पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/२७४

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अनुदार अर्जुन्नतग़ाने अनुदार--वि० [न०] १ मेम । के नूनं। २ संकुचित हृदयवाला। अनुघावन-मज्ञा पुं० [भ] [ वि० अनधिक, अनुवावित, अनुधावी लकीर्ण विचारवाला । ३ अत्यत उदार । महान् । ४ जिसकी १. पीछे चलना । अनुसरण । २ अनुकरण । नऊ न । ३ दारा या पत्नी भी ग्रौर अनर्गमन करनेवाली हो (को०] । अनुसंधान । खोज । ४ बार बार बुद्धि दौडाना । विचार। अनुदित--वि० [सं०] अकथित । जो कहा न गया हो । २ जो उदित चितन । ५. शुद्ध करना । सफाई (को०) । न हुआ हो । जो सामने न अाया हो । ३ न कहने योग्य । अनुधूपित--वि० [सं०] फूना हुआ । गवत । अभिमानी [को०] । | निंदनीय [को॰] । अनुव्यान--सज्ञा पुं० [म.] १ किसी विषय का चिंतन । ध्यान । अनुदिन–क्रि० वि० [म०] नित्यप्रति । प्रतिदिन । रोजमर्रा । उ०— २. स्मरण । विचारणा । ३ शुभचिंतन [को०] । तनमी मकल कल्यान ते नर नारि अनदिन पाव । अनुयायो-वि० [स० अनुयायिन्] १ चिंतन करनेवाला । ध्यान में | तुलसी ग्र०, पृ० ६३ ।। स्थित होनेवाला । २ खोया हुआ । अन्यमनस्क [को०] । अनुदिवस–क्रि० वि० [म०] दे० 'अनुदिन' [को॰] । अनुच्येष-वि० [स०] जिसका शुभ चिंतन किया जाय । जिसके प्रति अनदष्टि–संज्ञा स्त्री० [सं० [ कृपादृष्टि । अनुकून दृष्टि । [को०] । अनुराग हो किो०] । अनुदष्टि-वि० कृपादृष्टि रखनेवाला । अनुकून दृष्टि रखनेवाला[को०]।। अनुव्वनि--सज्ञा रही० [म०] प्रतिध्वनि। गूज । उ०--अवर से टकराअनूद्धत–वि० [न०] १ जो उद्धत न हो । अनुग्र । २ सौम्य । | कर अनुध्वनि आ गई त्वरितं ।—अपलक, पृ० ४७ ।। शात् । ३ विनीत । अनुनत-वि० [सं० अनु+नत] विनीत । अनुशासित । शीलयुक्त । अनुद्धरण--सा पुं० [सं०] १ न हटाना। २ स्थापना न करना। । उ०—चिर अनुनत सौंदर्य के समादर मे गुर्जरेश मेरी उन प्रमाणिन ने करना [को०] । इगितो मे नाच उठे ।--लहर, पृ० ७१ ।। अनुद्धर्ष संज्ञा पुं० [२०] उद्वेग का अभाव । गानि । अनुनय–सज्ञा पुं० [सं०] १ विनय । विनती । प्रार्थना । उ०अनुद्धार-संज्ञा पुं० [म०] १ बँटवारा न करना या अपना भाग न अनुनय भरी वाणी गूज उठी कान में। लहर, पृ० ७१ । | लेना । २ ० 'अनुद्धिरण' (को०] । २ मानना । अनुवृत-वि० [सं०] १ बिना बँट । अविभक्त । २ न हटाया अननयमान--वि० [स०] विनयशील । शिष्ट । राराधन करने हुन्न । ३ अनप्ट । अक्षत । दुरुस्त । ४ अप्रमाणित । जिसकी वाला । (को०) । त्यापना न की गई हो [को०] । अनुनयी-वि० [अनुनयन्] विनीत । नम्र । विनयी (को०] । अनुभट---वि० [सं०]मृदु स्वभाववाला । अघृष्ट । २ भौम्य । प्रहकार अनुनाद—सक्षा पु० [स०] [वि॰ अनुनादित्] प्रतिध्वनि। गूज । " | शून्य । निरभिमानी यो०] । | गु जार ।। अनुद्यत--वि० [स०] अतत्पर । सुम्त । काहिल । अकर्मण्य [को०] । अनुनादित–वि० [स०]प्रतिध्वनित । जिसका अनुनाद या गूज हुई हो। । अनुद्यम--सज्ञा पुं० [सं०] उद्योग या उद्यम का अभाव [को०]।। " अनुनादी-वि० [स० अनुनाविन्] प्रतिध्वनि करनेवाला । आबाज करनेवाला । गुजायमान [को०) । अनुद्यम’ --वि० उद्योग या श्रम न करनेवाला । अनुद्य मी [को०] । अनुद्यमी–वि० [म० अनुद्यमिन्] उद्यमरहित । अनिमी। सुस्त ] अनुनायक-वि अनुनायक–वि० [सं०] सकोची । विनम्र [को०] । | अलहदी । अनुनायिका--संज्ञा स्त्री० [सं०] मुख्य नायिका की सहचरी । जैसे,—अनुद्युत-नज्ञा पुं० [सं०] १ लगातार जुग्रा वेतन । २ महाभारत के सखी, दासी, परिचारिका आदि । समापवं के अध्याय ७० से ७६ तक का नाम [को०] । अनुनासिक-वि० [सं०] जो (अक्षर) मुह और नाक में बोला जाय। अनुद्योग-सज्ञा पुं० [म०] आवस्य । सुस्ती 1 अकर्मण्यता [को०] । अनुनासिक-सज्ञा पुं० १ मुख और नासिका के योग से उच्चरित अनद्योग-वि० अनुद्योगी । अकर्मण्य [को०] । वर्ण जैसे,—इ,ब, अ, ण, न, म और अनुस्वार। २ नाक से बोनी अनुद्योगी -वि० [सं० अनुद्योगिन्] अलसी 1 निष्क्रिय । अकर्मण्य । जानेवाली ध्वनि । | सुस्त [को०] । अनुनीत-वि० [सं०] १. मर्यादित । अनुशासित । [को॰] । २. गृहीत अनुव्रत'--सझा पुं० [सं०] सगीत मे ताले का एक भेद । द्रुत फा (को०) । ३. प्रतिष्ठित । पूजित (को०)। ४ सतुष्ट। संराअाधा और मात्रा का एक चौथाई समये । धित (को०)। ५. विनयपूर्वक सत्कृत । उ०—किंचित् अनुनीत अनुद्र त-वि० जिसका पीछा किया गया हो । अनुगमत् । अनुधावित । | स्वर मे हरिप्रसन्न ने कहा --सुनीता, पृ० ३२४ । | [को०] । अनुनीति--संज्ञा स्त्री० [सं०] दे० 'अनुनय' (को०] ।। अनुद्वाह-सज्ञा पुं० [सं०] अविपाह ब्रह्मचर्य । अविवाहित रहना (को॰] । अनुनीय–वि० [सं०] १. अनुनययोग्य । साधन के योग्य फिौ। अनूद्विग्न----वि० [सं०] निश्चित 1 शांत । चिंतामुक्त । शाशकारहित अनुनेस-वि० [सं०] दे० 'अननीय' (को॰) । अनुन्नत-वि० [स०] जो ऊँचा हो। जो उमरा न हो (नीवा) । अनुढेग'-सी पुं० [सं०] अाशंका का अभाव । भय से मुक्ति या जो ऊपर उठा न गया हो । जिनकी उन्नति न हुई हो फिौ] । सुरक्षा (को॰] । अनुन्नतगात्र--वि० [सं०] अविकसित या अर विकसित अंगोवा ना । अनुदेश-वि० उद्वेगरहित । अनुद्विग्न [क] । अपुष्ट अगोवाला [फो०] ।