पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/२७९

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अनुरंजक अनुरोध अनुरजक–वि० [सं० अनुरञ्ज] मन बहलानेवाला । प्रसन्न अनुरागी--वि० [सं० धनुरागिन् ] [वि० सी० अनुरागी | अनराग | करनेवाला [को०] । रखनेवाला । प्रेमी । उ०-या अनुरागी चित्त की गति अनुरजन-सज्ञा पु० [सं० अनुरञ्जन] १ अनुराग । असति ।। समुझे नहि कोय ।—बिहारी २०, दो० १२१ । . नीति । २ दिलबहलाव अनुरात्र–क्रि० वि० [सं०] प्रतिरात्रि । रात्रि में । एक के बाद दूसरी अनुरजित–वि० [म० अनुरञ्जित] ग्रानदित । अनुरागयुक्न । उ०-- 'रात [को॰] । | मन को अनुरजित करना ही यदि कविता का अतिम लक्ष्य अनुराव'–वि० [सं०] १ करयाग करनेवाला । हितकारक । २ माना जाये तो ।--रस॰, पृ॰ २८ ।। अनुराधा नक्षत्र में उत्पन्न [को॰] । अनुरक्त--वि० [स०] अनुरोगयुक्त। प्रेमयुक्त ।---सरिता बनी अनुराध ---सद्मा पु० [हिं०] विनती। विनय । अाराधन । प्रार्थना। साया उसे कहती कि तुम अनुरक्त हो ।-कानन, पृ० २६ ।। याचना । उ०—–पुर म्याम भन देहि न मेरो पुनि फन्हिीं २ शासक्त । लीन । उ०—रहै सदा हरि पद अनुरक्त । अनुराध ।--सूर०, १०५१-८६ । -मूर०, ९१५। ३ प्रसन्न । खुश । सतुष्ट (को०)। ४ अनराधना--क्रि० स० [१०] अनुराध से हि नाम०] विनय लालिमायुक्त। रगीन (को०) । ५ हर प्रकार से अनुकूल । करना । विनती करना । मनाना । प्रार्थना करना । भक्त । निष्ठावान् (को॰) । अनुरक्तप्रकृति-वि० [स०] (राजा) जिसकी प्रजा उसमे अनुरक्त उ०—मैं ग्राजु तुम्हें नहि वाँध, हा हा करि करि अनुराध । हो । प्रजाप्रिय । । --सुर, १०५१६३ । । अनुरक्ति--सज्ञा स्त्री० [सं०] असिक्ति। अनुराग 1 प्रीति । 'भक्ति। अनुराधग्राम--संज्ञा पुं० [म०] अनुराध द्वारा स्थापित नका की उ०—उर मे जाने पर भी वन की स्मृति अनुरक्ति रहेगी यह !-- प्राचीन राजधानी जिमका एक नाम अनुराधर भी है (को०] । पचवटी पृ० ११ ।। अनुराधा--सच्चा स्त्री॰ [स०] २७ नक्षत्रो मे १७ वा नक्षत्र । उ०-- अनुरणनसशा पु० [ मे० ] १ नूपुर, घटा आदि की ध्वनि । २ । भादौ मुक ना छुटठ को, जो प्रनुरावा होय । नाता मवत यो जुडे, प्रतिध्वनि | गूज । ३ शब्दव्यजना को०]। भूखा रहै न कोय (शब्द०)। अनुरणित-वि० [सं०] झकृत । ध्वनिन [को०] । विशेप-वह मान तारो के भिनने से सॉकर दिखाई देता है। अनुरत–वि० [स०] १ तीन । आसक्त । उ०—चरननि वित्त यह नक्षत्र बडा शुभ श्री र मागलिक माना जाता है । निरतर अनुरत राना चरित रसातं ।---सुर, १।१८।२ अनुरुद्ध--वि० [स०] १. रोका हुप्रा । बाधित । निमा प्रतिअनुरागी । प्रिये ।। बाद किया गया हो । २ तोधिन । सरधित [को०] । अनरति-संज्ञा स्त्री० [सं०] लीनता । प्रायविन। न । अनुरुहा--संज्ञा स्त्री० [सं०] एक प्रकार की घाम [को॰] । अनुरत५–वि० [स० अनुरक्त, प्रा० अनुरत्त] दे० 'अनरक्त' उa-- अनुरूप-वि० [सं०] [सज्ञा अनुरूपता] १ तुल्य रूप का । सदृश । मजे सूर सावत मव, सुमुख से मर अनुरत्त ।-हम्मीर, पृ० २३ । | समान । सरीखा । २ योग्य। अनुकून । उपयुक्न । उ०-- अनुरपी--सज्ञा स्त्री० [१०] सड़क के दोनों शोर पंदन च नने का निज पनुरूर मुनग अरु माँगा ।—मानस, १२२८ । भार्ग । सड़क का किनारा { पटरी । [को०] । पनुरूपक--मज्ञा पु० [म.] अनु+रुपक] प्रतिमा। प्रतिमूति । अनुरध9-~~-सज्ञा पुं० [स० अनिरुद्व] दे० 'अनिरुद्ध' । उ०--कृष्ण उ०-~-नोभियन दत रुचि मुन्न डर ग्नानिए । सत्य जनम्य गेह के काम । काम अगज जनु अनुरध --पृ० रा०, १७२७ । अनरुफ बखानिए |--केशव (शब्द॰) । अनुरस-मज्ञा पुं० [स०] १ गौण रस ! प्रधान रम । २ वह | अनुरूपता--संज्ञा स्त्री० [म ०] १ समानता । सादृश्य । २ अनुः अनुरूपता-सा स्वाद जो किसी वस्तु मे पूर्ण रूप से न हो। ३ •o कूलता । उपयुक्तता ।। | 'अनुरसित (को० ।। अनुरूपना(0--क्रि० स० [१ ० अनुप से हि० नाम०] ममान यो । अनुरमित–सज्ञा पु० [म०1 प्रतिध्वनि । गज [को०] । सदश बनाना । अनुरसित-वि० प्रतिध्वनियुक्त [को०] । अनुरूपासिद्धि--सा सी० [सं०] पुत्रो, भा, वधुप्रो ग्रादि को साम, दाम आदि द्वारा अपने पक्ष में करना । अनरहस-वि० [म०] एकात । गुन्न । गोपनीष [को०] । अनुरेवती--मज्ञा स्त्री० [स] एक पौधा [को॰) । अनरहस-क्रि० वि० गुप्त रूप में। ऐक्रानिक [को०] 1 अनुरोदन--सज्ञा पुं० [सं०[ जोक की अभिव्यक्ति । महानुभूति [को०] ! अनराग---सज्ञा पु० [म ०] [वि० अनुरागी ] प्रीति । प्रेम । सकिन । अनोखा अनुरोव--संज्ञा पुं० [१०] १ रुकावट। बाधा। उ०---मोनु विन्. do ra1 हजाधट। प्यार । मुव्वत । - भक्ति भाव (को०)। ३ लाल रंग 1(को॰) । अनुरोध ऋतु के बोध बिहिन उपाऊँ। करन हैं मो समय अनुराग--वि० लालिमायुक्त । तान किया हुप्रा [को०] । साधन फलति वात वनाई।—तुसी ग्र०, पृ०, ३७३ । ३ अनुरागना'---क्रि० स० [स० अनुराग से हिं० नाम०] प्रीन प्रेरणा । उत्त जना । जैसे,—सत्य के अनुरोध से मुझे यह कहना करना । प्रेम करना । अभक्त होना। उ०—-7म कहि 'पले 'नूप ही पडता है (शब्द०)। ३ अाग्रह । दवाव । विनयपूर्वक अनुरागे । तर अन्य विनोकन लागे ।--मानम, १५२८६। किसी बात के f"ये है । जैसे,--उसका अनुरोध है कि मैं अनगिना’ --क्रि० प्र० प्रेमयुक्त होना । भनियुका होना । अँगरेजी भी पड" (शब्द०) । ४ इच्छापूर्ति करना (को०)। ५ उ०—सुनि प्रभुबचन अधिक अनुरागेउँ —मानस, ७५८४ । समान [को०] । ६. विचार [को॰] ।