पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/२५

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इन कोशों में भेज कोश के लिये आवश्यक और उपयोग भी इसी समय के आसपास छपे जिनका पुनर्मुद्रण बीसवीं शती तक भी सामुन्नी के रहने पर भी केवल अग्रेजी के एकभापी कोश की और अधिक होता रही। जॉन करेन्सी ने भी 'डिक्शनेरियम एग्लोब्रिटेनिकन' या ध्यान नहीं दिया गया। प्राचीन अध्ययन के प्रति पुनगिति के कारण 'जनरल इग्लिश डिक्शनरी' निमित की जिसमें पुराने (प्रयोगलुप्त ) अग्रेजी में लातिन, युनानी, हिन्न, अरबी आदि के सहस्रो शब्द और प्रयोग शब्दों की पर्याप्त संख्या थी । प्रचारित होने लगे थे। ये प्रयोग 'इक हाई स टम्स' कहे जाते थे। वे । परपुरया प्रागत नहीं थे। इन क्लिष्ट शब्दों की वर्तनी और कभी कभी नैथन वैली--सौ वर्षों तक अग्रेजी की कोशरचना का यही क्रम अर्थ बतानेवाले ग्रथो की तत्कालीन अनिवार्य आवश्यकता उठ खडी चलता रहा जिनके शब्दसवलन मे विशिष्ट शब्दों की ही मुख्यता बनी हुई थी । मुख्यतः इसी की पूर्ति के लिये--न कि अपनी भाषा के शब्दो रहो । भाषा में प्रयुक्त समस्त--सामान्य श्रीर विशिष्ट -- शब्दों का कोश बनाने में विद्वान् प्रवृत्त नहीं हुए थे । 'नैथन वेली' ने सर्वप्रथम ऐसे कोशके और मुहावरों का परिचय कराने की भावना से--प्रारंभिक अग्रेजी निर्माण की योजना बनाई जिसमें अंग्रेजी के समस्त शब्दो के समावेश का कोशो के निमणि की कदाचित् मुख्य प्रेरणा मिला। सदप्रथम 'टेबुल । प्रयास किया गया । इसका नाम था 'यूनिवर्सल इटिमॉलाजिकल ईगिलिश अल्फाबेटिकल व हाड वड्स' शीर्षक एक लघु पुस्तक राबर्ट काउ' । डिक्शनरी'। इसमे अनेक विशेषताएँ थी । सकलित शब्दो के विकासक्रम ने प्रकाशित की जो १३० पृष्ठों में रचित थी। इसमे तीन हजार का संकेत दिया गया था। साथ ही इसमे व्युत्पत्ति देने की भी चेष्टा की शब्दों की शुद्ध वतनी और अर्थों का निर्देश किया गया था। यह । गई । १७२१ मे इसका प्रथम संस्करण प्रकाशित हुआ । १७३१ मे इतना लोकप्रिय हुआ कि अाठ वपों में इसके तीन सस्करण प्रकाशित प्रकाशित दूसरे सस्करण में शब्दो के उच्चारणवधिक सकेत भी इ समे दिए करने पड़े । १६१६ ई० में ‘ऐन इगलिश एक्सपोजिटर' नामक-जॉन । गए । अग्रेजी के कोशज्ञ विद्वानो द्वारा यह कोश अत्यत महत्वपूर्ण अंग्रेजी बुलाकर को-कोश प्रकाशित हुमा जिनके न जाने कितने सस्करण डिशनरी माना जाता है।। डिक्शनरी माना जाता है। पहला कारण यह था कि डा० जानसन मुद्रित किए गए। १६२३ ई० में एच० सी० जेट' द्वारा रचित । द्वारा निर्मित ऐतिहासिक महत्व के अग्रेजी कोश की यह अधिारशिला इगलिश डिक्शनरी' के नाम से एक कोशथ प्रकाशित हुआ भनी । म अथ प्रकाशित हुआ बनी। दूसरा कारण यह था कि इसमें समस्त अग्रेजी शरदों के जिसकी रचना से प्रसन्न होकर प्रशसा में 'जॉन फोर्ड' ने प्रमाणपत्र वयाबवित सह यथाशक्ति सकलन का लक्ष्य पहली बार रखा गया। तीसरा कारण भेजा था। तीन भागों में विभक्त इस कोश की निर्माणपद्धति व्युत्पत्ति निर्देश करने और उच्चारणसकेत देने की पद्धति के प्रवर्तन को कुछ विचित्र सी लगता है। इसकी विभाजनपद्धति को देखकरे प्रयास था । ग्यास्क' के निरुक्त में निदिष्ट नैगमकोड, नेपटुकका और दैतझाडो में लक्षित वर्गानुसारी पद्धति की स्मृति ही आती हैं। प्रथम मा से जॉनसन के अग्रेजी कोश का महत्व (१७४७-१७५५ई०) क्लिष्ट शब्द सामान्य भाषा में अयों के साथ दिए गए हैं। द्वितीय अश में सामान्य शब्दों के अर्थों का विलष्ट पर्यायो द्वारा निर्देश है। | इठली और फास एकेडमीशियनो द्वारा ऐसे प्रामाणिक कोण है। देवी देवता, नरनारियो, लडके लडकियो, दैत्यो-राक्षसो, की रचना का कार्यक्रम प्रर्वातत हो गया था जिनमे परिनिष्टित' भापा पशु पक्षियों आदि की व्याख्या द्वारा तीसरे भाग के इस अर्थ में बर्णन के मान्यताप्राप्त प्रयोगरूप का स्थिरीकरणश्रीर प्रमाणीकरण किया गया। इसमें शास्त्रीय, ऐतिहासिक, पौराणिक तवा अलौकिक किया जा सके। जर्मन, स्पेनी, फ्राई किया जा सके। जर्मन, स्पेनी, फ्रासी सी र इताली भापाओं में ऐसे शक्तिसंपन्न व्यक्तियों अदि से संबद्ध कल्पना का भी अच्छा संकलन कोशो की रचना का प्रयास चल रहा था। है। २० साल परिश्रम करके 'ग्लासोग्राफया' नामक एक ऐसे को का 'टामस फ्लाउँ डर ने संग्रह किया था जिसमें युनानी, चातिन, हिम् अग्नजी भाषा को साहित्यिक स्वरूप--पुष्ट, विकसित, मान्य एवं माद के उन शब्दों की व्याख्या मिलता है जिनका प्रवोग उस समय की परिनिष्ठित होता चल रहा था। पद्य या छदोवद्ध भाषा के अतिरिक्त परिनिष्ठत अग्नजी में होने लगा था। एस० सी० कुकरमैन झा कोश की रचनाओं को साहित्यिक आदर प्राप्त होने लगा था। फ्लत झो छडा लोकप्रिय था और उसके जाने कितने संस्करण हुए। प्रसिद्ध मधेशी भाषा का तत्कालीन स्वरूप परिनिण्ठित भाषा के स्तर पर कवि मिल्टन के भतीजे एडवर्ड फिलिप्स ने १५४५ ई० में 'दि न्यू आय और मान्य हो गया था। अत साहित्यकार, पुस्तक प्रकाशक व आय इगलिश घई स्, यी 'ए जेनरल डिक्शनरी' नामक लोकप्रिय र प्रचारक यह महसूस करने लगे थे कि परिनिष्ठित अग्रेजी कोण का निर्माण अत्यंत मावश्यक हो गया है। अनेक पुस्तक प्रकाशकों और काश का निर्माण किया था। विक्रेताओं के उत्साह र सहयोग से पर्याप्त धनराशि व्यय १६६० तक के प्रकाशित कोशों की निमfण सबंधी अविश्यकतामो करके जॉनसन द्वारा अनेक वर्षों के अथक प्रयास से अग्रेजी में कदाचित् तात्कालिक प्रयोजन का सर्वाधिक महत्व था विशिष्ट की डिक्शनरी १७४७ से १७५५, ई० के बीच तैयार कर प्रकाशित की महिलाओं या अघ्पयनशील विदुषियों को सहायता देन' माद गई। इसी कन्साइज डिक्शनरी' भी १७५३ ई० में जान बैसली । में चलकर कारानिमणि का इस प्ररणा को निर्देश नही द्वारा / ' ! सामने भाई। आजतक जानसन को उक्त कोश १७०२ ई० से १७०७ १क 'ग्लासाफिया' के अनेक अपने । । ऐतिहासिक महत्व का माना जाता है। इसमें मुल

  • के व्युत्पन्न शब्दों का विकासक्रम दिखाने के

म अर्थप्रयोग को भी उदाहरणो द्वारा स्पष्ट । ॐ। एडवर्ड फिलिप्स का काश भी बार ' नूरी हो गया । एशिसाकोस मी,