पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/२७५

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अनन्नतानत २१३ अनुपवीती अनुज्ञतानत--वि० [सं०] समतल [को०] । अनुपन्यास—संज्ञा पुं० [सं०] [वि० अनुपन्यस्त] १ प्रमाण या निश्चय अनन्मत्त--वि० [सं०] जो मतवाला' या पागल न हो [को०] । का अभाव । असमाधान । २ सदेह । अनिश्चय [को०] । अनुन्मदत--वि० [स०] दे० 'अनुन्मत्त' [को०] । अनुपपत्ति—सा झी० [म०] १ उपपत्ति का अगर । २ असमाधान । अनुन्माद---संज्ञा पुं० [स०] पागलपन का न होना । उन्माद का श्रमगति । ३ ग्रसिद्रि । ४ अप्राप्नि । ५ अस पन्नता। | अभाव (को०] । । असमर्थता ।। अनुन्माद-वि० दे० 'मनुस्मत्त' को०] । अनुपपन्न--वि० [म०] १ अप्रतिपादित । २ जो साबिन न दृग्रा हो । अनुप -वि० [स० अनुपम वेजोड । उपमारहित । उ०—सकल ३ अयुग्न । ४ अस भव (को०) । ५ जो सही ढग ने समथत सत्त दासी अनुप । नृप इद्रावति अप्पि ।—पृ० रा०, ३३॥७६।। न हो (को॰) । अनुपकार--मज्ञा पुं० [सं०][ वि० अनुपकारक, अनुपकारी ]१ उपकार अनुपम--वि० [म०] उपगारहित । वेजोड़। जिनकी टक्कर का | को प्रभाव । २ अपकार । हानि ।। दूमा न हो । वेमिमान । बेनीर । उ०--उनुपम शोनाधाम अनुपकारी---वि० [सं०] १ उपकार न करनेवाला । प्रकृतज्ञ अपकार भूपण ये तारका |--कानन०, पृ० ६७ । करनेवाला । हानि पहुचानेवाला । २ फजूल । निकम्मा । अनुपमता--मझा स्त्री॰ [म०] गनुर में होना । बम का प्रभाव । अनुपकारीमित्र--सज्ञा पुं० [सं०] शत्रु राजा का मिश्र । वैजोडपन । अनुपक्षित-वि० [सं०] न छीजनेवाला । क्षीण न होनेवा ना (को॰] । अनुपमदन-सज्ञा पुं० [म ०] अभियोग या प्रारोग का वइन में किया अनुपगत–वि० [स०] दूर का । | जाना [को०)। अनुपगीत--वि० [सं०] जिसकी प्रशंसा न की गई हो । अप्र- अनुपमा संशा स्त्री॰ [सं०] दक्षिण-पश्चिम दिशा के 7ज । कुमुद की शसित [को०] ।। पत्नी [को० ।। अनुपजीवनीय--वि० [म०] जिससे जीवननिर्वाह के लिये पर्याप्न । अनुपमित--वि० [न०] ० 'अनुपम' [को०] । | प्राप्ति न हो सके । २ जिसके पास जीवननिर्वाह का साधन । अनुपमेय--वि० [स०] दे० 'अनुपमा' । न हो । साधनहीन [को०] । अनुपयुक्त–वि० [भ] अयोग्य । वेठीक । वेब । अनुपयुक्तता--सा सी० [२०] अयोग्यता । वेदवचन ।। अनुपतन--सज्ञा पुं॰ [स०] १. गिरना । क्रमश गिरना । एक के बाद अनुपयोग-मग पु० [सं०] १ व्यवहार का अभाव । काम में न दूसरे का पतन । २ पीछा करना । अनुसरण । ३, निश्चित | लाना । २ दुर्व्यवहार ।। क्रम मे आगे बढ़ना । ४ अनुपात । ५ गणित का पैराशिक अपनुपयोगिता-सा नी० [सं०] उपयोगिता का अभाव । निरर्थकता। नियम को]। अनपद–क्रि० वि० [सं०] १ पीछे पीछे । कदम व कदम । उ०— अनुपयोगी--वि० [स० अनुपयोगिन्] [सा अनुपयोगिता] वेकाम । व्यर्थ का । चेमतलव का। वेममरफ । वधू उमला अनुपद थी, देख गिरा भी गद्गद् यी ।--माकेत, अनुपरत--वि० [सं०] १ जो मृत न हो । २ वेरोक । अबाधित [को०] । पृ० ८४ । २ अनतर । बाद ही । अनुपद--वि० पीछे पीछे चलनेवाला । कदम ब कदम पीछे चलने अनुपलभ-सज्ञा पुं० [ अनुपलम्भ] ज्ञान का अभाव । जानकारी न होना को०] । | वाला 1 पदानुसरण करनेवाला कौ] । अनुपल-वि० [स०] प्रतिक्षण । हर समय । हर घडी । उ०-वहे अनुपद--सज्ञा १. गीत मे बार बार दोहराया जानेवाला पद । टेक।। प्रजा से अनुपल मिलने को सनद्ध रहता था ।-आदि० २ शाब्दश व्याख्या (को०] । भारत, पृ० २५७ । अनुपदवी संज्ञा स्त्री० [सं०] पथ । मार्ग । सडक [को०] । अनुपदिक--वि० [सं०] १ पीछे चलनेवाला । पदानुसरण करनेवाला । अनुपलब्ध---वि० [स०] १ अप्राप्त । न मिला हु। २ अनदेखा । | पीछे गया हुशा (को॰] ।। अकल्पित । अज्ञात (को०)। अनुपदी-वि० [पुं० अनुपदिन्] पीछा करनेवाला । खोज करनेवाला।। | अनुपलब्धि--सच्चा स्त्री० [सं०] [वि० अनुपलव्ध] १ अप्राप्ति । न | अन्वैपक । पता लगानेवाला [को०] । ' मिलना । २ कल्पना या ज्ञान का अभाव (को०) । अनुपलब्धिसम-सच्ची पुं० [सं०] न्याय में जाति के चौबीस भेदों में अनुपदीना-सज्ञा स्त्री० [सं०] जूता । मोजरी। पूरे पैर की लवाई से एक । | का जूता । विशेष-यदि वादी किसी बात के न पाए जाने के आधार पर अनुपधा—संज्ञा स्त्री॰ [स०] वचकता । । । । कोई बात सिद्ध करना चाहता है, और उसके उत्तर में प्रतिवादी । अनुपधि-वि० [सं०]निश्छल । निष्कपट । धोखा घडो से रहित [को०]। । किसी और बात के न पाए जाने के आधार पर उसके विपरीत अनुपनीत--वि०स०] १ अप्राप्त। न लाया हुआ । २ जिसका उप बात सिद्ध करने का प्रयत्न करता है, तो ऐसे उत्तर को नयन सस्कार न हुआ हो । । अनुपलब्धिसमें कहते हैं। अनुपन्यस्त---वि० [सं०] यज्ञ जिसका न्यास या स्थापन विधिपूर्वक अनुपवीती-वि० [सं० अनुपतिन] यज्ञोपवीत धारण न करने च हुन्नी हो को०] । वाला (को०]।