पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/२६६

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अनिरी ६०३ अनिवृत्त अनिरो---संज्ञा स्त्री० [म०] १ भोजन का ये माळ । अनि दरिद्रता । अनिर्व'घ–वि० [सं० अनिर्बन्व] १ विना बंधन का ! अव । मनि अन्न रहित दरिद्रता । २ दैवी विपनि, जैसे, अतिवृष्टि, । यत्रित । बेरोकटोक । २ स्वतंत्र । म्वच्छद । म्वाधीन । अनावृष्टि [को०] । खुद मुम्तार । अनिराकरण-सज्ञी इ० [म०] निराकरण न करना । दूर अनिर्भर-वि० [म०] भाररहित । कम वजन का । हुलका । कम (ो०] । झरना [को०] । | अनिर्भेद-सज्ञा पुं० [सं०] भेद न खोनना ।। अनिराकृत--वि० [म०] जिमका निराकरण न किया गया हो। जो दूर ग्रनिर्मल--वि० [म०] गदा । मैला 1 अशुद्ध । गैदला [को०] । न किया गया हो [को०) । अनिर्माल्या--नज्ञा स्त्री० [स०] एक पंधि। जो श्रीपञ्च के याम प्राता अनिरुक्त-वि० [सं०] १ जो स्पष्ट रूप से कहा न गया हो । अस्पष्ट है । पिडिका [को०] । (कथन)। २ जिसका निर्वचन (व्याख्या) स्पष्ट रूप से न अनिलों चित-सा स्त्री०म०]जिमपर सावधानी से विचार न हुया हो। हुअा हो [को०] । अविचारित [को०] । अनिरुक्तान–बी० पुं० [२०] १ अस्पष्ट गाना या गुनगुनाना । २ अनिलो डित-वि० [सं०] जिसकी पूर्णन परीक्षा में हुई हो । अपरी | क्षित [को०) । सामगान का एक प्रकार [को०] । अनिरुद्-वि० [सं०1 जो रोका हा न हो । अवाघ । बेरोक । अनिच-वि० [सं० नवचनीय] ० 'अनिर्वचनीय' । उ० --वह है। | वह नही, अनिर्वच जग उसमे वह जग मे नय ।-गुनन, अनिरुद्ध’-मज्ञा पुं० श्रीकृष्ण के पौत्र, प्रद्युम्न के पुत्र जिनको ऊपर व्याही थी । | पृ० ८३ ।। अनिरुध -मज्ञा पुं० [सं० अनिरुद्ध] 'अनिरुद्ध" । उ०—अनि- अनिर्वचन--सझा पु० [म०] मीन । खामोशी । जोर मे न वो उनी । ६ को । । रुध क। जो निखी जै मारा ।—जायसी ग्र ० (गुप्त), पृ०३०६। अनिर्णय--मज्ञा पु० [म०] निर्णय का न होना । अनिश्चय [को॰] । अनि बनाय—[सं०] १ जिसका वर्णन न हो सके। अकथनीय । प्रबर्णनीय' । उ०—अहो अनिर्वचनीय भावसागर । नुनो मेरी अनिर्दश–वि० [सं०] जनन वा मरण के अगौव के दस दिन बीतने भी म्वरलहरी क्या है कह रहीं ।-कानन०, पृ० ८१ । के पूर्व का (समय) [को०] ।। २. जो कहने योग्य न हो । अथ्य ।। अनिर्दशा-वि० स्त्री० [सं०] जिसको वच्चा दिए दम दिन न बीते हो । अनिर्वचनोय--सज्ञा पुं० १ माया । भ्रम । अज्ञान । २ जगत् । विशेष—इम शब्द का व्यवहार प्राय गाय के संबंध में देखा जाता । समार को॰] । | है 1 ऐमी गाय का दूध पीना निषिद्व है । अनि वर्ण्यमान-वि० [स०] जो पास न आ रहा हो । न लोटनेयाना अनिर्दशाह–वि० [म०] २० 'अनिर्दश' [को०) । [को०] । अनिदिव्य-वि० [म०] दे० 'अनिदेश्य' [को॰] । अनिवच्यि–वि० [सं०] १ निर्वचन के अयोग्य । जिम का निपण न अनिदिष्ट-वि० [सं०] १ जो बताया न गया हो । अनिरुपित ।। हो सके । जो बतलाया न जा मकै । जिसके विपय में कुछ अनिर्धारित 1 अनिर्वाधिन। उ०—-क्या उनकी कल्पना में किमी स्थिर न हो सके । उ०—पावा अनिर्वाच्य विश्राम |--मानम, अनिर्दिष्ट अत्याचारी या क्रूरकर्मा का सामान्य रूप ही था ?-- ५।८ । २ जो चुनाव के योग्य न हो । निर्वाचन के अयोग्य ।। रस० के०. पृ० २६८ । २ अनियत । अनि पिचत ! ३ असाम । अनि वति–वि० [सं०] वायुरहित । शीत । उ०--वह थुनि धारता, अपरिमित । ४ निश्चित लक्ष्य से रहित [को०] । | ज्ञान की शिखा वह अनिर्वात निष्कप ।--अणिमा, पृ० ३९ . अनिदिष्टभोग-सज्ञा पुं० [सं०] दूमरे के पशु, भूमि या और पदार्थों अनिर्वाण-वि० [स०] १ न बुझा हुमा । २. न नहाया हुआ । को मालिक की आज्ञा के बिना काम में लाना ।। अस्नात । अप्रक्षालित [को०] । विशेप--इस प्रकार दूसरे की वस्तु का व्यवहार करनेवाला चोर, अनिर्वाह----सच्ची पुं० [सं०] १ पूरा न होना । अर्गतः । २ । के तुल्य ही कहा गया है। स्मृतियों में इस दोष के करनेवाले अनिष्पत्ति । असगति । ३. प्राय की कमी या टोटा । साधन की के लिये भिन्न भिन्न अर्थदंड हैं । अल्पता (को०] । अनिदेश-इझा पुं० [सं०] निश्चित नियम या निर्देश का में भाव] अनिर्वाह्य-वि० [म०] जो निर्वाह के योग्य न हो । जिसकी व्यवस्था [को०] । कठिन हो [को॰] । अनिर्देश्य–वि० [सं०] जिसके गुण, स्वभाव, जाति आदि का निर्धा निधा- अनिर्वाह्य पण्य-भज्ञा पुं० [सं०] वह पदार्थ या माल निमः। राज्य रण न हो सके । जिसके विपय में कुछ ठीक बतलाया न जा यो नगर के भीतर लाया जाना बंद किया गया हो । • 1 निर्वचनीय । अधियं । २ जिसकी परिभाषा न ही अनिविण-वि० [सं०] अलज्जित । निमनै लज्जित होने योग्य है सके । जिसकी तुलना न हो सके (को०)। | न किया हो [को०] । अनिदेश्य-सहा पुं० परब्रह्म की एक उपाधि (को०] । अनिविष्ण-वि० [सं०] १ जो ये का न हो । निर्वेदरहित । दु तु अनिर्धारित-वि० [सं०] अनिरूपित । अनिश्चित [को०] । | रहित । २ विष्णु की एक उपाधि !--[को०] । अनिश्चर्य--वि० [सं०] जिसका निरूपण न हो सके । जिसको लक्ष्य अनिविद-वि० [मं०] अधात । अक्लांन । तरोताजा ०] । स्थिर न किया जा सके । जिसके विपय में कोई बात व्हई न अदिति -- नया सी० [सं०] १. दे० 'भनिवृति । २, दरिद्र । ज्ञा सके । निर्देश्य । हाराहीर [फो ।