पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/२८०

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अनुरोधक २१७ अनुव अनुरोचक-वि० [१०] अनुरोध परवाना [a] । अनु नोम विवाह-... ई० [१०] इ7 वर्षों में पुरु" पर अपने में अनुथिन-- ० [२] १ अनुन । परिपालन । प्राजक्ता कि नीच य म यी ६ माघ विवाह । ग्नि । अादर । इच्छापूनि। ३ किमी के प्रेम प्राप्त करने पर जैसे-शाह्मण या त्रिय, वैश्या या भूटान में यः धन्या गाधन (2) । या शुद्रा में प्रौर वरया का जू में विवाह 1 इग प्रार के गधे अनुरोधी--भि० [२० अनुरोधिन् ] ३० 'अनुरोधक' (की । में जो सतत होती है वह अनुमोम मर कहती हैं । अनुर्वर---वि० [२०] [वि० ० अनुवंरा] १ निममै उपज न हो । अनुलोमा–छा ग्री० [१०] पत्रि में नीचे य । मत्री (23 } जो ज ज न ही । ३०---ग विकराल, अनुवंर, असर अरसे अननोमा सिद्धि-राज़ वी० [सं०] पौर, डानदि नशा गैनोपनियों गान प्रानर में 1--वानि, पृ० १४ । २ निफन । ३०-- को दान तथा भेद में अपने अनुकून करना । ममटी हुई मनन विद्या अनुवंग या झाको । अनुल्त्रग, अनुवा ---० [सं०] १ जो अधिक न हो। 7 अधिक गाधनी, पृ० १७ ।। न अल्प । ३ बम्पाट [को०] ।। अनुग्न--वि० [सं०] नग्न । पीछे लगा हृश्रा 1 जान बूझकर चिपका अनुवा--मको ० [सं०] १ बगवृक्ष । वनाउनी । गुरमीनामा । ३ हुअा (०] । | अधुनिक या नई पीढी (को०) । अनुपि---राज्ञा पुं० [१०] १ बातचीत । वार्तालाप । उ०—ानियों अनवग्य--वि० [२०] बगा या यशाव मे मग्रिन। जो हुरी | रे बीच में होने 'नगा अनुताप -म०, पृ० ६ ५ २ पुन । नामे में हो [ो०] । रक्ति । किसी बात को प्रकारात' से बार बार कहना (को०)। अनुवक्ता---गश पुं० [न० अनुक्त ]उत्तर देनेया। प्रति । बाद ग्रेनुलानित--वि० [म०] अनुरजित । जिगका मनोरंजन किया गया। में बोने ना । पुन पाठ करनेवाला । दोहराने घाउ [२०] । हो [ ] । अनुव----वि० [म०] १ अत्पन कुटिल या टे।। २ टे या अनुलाम--सस पु० [सं०] मयूर । मोर (फो०] । तिरछा (पो०] । अनुनास्य---सा पुं० [९] ० 'अनुराग' [को०] । अनुवचन-संज्ञा पुं॰ [१०] १ प्रवृिनि । दोहरानी। पढन । २. अनुलिगि--ना पु० [सं० अनु + लिपि] प्रतिलिपि । नल । उ०—। अध्यापन । शिक्षण । न्यायान । मापण । ३ अध्याय । पाठ । अनुनि श्रादि का चुछ कुछ प्रयास करना प्रारंभ कर देने से । प्रकरण । ४ भिन्न छपियो द्वारा निर्दिष्ट नियमों के अनुसार | नीम ही होता है । भाप नि०, पृ० ६६ । मत्रपाठ [को०) । अनुले व--- पुं० [० अनु +ोग्य] अनुन्निपि । प्रतिलिपि । अनले न--सशा पुं० [सं०] १० 'अनुलेपन' । उ --समृति के विक्षत अनुवत्सर'-सटा पुं० [सं०] ज्योतिष के अनुसार ज पनि पग रे, यह बनती है डगमग रे, अनुनैप उदृश तु लग रे ।--- युग होता हैं उमा चौथा वर्ष । ल', पृ० ५ ० । अनुवत्मर-मि० वि० प्रतिवर्ष । मालाना । अन्नपद-वि० [२०] [ग्नी० अननैपिका] जो शरीर पर लेप, उबटन अनुवदना(५१-० ग० [सं० अनु + चद्] पात दररना । इनर अादि माना है [२०] । प्रत्युत्तर करना । कठजनी करना । ३०-- न अद अनुलेपन----सा पुं० [सं०] १ किमी तरन बस्नु की तह चदाना । | मुपद् रामाज -विद्यापति, पृ० ३१४।। लेपन । '३०–अनुलेपन गा मधुर स्पर्श था |--कामायनी, पृ० अनुवतन-मज्ञा पुं० [१०] १ मा मरगण । अनुगमन । २ गुन्ग । २१५ । ३ मुग, द्रव्यों में अपधों का मर्दन । उयटन म मान पाचरण। ३ किमी नियम को यः *रानों पर पर वार करना । उटना 'नाना । ३ 7ना । पोनना। लगना ।४ परिणाम । फ (के) ! ५ ज प (२०) । अनुलेगी--वि० [० अनुपिन् ६० 'अनुपक' [को०] । अनुवतिनी-वि० [सं०] अनुगामिनी । अनुगरण फनैरानी । अनुनोम--- ५० [१०] १ ॐने मे नीने फी पोर पाने का श्रम । अनुवतिनी--- ० भार्या । परनी (०) । उतारा निाि । २ उनम ने अधम की घोर झाना हुमा अनुवती-वि० [अ० अनुर्यानन] [० अनु निनो अनुग्रण] यग्नश्रेणीक । ३ मीन में गुर्ग मा उता। अपरोही । ४ । इन। अवरो । यात्रा । घनगरि रिनार र नैवात्रा 1 पन्न । मन नरमी । प्रत्रिोम क उ र दिम [० ।। | १२ करना । यी --अनुलोम पाहू ।। अनुवा--वि० [ग] पनि । म के 7 पर 17 । अनुलोमज ---विः [१०] [fi० पी० अनुसोनजा] वई (संतान) जो उगा । जारी (२ ।। अनु वो म नि । उत्पन्न ।। । अनुदो में गर । अनुवा'.-7 !• स रिता । शिम 7 (३० । अनुलोमजन्मा-वि० [२० भन्लोमजन्] ३० 'अनुरोमज' ]ि । अनुवनिन- { २०] १ : * * { x;{ ११• अनुलोमन-- ६० ग] पर पोप 3 जो पेट मे १ ए गोदो दि १ : या प्रः । । । ०।। | | r६ निः।। पोद्धा से दूर करनेया अनुयह-: " [१०] भरि । मा! f; न १ ; ? * ४३ : १८ । २ म्यानिक म । मुगुनोम ० है