पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/२७८

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अनभ्राता अनुयोज्य अनुभ्राता--सच्चा पु० [म० अनुभ्रातृ ! कनिष्ठ भ्राता । छोटा भाई । अनुमापक–वि० [२०] [स्त्री० अनुमापिका] अनुमान में सहायक (को०] । अनुज कौ] । अनुमास--संज्ञा पुं० [अ०] १ अनेवाला महीना । २ मा प्रति अनुमता—वि० [सं० अनुमन्तु] अनुमति देनेवाला । स्वीकृति देने माम को॰] । | वाला 1 चलते कार्य को होने देनेवाला (को०] । अनुमित--वि० [म०] अनुमान किया हुआ । अदाजा हृ। । अनुमत–वि० [स०] १ अनुज्ञप्न । म मत । स्वीकृत । २ प्रिय । अनभिति--संज्ञा स्त्री० [१०] १ अनुमान । २ भव्य न्याय के अनुसार | मनपसद । ३ एक मन । एकराय । ४ प्रेमी [को॰] । | अनुभूति के चार भेदो में से एक जिसमें किसी वस्तु के अनुमति-सज्ञा स्त्री॰ [१०] १ प्रजा । अनुज्ञई । हुक्म । २ समति ।, व्याप्त गुणों के कारण अन्य वन्तु का अनुमान किया जाय । | इजाजत । ३ वह पूणिमा जिममे चद्रमा की कला पूरी न हो। अनुमित्सा–मज्ञा स्त्री० [स०] निष्कर्ष या अनुमान निको नने की चतुर्दशी से युक्त पूर्णिमा ।। आकाक्षा [को०)। अनुमतिपत्र--संज्ञा पुं॰ [स० अनुमति पत्र] किसी प्रतिवधित कार्य अनुमृता-सशी स्त्री० [भ] वह स्त्री जो पति के साथ सनी हो के करने के लिये मरकरी आज्ञापत्र । जैसे, एक देश से दूमरे | गई हो (को० । । देश में जाने के लिये सरकारी प्राज्ञापत्र, पासपोर्ट या | अनुमेय-वि० [स०] अनुमान के योग्य । विमा [को०] ।। अनुमोद-सज्ञा पुं० [सं०] दे० 'अनुमोदन' [को०] । अनमत्त-वि० [म ०] अनद के अतिरेक से उन्मत्त । खुशी के मारे अनमोदक–वि० [सं०] अनुमोदन करनेवाता । ममर्थन करनेवाला । | पागल को०] । । उ०---अनुमोदक तो नही कितु निज अग्रज का अनुगत हू मैं । अनुमनन-सज्ञा पुं० [सं०] १ स्वीकृति देना । २ स्वत अता [को॰] । –माकेत, पृ० ३६५ । अनु मरण-सज्ञा पुं॰ [सं०] पश्चान् मरण । पनि के माथ विधवा स्त्री ग्रनुमोदन-सझा पु० [म०] १ प्रसन्नता का प्रकाशन । रण होना । का चितारोहण । मनी होता [को०३ ।। २ ममर्थन । ताईद ! ३०---कहि सुनहि अनुमोदन क्ररही । अनुमकसशा पु० [सं०] मरुभूमि के वाद का देश [को॰] । | ते गोपद इव भवनिधि तरही --मानस, ७१२६ । अनुमा—संज्ञा स्त्री॰ [स०] अनुमान । अनुमिति [को०] । अनुयाता--सज्ञा पुं० [सं० अनुयातृ] अनुगामी । साश्री [को॰] । अनमीता----वि० [म० अनुमातृ] अनुमान लगाने वा ना । निष्कर्ष अनयात्र--संज्ञा पुं० [म० अनुचरों का द न । २ अर्दी में रहना । | निकालनेवाला [को०] । ३ अनुगमन [को०] । अनुमात्रा—सज्ञा स्त्री॰ [स०] दृढ निश्चय । सकल्प [को०] । अनुयात्रा----संज्ञा स्त्री० [म०] २० 'अनुयात्र' [को०] । अनुमान--सज्ञा स्त्री॰ [सं०] [वि॰ अनुमानित, अनुदिन] १ अटकल अनुयात्रिक-सज्ञा पुं० [सं०] १० ‘अनुयात्रा' [को॰] । अदाजा २ विचार । भावना । कयास । ३. न्याय के अनुसार अनुयान-सा पुं० [सं०] अनुगमन । पीछे चलना (को०) । प्रमाण के चार भेदो मे से एक । | अनुयायी'—वि० [म० अनुयायिन्] [वि० स्त्री० अनुयायिनी] १ अनुविशेष—इमसे प्रत्यक्ष माधन के द्वारा अप्रत्यक्ष साध्य की भावना गामी । पीछे चलनेवाला । २ अनुकरण करनेवाला । शिक्षा या होती है। इसके तीन भेद हैं—(क) पूर्ववत् या केवलान्वयी शादर्श पर चलनेवाला । ३ समान । तुल्य (को॰) । जिममे कारण द्वारा कार्य का ज्ञान हो । जैसे, बादल देखकर यह अनुयायी--सा पुं० अनुचर । सेवक । दास । पैरोकार । भावना करना कि पानी बरसेगा । (ख) शेपवन या व्यतिरेकी, अनुयुक्त–वि० [म०] १ जिम मबंध में अनुयोग किया गया हो । जिसमें कार्य को प्रत्यक्ष देखकर कारण का अनुमान किया जिसके विषय में कुछ प्रश्न किया गया हो । जिज्ञामित । जाय । जैसे, नदी की वीड़ देखकर अनुमान करना कि उसके २ निदित । । चढाव की भोर पानी वर्मा है । और (ग) सामान्यनोदष्ट या अनुयोक्ता'-वि० [म० अनुयोक्त] [वि॰ स्त्री० अनुयोगत्री] जिज्ञासा अन्वयव्यतिरेकी, जिसमें नित्यप्रति के सामान्य व्यापार को करनेवासा 1 पूछताछ करनेवाला ।। का अनमान किया जाता है। जैसे किसी अन्योक्ता--पशा पु० १ परीक्षक । मृतकाध्यापक । शुल्क वस्तु को स्यानातंर में देखकर उसके वहाँ लाए जाने को लेकर पढ़ाने वाला अध्यापक [को०] । अनुमान ।। अनुग्रोग-सशा पु० [म०] १ प्रश्न । जिज्ञामा । पूछताछ । नोक। अनुमानत –क्रि० वि० [सं०] अटकल या अनुमान से [को०] । बाधा (को०) । ३ उद्यम । श्रम । चेष्टा (को०) । ४ श्रानौवना। अनुमानना(५)---क्रि० स० [सं० अनमान से नाम०] अनुमान करना। | टीका (को०) ५ अध्यात्मिक या योगिक मनन चिंतन [को०] । सोचना 1 अंदाजा करना । उ०—ममय प्रताप मान कर जानी। अनुयोजन-संज्ञा पुं० [सं०] [वि० अनयोजित, अनुयोज्य] पूछने में अपन अनि अममय अनुमानी ---मानम ११५८ । | क्रिया । प्रश्न वरना । पूछना । अनुमानाश्रित--वि० [न० अनुमान + ग्राभिन] जो अनुमान पर अनुयोजित-बि० [सं०] जिसके विपय में पृछताछ की गई हो । | अाधारित हो । जिसका कोई ठोस आधार न हो । अनुयोज्य'--वि० [स] १ प्रष्टव्य । जिमके विषय में पूछताछ की अनमानोक्ति-मज्ञा दी० [२०] १ तर्क । तर्कना । २ तकनु- आवश्यकता हो । २ निदनीय । बुग । मोदित निष्कर्ष को०] । अन्योज्य-सज्ञा पु० विश्वस्त सेवक । मृत्य [को०] ।