पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/२७६

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अर्नुपर्शय अनुप्रास अनुपश्य-संज्ञा पुं० [सं०] रोगज्ञान के पाँच विधान में से एक । अनुपुरुप--गज्ञा पुं० [म०] १ पूर्वकथित व्यक्ति । २ अनुगामी । विशेषइममें आहार विहार में बुरे फ7 को देखकर यह निश्चय अनुयायी [को०] ।। किया जाता है कि रोगी को अमुक रोग है ।वि० ० 'उमाशय'। अनुपुष्प---संज्ञा पुं० [सं०] एक प्रकार की नरकुन्न [को०] । अनुपस्कृत-वि० [म०] १ अपरिष्कृत । जिसपर पानिम न की गई अनुपूर्व--वि० [ नं०] यथाक्रम । अनुक्रमिक । मि नमिलेवार । हो । २ शुद्ध । निकलुप । ३ ज़ों पकाया न गया हो। अनुपूर्वकेश-वि० [म०] मुव्यवस्थित केशोवाला [को०] । ४ जिनके मवध म मन में कोई भ्रम न हो [को०] । अनुपूर्वगात्र--वि० [सं०] सुडौल गावाला (को॰] । अनुपस्थान-सज्ञा पुं० [म०] अनुपस्थिति [को०] । अनुपूर्वदष्ट्र--वि० [सं०] सुदर दत पक्तियोवाला [को०] । अनुपस्थित--वि० [म०] जो सामने न हो। जो मौजूद न हो । अनुभूवनाभि-वि० [सं०] मुदर नानिव लिा ।का०] । अविद्यमान । गैरहाजिर ।। अनुपूर्वपाणिलेत--वि० [सं०] जिसके हाथ की रेखाएँ मुस्पष्ट तथा अनुपस्थिति--सा ग्री० [म०] अविद्यमानता । गैरमौजूदगी । गैर व्यवस्थित हो कि० ।। हाजिरी । उ०—प्रत्युत्तर की अनुपस्थिति में हम भी पाद अनुपूर्ववत्सा--पज्ञा स्त्री॰ [स०] नियमित समय पर बच्चा देनेवाली पूर्व सा होता है दुष्काव्य मे ।—महाराणा०, पृ० १४।। गाय को०] । अनुपह्त--वि० [सं०] १ अव्यवहुन । कोरा । नया (वस्त्र)। २ जो अनुपूव्ये---वि० [मं०] व्यवस्थित । क्रमवद्ध (को॰] । टूटा न हो । अक्षत (को०] । अनपेत-वि० [सं०] १ जो शिक्षा या दीक्षा के लिये गुरु के यहाँ अनुपाख्य–वि० [सं०] जो साफ देखा या जाना न जाय । जिसका भरती न हुप्रा हो । अदीक्षित । २ जिमका यज्ञोपवीत न हुआ केवल अनुमान किया जाय । अनुमेय [को॰] । हो । अनुपनीत (को०) । अनुपात--संज्ञा पुं० [सं०] १ गरिंगन की त्रैराशि के क्रिया । ३ दी अनुप्त---वि० [म०] जो वोया न गया हो । बिना बोया हुप्रा । हुई तीन सम्याग्रो मे चोयी को जानना। ३ अनुमरण । अनुप्रशस्य–वि० [म०] विना बोया । परनी (को०] । पीछा करना (को०) । ३ एक के बाद दूसरे का पतन । लगा- अनुप्रज्ञान--संज्ञा पु० [स०] अन्वेषण करना । पता लगाना । खोज तार गिरना (को०)। | करना [को०] ।। अनुपातक-सज्ञा पुं० [सं०] ब्रह्महत्या के समान पार जैसे, चोरी, अनुप्रदान–सद्या पुं० [सं०] १ मॅट । उपहार । दान। २ वृद्धि । झूठ वो नना, परन्त्रीगमन इत्यादि । बढोतरी (ो०] ।। अनुपादक-सज्ञा पु० [५] तम के अनुसार प्रकाश में भो मूर्दम अनप्रवण--वि० [सं०] अनुकूल । भानेवाला । मनपसद (को०] । एक तत्व । अनुवाद-संज्ञा पुं० [भ] किंबदती । अफवाह (को०] । अनुपनि—सा पु० [म०] वह वस्तु जो ग्रीपध के नाथ या उनके अनुप्रवेश-सा पुं० [म०] १ प्रवेश करना । भीतर जाना । २ अपने ऊपर से खाई जाय । | अवैमरे के अनुकूल वनाना । ३ अनुकरण (को॰] । अनुपानत्क-वि० [१०] पदत्राण में दहित ! नगे पैर [को०] । | अनुप्रश्न--संज्ञा पुं० [स] सबधित प्रश्न । प्रमगानुकूल जिज्ञासा (को०]] अनुपानोय-वि० [सं०] पधि के माय त्रिया 'नाने वाला पेय अनुप्रसक्ति--सच्चा स्त्री० [सं०] प्रगाढ प्रेम । गहरी अामक्ति । ३ तर्क | [को०] । शास्त्र के अनुसार शब्दो का निकट मवध [को०] । अनुप्रस्थ-वि० [म०] चौडाई के अनुसार (को०] । अनुपानीय–यज्ञा पु० बाद में भी जानेवाली वातु (को०] ।' अनुपाय–वि० [सं०] निरुपाय । ३० --राज्य ग तुम्हे कहाँ से डाय। अनुप्राणन-सज्ञा पुं॰ [म०] १ प्राण सचारण । २ प्रेरणा । म्फरण | दे मकूगा थार्य को अनुपाय !-—नाकेन, पृ० १६६ ।। [को॰] । अनुपायी-वि० [म० अनुपयिन्] साधन का उपयोग न करनेवाला। अनुप्राणित-वि० [म०] प्राणवान् । मजीव ! प्रेरित । उ० उपाय न करनेवाला (को॰] । “भगवद्गीता भी जायसवाल जो के कथनानुसार मनुस्मृतिवाले अनुपाश्र्व–वि० [सं०] पाश्र्ववर्ती । वगलगीर [को०] । शादर्गों से ही अनुप्राणित है” :--मा० ई० रू०, पृ० ७२६ । अनुपाल--संज्ञा पु० [ न० ] १ अादि पशुओं का रक्षक । अनुत्राशन--सज्ञा पुं० [म०] खाना। भक्षण । उ०----कछ दिन पवन | रखवाला [को०] । कियो अनुप्राशन रोक्यो एवम यह नी ।—सूर (शब्द॰) । अनुपालक--वि० [सं०] १ रक्षा करनेवाला । २ माननेवानर [को०]। क्रि० प्र०—करना ।—देना ।—होना । अनुपालन--- संज्ञा पुं० [सं०] १ रक्षण । २ पालन [को०] । अनप्रास--सज्ञा पु० [सं०] यह गदा नकार जिमने किसी पद में एक ही अनुपाश्रयाभूमि--सज्ञा स्त्री० [म॰] वह भूमि जो बसनेवा नौ के प्रति अक्षर चार बार अाकर उस पद की अधिक शो मा का कारण रिक्त और दूसरों को आश्रय देने में असमर्थ हो अर्थात् जिसमे होता है । वर्णवृत्ति । वर्णसाम्प । वर्णमंत्री । जैसे—काक कहहि और लोगो के बनने की गु जाइश न हो । कनकट कठोर ।--नुनमी / शब्द०)। अनुपासन-सच्चा पु० [सं०] ध्यान का अभाव । उपेक्षा [को०] । विशे—इसके पांच भेद है—छेकानुप्रास, वृनु राम, श्रुत्यनुवाई, अनुपासित--वि० [सं०] उपेक्षित । जिसपर ध्यान न दिया जाय (को॰] । | अत्यानुप्रास और लाटान्नास ।।