पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/२७३

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अनुतर्ष अनदान हैं । अनत्तमता–सझा स्त्री॰ [सं०] घाटाता --सागरिका, अनु वाला [को॰] । अनुतर्ष---सज्ञा पुं० [म०] १ प्यास । पीने की इच्छा । २ अभिलाषा । वस्तु की उत्पत्ति ही नही हुई, तब तक वह कहा हूग्रा हेतु अाफाक्षा । ३ मदिरापान । ४ पीने का पात्र । घपक । ५ कहाँ रहेगा ? तो ऐसे उत्तर को अनुत्पत्तिमम् कहेंगे । जैसे, यदि मदिरा [को०) । वादी कहे--‘शब्द अनित्य है क्योकि प्रयत्न से उत्पन्न होता अनुतर्षण-संज्ञा पुं० [म०] १ मदिरापान । २ मदिरा पीने का है।' इसपर प्रतिवादी कहे--'यदि शब्द प्रयत्न से उत्पन्न पान (को॰] । होता है तो प्रयत्न से पहले इसकी उत्पत्ति नहीं होगी। और अनुताप-सज्ञा पुं० [सं०] [वि॰ अनुतप्त] १ तपन । दाह । जलन । जब शब्द उत्पन्न ही नहीं हुआ, तब प्रयत्न से उत्पन्न होने का २. दु ख । खेद । रज । ३ पछतावा । अफसोस । गुण कहाँ पर रहेगा ? जव इम गुण का अाधार ही नहीं रहा, अनुतापन--वि० [सं०] दु ख देनेवाला 1 पश्चात्ताप उत्पन्न करनेवाला । तब वह अनित्यत्व का साधन कैसे कर सकता है ? | शोकप्रद (क) । अनुत्पन्न--वि० [सं०] जो उत्पन्न न हुआ हो । जो जन्म न हो । जो अनुतापी--वि० [सं० अनुनायिन् पश्चात्ताप करनेवाला । खेदयुक्त उत्पन्न न किया गया हो [को॰] । [को॰] । अनुत्पाद-सज्ञा पुं० [म०] उत्पत्ति का न होना। अस्तित्व में न आना अनुत्क---वि० [सं०] [स्त्री॰ अनुत्का] उत्कठारहित 1 अनुत्सुक । अभि [को॰] । लापारहित । विना लालसा का । अनुत्पादक---वि० [स०] उत्पन्न करने में असमर्थ । जिससे उत्पन्न न अनुत्कट–वि० [स०] छोटा । सूक्ष्म [को॰] । हो (को०] । अनुत्त-वि० [सं०] १ जो तर या भीगी न हो । सूखा २ अनुत्पादन--संज्ञा पु० [सं०] दे० 'अनुत्पाद’ (को०] । | अप्रेरित [को० ।। अनुत्साह-संज्ञा पुं० [सं०] मकल्प और प्रयत्न का अभाव । उ०अनुत्तम--वि० [स०] १ जिससे उत्तम दूसरा न हो । सर्वोत्तम ।। है शीतनता भी अौर दाह, उत्साह तथा है अनुत्साह ।-साग २ जो सबसे अच्छा न हो । सर्वोत्तम नही। धटिया [को०] । | रिका, पृ० ७७ ।। अनुत्तम--सज्ञा पुं० १ शिव । २ विष्णु (को॰] । अनुत्साह-वि० १ दृढना या क्षमता मे रहित । उदासीन् । अनत्तमता-सच्चा स्त्री० [सं०] घटियापन । बुराई । उ०—सुख से उसान °] मन को है जो ममता, है उसमे छिपी अनुत्तमता 1--सागरिका, अनुत्सुक–वि० [स०] जो उत्सुक न हो। सामान्य । बात । उत्कठा पृ० ७२ ।। अनुत्तर-- वि० [सं०] १ निरुत्तर । लाजवावं । कायल । उ०—यह अनुत्सूत्र---वि० [सं०] १ सूत्रों का अनुगामः । २ नियमो या नीति के से एक जिज्ञासा अनुत्तर जगेगी अनिमेप |--हरी घास ०, पृ० । अनुसार चलनेवाला [को० ।। ५० । २ प्रधान' । मुख्य (को०)। ३ सर्वोत्तम (को०)। १ अनुत्सेक—सज्ञा पुं० [सं०] १ गर्व का न होना । चमड न होना। २. दृढ । सलग्न (को०)। ५ जो उत्तरदिशा में न हो । दक्षिणी | शालीनता [को०] । (को०) । ६ क्षुद्र । नीच (को॰) । अनुत्सेकी--वि० [ स० अनुत्सेकिन ] जो उत्तेजित न हो । घमडअनुत्तर–सज्ञा पुं० १ जैन देवताग्रो का एक वर्ग । २ उत्तर का | रहित (को॰) । | अभाव (को॰) । | अनुदक-वि० [म०] १ जलशून्य । जल के अभाववाला (जैसे,मरुअनुत्तरदायी–वि० [सं० अनुत्तरदायिन्] कर्तव्य और जिम्मेदारी न स्थल)। २ थोडे जलवाला । पल्प जलवाला। ३ जिसे कोई रखनेवाला । अपना उत्तरदायित्व न समझनेवाला । पानी देनेवाला न हो [को०] । अनुत्तरित--वि० [सं०] उत्तरविहीन । उत्तररहित । उ०---पूछा अनुदग्र—वि० [स०] १ जो ऊँचा न हो । नीचा । २ मुलायम । तुम TT छिपे ? प्रश्न हा अनुत्तरित ।----अपलक, पृ० ४८ 1 ३ कोमल । दुर्बल । ४ जिसमे तेजी या धार न हो (को॰) । अनुत्तान--°० [सं०] जो उत्तान न हो। पीठ के बल नहीं। छाती के अनुदत्त--वि० [सं०] १ लौटाया हु प्रा । वापस किया हुआ । | वन टा हुआ । चित्त नही । पट [को०] । स्वीकार किया हुआ । ३ क्षमा किया हु प्रा [को०] । अनुत्ताप-सज्ञा पुं० [सं०] बौद्धो के अनुसार दस क्लेशों में से एक । अनुदर—वि० [सं०][वि॰ स्त्री० अनुदरा] कृशोदर । ५'उला । पनला। अनुत्थान-मज्ञा पुं॰ [सं०] [वि० अनुत्थित] उत्थान का अभाव । चेष्टा अनुदर्शन--संज्ञा पुं० [सं०] १ निरी न ग । पर्यवेक्षण । २ स्वकार । यी बम का न होना (को॰) । | आदर को०] । अनुत्पत्तिसशा जी० [सं०] १ उत्पत्ति का अभाव । २. विफलता। अनुदात्त--वि० [सं०] १ छोटा । तुम छ । जो उच्चाशय न हो। | अमनता [को०] । नीचा (स्वर) । लघु (उच्चारण)। स्वर के तीन भेदी अनुत्पत्तिक---वि० [सं०] जो अब तक उत्पन्न न हुआ हो [को०] । मे से एक । वह स्वर जिसपर बलाघात न हो । अनुत्पत्तिमम—मज्ञा पु० [६०] न्याय में जाति या असत उत्तर के अनदान---मया पुं० [म ० अनुदान] १ किसी कार्य के लिये कुछ " | चौवीस भेदों में से एक । वधो के साथ दी जाने वाली सरकारी सहायता । सरकारी विशेप-यदि किसी वस्तु के प्रसग मे कोई हेतु कहा जाय और विभागो द्वारा व्यय होने के लिये स्वीकृत धनराशि । २ उत्तर में उसी के प्रसंग में यह कहा जाय कि जब तक उस लौटाना । प्रत्यावर्तन [को॰] ।