ नझा इशा। अनप्रबस्थित [को०] । अमेव ज. स. पुं० पद कि०] । अनेकाचू-वि० [सं०] जिसमे बहन से 'अच' या स्वर हो । वहुत में अनेरजन्मा-वि० [१०] १० 'अनेरुज' (को०)। स्वरो से युक्त । (शब्द या वाक्य) जिसमे बहुत से स्वर हो । अनेना --17 ० [न०? २० 'अनेकत्व' । अनेकार्थ-वि० [न०] जिसके वहुत से अर्थ हो। बहुत अर्योवाना। अनेकत्वमा पु० [१०] एफ में अधिक होने की स्थिति या भाव।। अनेकार्थक---वि [म०] दे० 'अनेकार्थ' [को० ।। । ३र३ । अनेन ०] । अनेकान- वि० [म] जिममे एF से अधिक 'प्रल' (स्वर और व्यजन) | वाला । अनेकन-क्रि० पिं० [२०] कई जगह। कई स्थान (को०)। अनेकाञ्चय---वि० [भ] अनेक या कई पर निर्भर रहनेवाला [को०] । अनेका –त्रि० f६० [म ०] कई प्रकार से । कई तरह से [को॰] । अनेकाश्रित--वि० [सं०] दे० 'भनेकाश्रय' [को॰] । अनेरा--ज्ञा पुं० [२०] हि ।। हाथी को०] । अनेग –वि० [अ० अनेक 1 वह अधिक । ज्यादा । उ०-~-कि अनेदभार्य---fi० [ग] म पत्नियोपाना (को०)। | रहे द्वार नेग माँगन अनेग नेगी, वो नन न खोल व्याज खोलत अनेमुन्ने---वि० [२०] [ी अनेकमुखी] १ अनेक चेहरेवाला । खहिनि के |--देव शब्द०)। । अनेर गुजाना । २ कई दिगाग्रो में जानेवा । (को॰] । अनेड--वि० [सं०] १ मूवं। २ बुरा। खरा (को॰] । अनेकनूर्ति- सुं० [३०] विगु का एक नाम (को०)। अनेड’G+--वि= मि० अनृन] २० 'अनैरा' । अनन्'-० [२०] [ी० नेपा] १ कई पोवाना । २ अनेइमूक-वि० [स०] १ गंगा प्रहर । ३ अ ।।। ३ वेईमान । कपटी । दुः। वदमन [ो]। ननन १८} । अनेडा)- वि० [नं० प्र + नि:, श० तियर, निवड] दूर । अममीप। अनेर--- ० रामेश्वर [२] । । उ०—जा मयेरा बाट ग्रन फिर नहि लागै जोर, बटोही का भने नोचन--7 पुं० [१०] १ =z । २ नि । ३ विराट्पुरुष । रे मात्र ।--मनचार्ग. भा० २ पृ० ३० । रा ] अनेता--न पुः [देश॰] माल की लता (हरादून)। अनेननन---- 7 [२०] १ ३ नन । २ द्वित्र वन । अनेम –महा पु० [हिं०] १० ग्रनियम' । ३०--प्रनियम थल नेमहि नेप'-f• [६० ! 7 रा १३८ । गहै नियम ठर जु अनेम 1 --भिप्रारी० ग्र०, मा० २, पृ०३३ पर 71...- . यागनि । उन्क प्रजन रानियो (य० ।। अनेय -वि॰ [न. अतीति, प्रा० अ +णी] अन्याय में होनेवाली । अनतिजन् । उ०—तुम मृधम राजन अनेय जा भनेर -दि० [७] पनेर' प्रकार का । विभिन्न कोटि का । अधिकारिय !-पृ० ० ६६५४६६।