पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/२७२

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अनुग्रही २०६ अनुतर राजा की कृपा में प्राप्त गहायना । सरकारी रिप्रायः । ! पृष्ठ अनुछिन)---वि० [१० अनुक्षण] अण क्षण। प्रत्येक इग्म । नगा 'भाने का रक्षक [ो०] । तार। उ०---‘हुरीचद' ते महामूढ जे इनहि न अनुछिन अनुग्रही--वि० [अ० अनुग्रहिन्] जादूगरी में पड़, । बाजीगरी में ध्यावे ---भारतेंदु व्र ०, भा० २, पृ० ८० ।। निपुण [को॰] । अनुज--वि० [म०] जो पीछे उन इम्रा हो । उ०—वैन में अग्रज अनुग्रसिक-सज्ञा पु० [म०] ग्रास । कौर । नेवाला [को०] । अनुज, अनुज ही अग्रणी -साकेत, पृ० १३४ । अनग्राहक–वि० [सं०] [वि० मी० अनुप्राहि का] अनुग्रह करनेवता । अनुज-सज्ञा पु० १ छोटा भाई । उ०—-म देवहि अनुजहि कृपालु । गहायक । उपकारी । | रचना |—मानस, १।२२५ । २ एक पौधा । म्य वपद् । अनुग्रही--वि० [म० अनुग्रहिन्] ‘अनुग्रहक' ।। अनुजन्मा--सी पुं० [नं० ग्रेनुजन्मन] :: ‘अनुज वो०] ।। अनुग्राह्य---वि० [अ०] गृपा का पात्र 1 अनुग्रह के योग्य [को०] । अनुजा-सा सी० [सं०] छोटी बहन । उ०--कलिकान बिहान किए अनुघटनज्ञा पुं० [म०] अापम में जोड़ना । मिनाना । सवध मनुजा । नहि मानत क्वौ, अनुजा तनुजा ॥---मानग,७।१०२। , म्यापित करना [को०] । अनुजाता पु० म०[ला० अनुजाता] :: ‘अनुज' [को॰] । अनुघात-मज्ञा पु० [१०] नाश । महार ।। अनुजीवी'—वि० [म० अनुजीबिन्] [वि० ० अनुजीविनी] नहारे पर अनुघानन--वि० [सं०] मार डालने या नाण करनेवाला । उ०-- जीनेवान्ना । झावित । अब अरिष्ट धेनुक अनुघानन ।—सूर, १०९८१ ।। | अनुजीव--सज्ञा पुं० सेवक । दान ।। अनुच--वि० [म० अनुच] जो ऊँचा या श्रेष्ठ न हो । अश्रेष्ठ । अनुजीव्य--वि० [म०] सेवा का पात्र । मेश्य । जैसे,—गुरु, स्वामी, | निम्न । नीच । ३०--इहि विधि उच्च अनुच तन धरि धरि । माता पिता अादि । २ रहन गहन या अनार ईयवहार मे देस बिदेस पिचरतौ !----मुर०, १२०३ । अनुकरणीय । जैसे,—गुरुजन, प्राचार्य, वयोवृद्ध प्रादि [को०] । अनुचर—संज्ञा पु० [म०] [वि० श्री० अनुचरा, अनुचरी]१ पीछे चेन्नने- अनज्ञप्ति--सज्ञा स्त्री० [न०] ऐ० अनुज्ञापन' (को०] । वाना दाम् । नीकर । उ०—अपनी अवयवता का अनुचर वन अनज्ञासा श्री० [सं०] १ झाज्ञा । इरम । गया |--करुण ०, पृ० २६ । २ मचर । माथी । उ०-~~ उ०—गि अनुज्ञा उनसे ने उस उपवन के फ न खाए ।-- सामने था गंगा में अनुचर मानिक युवक अयं ।---नहर, पृ०७२।। माकेत, पृ० ३८९ । २ एक काव्यानकार जिममें दूपिन बन्नु अनुचारक----संज्ञा पुं० [सं०] सेवक । परिचारक 1 अनुगामी (को०] । | में कोई गुण देखकर उसके पीने की इच्छा का वर्णन किया। अनुचारिका--नशा स्री० [१०] मेविका । दासी (को॰] । जाय । जैसे,—चाहति है हम शीर कहा सखि, 'यो हू' कह दिय अनुचारी--वि० [स०] दे० 'अनुचर' । उ०---तात, भरत, शत्रुघ्न, देखन पाबं । चेरिये गो जु गुपात्र रचे तौ च नौ री सन मिलि | माडवी हम मव उनके अनुचारी [---नाकेत, पृ० ३८१ । चेरि कहावै ।—रमपान (शब्द०) । ३ विवाह के प्रमग में अनुचितन--सशी यु० [म अनुचिन्तन] १ विचार। गौर । २ भूली हुई वाग्दान (को०) । ४ अनुताप । पश्चाताप (को०)। ५ बान की मन में नाना । ३ लगातार चिंतन । चिता (को॰) । अनुरोप (को०) । ६ सद्व्यवहार । अनुग्रह (को०) । अनचित--वि० [म०] १ अयोग्य । अयुक्त । कर्नग्य 1 नामुनसिय । अनजात-वि० [सं०] जिसे अनुमति प्राप्त हो । प्रदेश प्र"। २ बुरा । खराब । उ०—जेहि बस जन अनुचिन करहिं चरहि म्वीकृत । स मानिन । अनुगही । ३ अधिकृत । fन में कोई विश्व प्रतिकून ।—मानस, १।२७७ । २. पक्तिबद्ध किया अधिकार मिला हो । ४ गृय किया हुआ । ५ पावर हुम्रा । हुआ। (को०) । निष्णात [को०] । अनुचिट)--वि० [म ०अनुच्छप्ट] १० ‘अनुच्छिष्ट' । उ०-कर्णमृने । | अनजान-मज्ञा पुं० [अ०] नरकार की अोर से दिया है। कुछ मुकवित्त बुक्ति अनुचिष्टे उदारी --भक्तमाल (०), वम्नुप्रो को बेचने का ठेका [को०] । पृ० ५३।७।। अनुजान--संज्ञा पु० [सं०] १ दे० 'अनुज्ञा' । २ प्रम्यान वैः जिय अनुच्छित्तिसज्ञा स्त्री० [ग] १ पूर्णव पृथक् न होना । २ पूर्णत स्वीकृति । ३ क्षमा । त्रुटि के निये अनुग्रह (को०) । | नष्ट न होना। ३ अनश्वरता [को०] ।। अनुज्ञापक---वि० [सं०] अाज्ञा या आदेश देनेवाला [को०] । अनच्छिष्ट--वि० [सं०] जो जूठा या व्यवहत न हो। शुद्ध। निर्दोष । अनज्ञापन--सज्ञा पुं० [सं०] १ प्राजा देना । हुम दैन।। २ जनाना। ग्रहण करने योग्य [को॰] । वतलाना । अनन्छेदमा पं० [२०] १ ० 'अनुच्छिति' । २ नियम, अधि- अनुज्येष्ठ--वि० [म०] १ ज्येनम ने कनिष्ठ । नत्रने पड़े थे । नियम आदि का वह प्रण जिनमें एक बान का विशद विवरण द्वितीय । २ वरीयता के क्रम में दून [को०] । हो । जैन राम के घोपणापन बी ७ वी धारा का दूसरा अनतप्त--वि० [न०] १ तपा इम्रा । गरम । २ दुवी। मेदगुरु । अनुन्छ । ३ किगी रचना या ग्रंथ के एक प्रकरण के थे छोटे जी ।। 5 अ जिम मद्ध विपत्र के एक एक अग का विवेचन अनतर—अशी पु० [सं०] १ पार जाना । दूसरे छोर पर जाना । ३ होना है। पैराफ । | ना तानन ! ३ नदी पार कने से किया है ।