पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/२१७

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अदंभ अर्दबदीकर अदभ-सज्ञा पुं० १ शिव । २ दंभ का अभाव (को०) । ३. विशेव--कोई कोई प्राचार्य इसके, तीन भेद--[१] द्रव्यादत| शुद्धता (को०)। दान [२] भावादत्तदान, [३] द्रव्य मावादत्तदान और कोई अदंभित्व--सज्ञा पुं० [ स० अदम्भिव ! दभशून्यता । दम का चार भेद--(१) स्वामी श्रदत्तदान, (२) जीव अदत्तदान, [३] अभाव । पावड या श्राइवर का न होना । सात्विक जनो का तीर्थंकर श्रदत्तदान और [४] गुरु अदत्तदान मानते हैं। इससे एक गुण । । । । । वचने का नाम अदत्तदान विरमण्द्रत है । अदष्ट्र-वि० [सं०] दतहीन । विना दाँत. का [को०] । अदत्तपूर्वा--सज्ञा स्त्री० [सं० ] कुवारी कन्या । वह लड की जिसकी अदष्ट्रसज्ञा पुं० १ विना विषैले दाँत का सर्प । विषदतहीन । * सर्प [को०] । | मैगनी न हुई हो [को०] । - अदक्ष-वि० [सं०] १ अकुशल । जो निपुण न हो । २ अदत्ता--वि० स्त्री० [सं०] न दी हुई ।। | भद्दा । कुरूप [को०) । अदत्ता--सज्ञा स्त्री० अविवाहिता कन्या। अदक्षिण---वि० [सं०] १ वायां । जो दाहिना न हो । २ अदद सज्ञा पुं० [अ०] १. सख्या । अक । गिनती। २ ‘सपा का प्रतिकून । विरुद्ध । ३ बिना दक्षिणा का । दक्षिणारहित चिह्न या सकैत ।। [यज्ञ इत्यादि] । ४. अकुशल अनाही । अनुदार । । अदन-सज्ञा पुं० [अ०] १ यहूदी, ईमाई और मुसलमान मत के अदक्षिणीय–वि० [सं०] जो दक्षिणा देने का पात्र या अधिकारी अनुसार स्वर्ग का वृह उपवन जहाँ ईश्वर ने आदम को बनाकर न हो [को॰] । रखा था। उ०—अजन की रेखा राजे कूच बिच चित्र साज, अदक्षिण्य–वि० [सं०] २०‘प्रदक्षिणीय' किो०)। -: "" एहैं वेली, रेली, ही, उचित , अदन, मैं- |--छीत०, पृ० ३९ । अदग-वि० [स० अदग्घ प्रा० अदग्घ] १ बेदाग । निष्कलक । । २ अरव सागर का एक वदरगाह । दि । २ निरपराध । निदपि । जिसे पाप न छू गया अदन... सज्ञा पुं० [स०] खाना । भक्षण ३०-[क] भारती वदन हो । ३ अछूता । अस्पृष्ट । साफ । 'बचा हुआ । उ०—जेते थे तेते लियो, घूघट माहू समोय । कज्जल वाके विष अदन -सिव, ससि पतग पावक नयन ।—तुलसी रेख है, अदग गया नहि कोय 1-कवीर [इन्दि] । ग्र० पृ० २३६ । [ख] बहुरि वीरा सुखद सौरभ अदन अदग्घ--वि० [सं०] - १, न जला हुआ । २. जिसका दाह | रदन रसाल –घनानंद, पृ० ३०१ ।। | सस्कार न किया गया हो [को०) । अदना--वि० [अ०] [स्त्री० 'अदनी] १ 'तुच्छ । छोटा । अदत्त-सच्चा पुं० [सं०] वह वस्तु जिसके दिए जाने पर भी क्षुद्र । नीच '। उ०—हलाकू चंगेजो तैमूर, हमारे अदना, लेनेवाले को उसके रखने का अधिकार नै हो । |:: अदना सूर --मारतेंदु ग्रं॰, भा० १, पृ० ४७४ । २ विशेष---नारद ने अदत्त के सोलह भेद किए हैं---[१] सामान्य ! मामूली उ०——करना किसी पै, रहम, इक भय जो वस्तु डर के मारे दी गई हो । [२] क्रोध । अदना सी बात पर ,!---भारतेंदु ,,म०, - भा०, २, लडके आदि पर क्रोध निकालने के लिये । [३] पृ० २०६ । । । । । । । । । । शोकावेग मे ।' [४] रुक---असाध्य रोग से ' घबराकर' अदनीय–वि० [सं०] खाने योग्य ।। भक्ष्य । ' ।। - । । [५] उत्कोच–धूस के रूप मे । [६] परिहास' हैंसी 'हँसी मे । [७] व्यंन्यास--वैढावे में आकर अथवा | अदफर--सज्ञा पुं० [हिं०] दे॰ 'अधफर' । उ०—नाउ जाजरी देखादेखी ।[८] छल-जो धोखे में उचित से अधिक - धार मैं अदफर' भीर भुलान =स सप्तक, पृ० ३४४ । दे दिया गया हो ।' [९] बाल-देनेवाला 'यदि बालक अदब-सज्ञा पुं० [अ०] १. शिष्टाचार । 'कायदा । वडो को यो नाबालिग हो । [१०] मूढ़-जो धोखे में आकर आदर, समाने । उ०---दौलते - दीवार जाए पर अदब । बेवकूफी से दिया गया हो । [११] अस्वतंत्र - । ।। जाने न पाए ।—शेर०, पृ० ३०६ । । -... " दास के द्वारा या ऐसे व्यक्ति के द्वारा दिया गया हो। मु०--अदब की जगह-वह व्यक्ति, स्थान या वस्तु जिसका जिसे देने का अधिकार न हो । [१२] आर्त--जो ।। -लिहाज करना जरूरी होता है । - , बेचैनी या दु ख से घबड़ाकर दिया गया हो । [१३] । । क्रि० प्र०—करना । । । मत-जो नशे की झोक में दिया गया हो । [१] अदवकायदा-सच्चा पु० [अ०] शिष्ट व्यवहार [को०] । उन्मत्त—जो पागल होने पर दिया गया हो । [१५] अदव लिहाज-सज्ञा पुं० [अ०] आदर समान [को०] । - कार्य—जो लाभ । की झूठी अशा दिखाकर ! प्राप्त, अदबदकर ----क्रि० वि० [हिं० 1 ६० 'अदवदाकर' । उ०-- मैं यों तो किया गया हो और [१६] अधर्म काम्य-धर्म के नाम ये काच लेता या न लेता पर अव उनकी जिद से अदबदाकर पर जो अधर्म के लिये लिया गया हो। |, लूगा. श्रीनिवास० ग्रं॰, पृ० १६३ । ...... - - श्रदत्त-वि० [सं० श्रदाता अथवा स० अदत्त] जिसने दिया न हो । अदबदाकर--क्रि० वि० [सं० अघि + वववयन देना, कहना अथवा ।। । न देनेवाला । कृपेण । उ०कहू' चोर कहूँ साह कहावत, कहु अदत्त, कहु दानी ।—जग़वानी, पृ० ५३ । यो तो हम न जाते, अव अदवदाकर जाएँगे: (शब्द०)। अदत्तदान--सज्ञा पुं॰ [सं०] जैन शास्त्र के अनुसार विना- दी हुई विशेष—यह शब्द केवल इसी रूप-मे, क्रि० वि० के.. समान वस्तु का अहण । अपहरण ।। चोरी । डकैतीः । आता है परंतु वास्तव में यह कि अ है । । । । त जिसने दिया न हो । अदबदाकय१. ई० करके । टेक बांधकर जाएंगे; (शब्द०)।