पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/२१८

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प्रदर्शनीय अदबुद अदबुद -वि० [हिं०] दे० 'ग्रद्मुत' । उ०—-अदबुद रूप जाति अंदय–वि० [ स० ] १ दयारहित । करुणाशून्य ( व्यापार ) । | की वानी । कवीर बी०, पृ० २५ 1 । । । '२ निर्दयी। निष्ठुर । कृठोरहृदय ( व्यक्ति ) उ०-~-अनजानी अदबुदq–वि 1हिं॰] दे॰ 'अधबुध' । उ०-वाके बदन करू सर्व भूलो पर भी वह अदय दंड तो देती है ।—पचवटी, पृ० ७ । कोई । बुद अदबुद अचरज वड होई |--कवीर पी०, पृ०२५८ । अदया- सज्ञा - स्त्री० [ म० अ+दया ! कोप । नाराजी दया को अदव्व —सज्ञा पुं० [अ० अदव] १० 'अदव' ।—ादर अदत्र : । अमावil'उ०—अदया अलह राम की, वुरले ॐणी कूव -- सथ्थन देत [--पृ० रा०, ११७२१ । । । कवीर ग्र० प्र० २५ । अदब्व-वि० [सं० अ = नहीं+हिं० दखना] न दवनेवाला--- अदरक-सज्ञा पुं० [सं० शार्द क, फा० अदरक तीन फुट ऊंवा एक अव्व गठिबयान के सरव्य गव्व को हरे 1--पद्माकर ग्र ० • • पौधा जिसकी पत्तियाँ लुत्री- और जड़ या गाँठ तीक्ष्ण और पृ० २-३ । । ।। चरपरी होती । । । अद्भुत--वि० [हिं०] १० 'अद्भूत' । उ०—अद्भुतं' सलिन सुनत। । विशेष—यह भारतवर्ष के प्रत्येक गर्म भाग में तथा हिमालय पर गुनकारी के अास पिग्रास मनोमल हारी --मानस' १४३ । । ४००० से ५०००फुट तक की ऊँचाई पर होता है। इसकी अदभू--[म० अद्भूत] ३० ‘अद्भुत' 1 उ०--रज्जव निरजहि । “गाँठ मसाला, चटनी, अचार और दवाशो में काम आती है। इदर गुरु अदभू अादर ऐन । पहुप पुत्र फन पूजिये मुर नर • यह गर्म और कट होता है तथा कफ, वात, पित्त और शू ने का पावहि चैन --रज्जव० वानी॰, पृ० ८ ! ..: ।। ।। 17 नाश करती है। अग्निदीपक इसका प्रधान गुण है। गाँठ को अदभ्र–वि० [म०] १. वहुत । अधिक। ज्यादा । उ०—सुनु अदत्र जव उबालकर सुखा लेते हैं तब उसे सोठ कहते हैं। करदा, वारिज लोचन मोचन भय भारी । तुलसी ग्र०, पृ० । पर्याय-शृगवेर, कटुभद्र, कटूत्कट, गुल्ममून, मूलज, कदर, वर, ५१५। २ अपार । अनत । उ०—अगुन अन्न गिरा गोतीता । 7}} } महीज, सेंकतेप्ट, अनूपज, प्रपाकशाक, चद्राख्य, राइन्छ, सवदरमी अनवद्य अजीता ---मानस ७।१२। । ...- सुशाकक, माङ्ग, ग्राद्गशाक, सच्छाक । अदम--सज्ञा पुं० [अ०] १ अनस्तित्व । अभाव । लोप। २. अनूप- अदरको सच्चा स्त्री० [सं० औद्र ही] मोठ और गुड मिनाकर बनाई स्थिति। ३ देवलोक परलोक ! जन्नत । उ०—-अदम की हुई टिकिया। सोठीरा।। सीधी है, वुलदी है, न पस्ती है ।---शेर० मा १,१०३८६ । अदरखपु–स० पु० [हिं] दे० 'अदरक', उ०---हीग हुरद भिस .. छौंके तेले । अदरख और अविले मेले ।—मूर०, १०/१०१।। ' मुहा०----अदम की राह लेना, अदम को पधारना या अंदन की | अंदरसg---संज्ञा पुं० [हिं० ] ६० 'दर्शन' । उ०—'मरत हरत | सिधारना= मर जाना । ' ' दरसत सवहि, पुनि अदरस काहु । तुलसी सुगुरु प्रसाद चल अदमावाद–सज्ञा पुं० [अ०] वह स्थान जहाँ लोग मरने के बाद | होत परमपद लाहु । स० सप्तक, पृ० ३४ ।। जाते हैं। परलोक [को०] । •• - 7 अदरस -वि० [हिं०] दे॰ 'अदृश्य' । अदमखाना--- संज्ञा पुं० [अ० श्रदय +फा० खा रह] १०-'अदम प्राबाद' । अंदरा सज्ञा पुं० [हिं०] १० ‘प्राइँ' । उ०—(क) वरस अदा के ' [को०] । 'बुदेवा, ठाढि भी गुजरी।-प्रेमघन०, भाग २ पृ० ३४० । अदमेगाह---सज्ञा पुं० [अ० अदम +फा० गाह[ दे० 'अदमाबाद' । | [को॰] । (ख) अदर माहि जो बोवउ साठी। दुख के मार निकालउ । । "-" " " ,"- 0; 1; - । लाठी–घाघ०, पृ० १२२ ।। अदमतामील--सज्ञा स्त्री० [अ० 1 समन 'ग्रादि का अंमल में न अदराना :--क्रि० अ० [सं० अादर ] बहुत आदर पाने से शेखी पर | आना [को०] । । । । । । । " चहृन । फूलनी । इतराना । अादर या मान चाहना । जैसेअदमपैरवी--सज्ञा स्त्री॰ [फा०] किसी मुकदमे में जरूरी कार्रवाई न * । " 15 वे आजकल अदाए हुए हैं, कहने से कोई काम जल्दी नहीं करना । अभियोग मे पक्षप्रतिपादन का अभाव। जैसे बह- !' करने । मुकदमा तो अदमपैरवी में खारिज हो गया ।। .. '1 अदानी –क्रि० स० अादर देकृर शैखी पर चढाना । फुलाना । अदमफुरसत--सझा स्त्री॰ [फा० [ अवकाश न होना । अनवकाश घमडी बनाना । । [को०] । । । । ।" "।।। 7- अदरु --संज्ञा पुं० [सं० अदर] दे० 'आदर'। उ०—-राजे बिना बुलाई अदममौज दगी---सया जी० [अ०] अनुपस्थिति । गैरहाजिरी [को ' ' गति जाऊ, अदरु नहि होई ।---पोद्दार अम० अ० १, २, अदमवसूली—सज्ञा स्त्री० [अ०] मानगुजारी आदि की वसूल न होना। अदर्श-सज्ञा पुं॰ [सं०] १ बह दिन जिसकी मृघ्या की बदमा दिखाईन पडे । २ अादर्श । दर्पण (यो]। अदमवाकफीयत--संज्ञा स्त्री० [अ०] अनुभवहीनता को । । श्रदर्शन सच्ची पुं० [सं०] १. अविद्यमानता । असाक्षात् । ५ लोप । अदमसवत--सज्ञा पु० [फा०] किसी मुकदमे में सबूत का न होना । । । विनाश | ३ उपेक्षा [को०] । । प्रमाण का अभाव। । क्रि प्र०—करना ।—होना । अदमहाजिरी---संज्ञा स्त्री० [अ०] गैरहाजिरी । अनुपस्थिन्।ि ', अदर्शन---वि० अदृश्य । लुप्त [को०] 1 अदम्य--वि० [सं०] जिसका दमनः न हो सके । न दैवते योग्य प्रदर्शनीय–वि० [सं०] दर्शन के अयोग्य । जो देखने लान , प्रचड । प्रवल ।अजेय । - -- ।। । , बुर । कुरूप भद्दा ।