पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/२७१

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अनुक्रमणी अनुह हैं। ४ अक्षरो अौर मात्राओं के क्रमानुसार तैयार की हुई शब्द, अनुगम्य-सज्ञा पु०[सं०] वह व्यक्ति जिसका अनुसरण अथवा अनुकरण ग्र थ, नाम या वियप आदि की सूची ।। किया जाय को॰] । अनुक्रमणी---संज्ञा स्त्री० [म०] दे॰ 'अनुक्रमणिका' [को०] । अनुगजिन-वि० [म०] गर्जन किया हुआ को०) । अनुक्रात--वि० [म० अनुक्रात] १ पारायण किया हुआ । पढा हुअा। अनुगजित-सज्ञा पु० गरजने जैसी प्रतिध्वनि (को०] । २ विधिपूर्वक संपन्न । ३ अनुक्रमणी अदि मे समाविष्ट । अनुगवीन --संज्ञा पु० [सं०] ग्वाला । गोपालक किो०] । | परिगणित (को०] । अनुगाग–वि० [भ० अनुगाङ्ग] गगा के किनारे का (दै०) । अनुक्रिया--सज्ञा स्त्री॰ [सं०] १ १० ‘अनुक्रम' । २ 'अनुकर्म' (को०) । अनुगादी-वि० [न० अनुगादिन्] पुनरावृत्ति करनेवाला। दूसरे के अनुक्रोश---सज्ञा पुं० [सं०] अनुकपा । दया । उ०—दयित, क्या मुझे शब्दों को दोहरानेवाला । प्रतिध्वनि करनेवाला [को०] । आर्त जान के, अधिप ने अनुक्रोश मान के, घर दिया तुम्हे भेज अनुगामी--वि० [सं० अनुगामिन्][वि० ० अनुगाभिनी]१ पश्चाद्वर्ती झोपही --साकेत, पृ० ३१२ । पीछे चलनेवाला । उ०—नही श्राप होते अनुगामी निरय के-- अनुक्षण–क्रि० वि० [सं०] १ प्रतिक्षण । २ लगातार । निरतर । करणा०, पृ० २२ । २ समान अाचरण करनेवाला । ३ अनुक्षत्ता- संज्ञा पु० [स० अनुक्षत द्वाररक्षक अथवा सारथी का आज्ञाकारी । हुक्म माननेवासा । उ०—मोहि जानिय प्रापन अनुचर को०] । अनुगामी ।-मानम, १॥ २८१॥ ४ महान TT सभोग करनेवाला। अनुक्षपा-सच्चा सज्ञी [स० अनुक्षपम् एक रात के बाद दूसरी रात ५ जैन मिद्धांत के अनुसार क्षयोपशमनिमित्त अवधिज्ञान के | का अनवरत क्रम [को०] । छह भेदों में प्रथम । यहाँ अनुगामी उमे कहा गया है जो दूसरे अनुक्षेत्र--सज्ञा पुं० [स०] उडीसा के मदिरो से पुजारियो को देवोत्तर क्षेत्र या जन्म में मी जीव के मात्र जाता है। उ०—'अनुगामी जो | संपत्ति में से दी जानेवाली वृत्ति [को० ।। दूसरे क्षेत्र या जन्म में fजीव के माय जाना है। हिदु०स०, अनुख्याता--सज्ञा पुं० [सं० अनुख्यातु] अनुसंधान करनेवाला । पता पृ० २४१ । लगानेवाला [को०] । अनुगामुक--वि० [सं०] पीछे चलने का अभ्यानी । सदा पीछे चलने अनुख्याति--सज्ञा स्त्री० [म०] अनुसधान । पता लगाना (को॰] । वाला [को०] । अनगलव्य-सज्ञा पुं० [स० अनुगन्तव्य] १ अनुगमन किए जाने के अनगीत---संज्ञा पुं० मि०] एक छद का नाम । ० 'गतिा । २ ५० योग्य । जैसे--मृत पति के साथ पत्नी का महमरण । २ के बाद गाया हुअा गन । उगन [को०] । अनुकरण किए जाने योग्य । ३ अनुस धान करने योग्य । अनगीना–सा गल्ली० [सं०] १ गहा भारत के अश्वमेध पवे । १६ ॥ जिसे खोजा जाय [को०] । ६२ अध्याय तक का नाम [को०] ।। अनुग--वि० [सं०] पीछे चलनेवाला । अनुगामी। अनुयायी । पैरोकार अनुगीति---सज्ञा सी० [सं०] आर्या छद का एक भेद [को०] ।। उ०--वन मे अगज अनुग, अनुज ही अग्रणी ।—साकेत, । विशेष—इसके प्रयम चरण मे २७ श्रीर द्वितीय चरण में ३२ | पृ० १ ३४ ।। मात्राएँ होती हैं। अनुग-- सज्ञा पु० सेवक । नौकर । चाकर। अनुचर । उ०—उतरि अनुगुण-सज्ञा पु० [म०] एक काव्यालकार जिममे किनी वस्तु के अनुज अनुगनि समेत प्रभु गुरु द्वि जगन चरननि सिर नायो।-- पूर्वगुण का दूसरी वस्तु के मर्ग मे बढना दिखाया जाय । तुलसी ग्र०, पृ० ४०२। जैसे--मुक्तमाल तिय हम ते अधिक मवेत ह्व जाये |--- अनुगत–वि० [भ] १ पीछे पीछे चरानेवाला । अनुगामी । अनुयायी | (शब्द०)। २ स्वाभाविक विशेषता हो । उ०—चिर अनुगत सौंदर्य के समादर मे ।—लहर, पृ० ६५ । अनुगुण'.-.--वि० १ समान गुणवाला । समान प्रकृतिवाला। २ अनुकूल । मुअाफिक । जैसे,—-नियमानुगत कार्य होना उत्तम अनुकु न । मनपमद । ३ अज्ञाकारी को०] । है (शब्द॰) । अनुगुप्त--वि० [स] ढका हुआ। रक्षित । ग्नावरण किया हुआ कि०] । अनुगत–सज्ञा पु० १ मेवक । अनुचर । नौकर। २ सगीत मे मध्यम अनुगृह-संज्ञा पुं० [म० अनुगृहम् मकान के ऊर की छत [को०] । | लये या समय (को०) ।। | अनुगृहीत–वि० [सं०]१ जिसपर अनुग्रह किया गया हो । उपत । अनुगतार्थ-वि० [सं०] प्राय समान अर्थवाला । करीब करीव मिलते । उ०—मैं अनुगृहीत हैं और बहू' क्या देवी ।—साकेत,पृ०२४३। जुलते अर्थ का ।। | २ कृतज्ञ । अनुगत सफा गी० [सं०] १ अनुगमन । अनुसरण । पीछे पीछे अन्गौन(७)-- सशा पुं० [हिं०] दे० 'अनुगमन' । ३०-देखा देखी प्रज चनना । २ अनुकरण । नकल । ३ अतिम दशा । मरण । सर्व कोनो ता अनुगौन --भारतेंदु ग्र ० भा० १, पृ० २२० । अनुगतिक-वि० [सं०]अनुसरण करनेवाला । नकल करनेवाला (को०] अनग्रह-सज्ञा पुं० [म०1१ दूसरे का दुख दूर करने की इच्छा। अनुगम–संज्ञा पुं० [अ०] दे० 'अनुगमन' (को०] । उ०---कृपा अनुग्रह अनु प्रवाई ।—मानस, २५२६६।२ कृपा । अनुगमन--सज्ञा पु० [सं०] १ पीछे चलना । अनुमरण । २ समान दयो । अनुकपा । उ०—क अनुग्रह सोइ बुद्धिरासि सुम गुन आचरण । ३ विधवा को मृत पति के शव के साथ जल मदन ।---मानम, १।१। ३ अनिष्ट निवारण । उ०—-मकर मरना । ४ महवास । म'मोग । ५ स्वीकरण । स्वीकार । दीन दयान अब, येहि पर होह कृ न्न । नाप अनुग्रह हुई मानना (०] 1, जहि, नाथ थोरेही काल । मानस----७१०६ । ४. राज्य या