पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/२०५

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अतिदेशन १४४ अतिप्रवद्ध कुछ विशेष स्थानों में कम अवे । वह नियम जो अपने अतिपत्न'---वि० [सं०] १ अतिक्रात । २ विस्मृत । ३ वीता निदिष्ट विषय के अतिरिक्त दूसरे विषयों में भी काम अाए । | हुआ (को०] । ३ विस्तारण (को०)। ४ भिन्न तथा विरोधी विषयो यो अतिपर'--वि० [सं०] शत्रुओ को जीतनेवाला । जिसने अपने दुआ वस्तुयो मे कुछ विशेप तत्वो की होने वाली समानता या को परास्त किया हो । शत्रुजित । सादृश्य । (को०)। अतिपर--सझा पुं० भारी शत्रु । वढा चढा प्रतिद्वी । विशेष---यह अतिदेश शास्त्र, कार्य, निमित्त, व्यपदेश और रूपभेद अतिपरोक्ष---वि० [सं०] १ दृष्टि से बहुत दूर । अदृष्य २ जो गुप्त से पाँच प्रकार का कहा गया है। जैमिनि मीमासासूत्र के न हो प्रकट किो०) । | सातवें और आठवें अध्याय मे इमका विस्तृत विवेचन है। अतिपाडुकवला--सच्चा स्त्री॰ [ सं० प्रतिपाण्डकम्वला ] जैन मतानुसार अतिदेशन--सज्ञा पुं० [सं०] अतिदेश करने की क्रिया या भाव [को०] । सिद्धशिला के दक्षिण के सिंहासन का नाम जिसपर तीर्थंकर अतिदोष--सझा पुं० [सं०] बहु बडा अवगुण या अपराध [को०] । वैठते है। अतिय–वि० सं०] १ ६ नो से प्रागै वढा हुअा। २. अद्वितीय । प्रतिपाति---सच्ची पुं० [सं०] १ प्रतिक्रम । अव्यवस्था । गडबडीं । अतुलनीय [को॰] । २. बाधा । विघ्न । हानि । ३ बीतना 1 व्यतीत होना (काल अतिधन्वा--संज्ञा पुं० [ग्र० प्रतिधन्वन्] १. अद्वितीय धनुर्धर या या समय ) । उ०—विद्यार्जन के लिये प्राणपण से प्रतिपातयोद्धा । २ वह ३ कि । जो मरुस्थल का अतिक्रमण कर गया अर्घ अाप का किया ।--अनामिक् , पृ० १६६।४ उपेक्षा। हो । ३ एक वैदिक गादाय का नाम [को॰] । दुव्र्यवहार। (को०) । ५ विरोध (को०) । ६ लगातार होना या अतिधर्म-सज्ञा पुं० [स०] उत्कृष्ट धर्म [को०]। गिरना (को०) । ७. विध्वस । नाश (को०) । प्रतिधृति--संज्ञा स्त्री॰ [स०] १ उन्नीस वर्ण के वृत्तो की संज्ञा । जैसे-- अतिपतिक-सञ्ज्ञा पुं॰ [सं०] धर्मशास्त्र में कहे हुए नौ पातकों में | शार्दूलविक्रीडित । २ उन्नीस की संख्या (को॰) । सबसे बडा पातक । अतिधेनु--वि० [म०] अपनी गाग्रो के कारण अत्यंत प्रसिद्ध [को०] । विशेष--पुरुष के लिये माता, बेटी और पतोहू के माथे गमन अतिना--सज्ञा पुं० ।स। सकीर्ण नमक मिश्रित राग का एक भेद । | और स्त्री के लिये पुन्न, पिता और दामाद के साथ गमन अतिअतिनाभ--मन्ना पूर [सं०] हिरण्याक्ष दैत्य के नी पुत्रों में से एक । | पातक है । अतिनाप्ट्र --वि० [स०] भय से परे खतरे बाहर से बाहर [को०]। अतिपातित--वि० [सं०] १ स्यगित । रोका हुप्रा । २ पूरी तरह अतिनिद्र--वि० ।०। १ अत्यत निद्रालु । २ विन। निद का । निद्रा- से तोडा हुमा [को॰] । हीन [को०1।। अतिपातित-पझा पु० हड्डी का पूरी तरह टूट जाना (को॰] । अतिनिहरी--वि० [स०] बहुत ही आकर्षक (गघ) [को॰] । अतिपाती--वि० [सं० + प्रतिपातिन् ] १. अतिपात करनेवाला । अतिनु---वि० [भ] नौको से पृथ्वी पर उतरा हुअा [को०] । २ गति में आगे बढ जानेवाला (को॰] । अतिनो--वि० [सं०] दे॰ 'अतिन्' (को॰] । अतिपात्य---वि० [सं०] कुछ विलव से करने योग्य । स्थगित कर देने अतिपचा--सज्ञा स्त्री० [स० अति + पञ्चा पाँच] वर्ष की वय पूरी योग्य [को० ।। | करनेवाली लडकी कि०]।। प्रतिपाप---वि० [ स० अति +पाप ] महापापी । उ०--कोन है मुझ अतिपथ-सज्ञा पुं० [सं० प्रतिपन्य ] सन्माग। अच्छी राह । सुपथ । सा पतित प्रतिपाप |---साकेत, पृ० १८१ । अतिपटीक्षेप--सज्ञा पुं० [म०] नाटक के अंतर्गत पर्दे के उठाने या न | उठाने का परित्याग [को॰] । अतिपुरुष--सच्चा q० [सं०] महापुरुष । वीर पुरुष (को०) । अतिपूरुष-सच्ची पुं० [सं०] दे॰ 'अतिपुरुष' [को॰] । अतिपतन-सज्ञा पुं॰ [सं०] १ दे० 'अतिपात' । २. सीमा से बाहर उड़ना (को०) । २ गिरना (को०)। ३ अतिप्रकाश-वि० [सं०] १. प्रसिद्ध प्राप्त । अत्यंत प्रसिद्ध । २ बुरे अतिक्रमण (को०)। ४ भूल [को०]। कार्यों के लिये मशहूर । कुख्यात [को॰] । अतिपतित--वि० [स०] १ अनिक्रात । २ मर्यादा से च्युत । ३ अतिप्रकृत--वि० [सं०] प्रकृत या सामान्य रूप से अधिक बढा | भूला हुआ [को॰] । हुशा [को॰] । अतिपत्ति---सज्ञा पुं॰ [सं०] १ अतिर मग । २ ममय की बीत जाना। अतिप्रबध---सच्ची पुं० [सं• अतिप्रवन्ध] अविच्छिन्ना ! निरतरता [को०] । ३ कार्य को पूर्ण न करना [को०]।। अतिप्रभंजनवात--सक्का पु० [सं० प्रतिप्रमजनवात ] अत्यन प्रचंड अतिपत्र--मज्ञी पु० [सं०] दृस्तिकद वृक्ष [को॰] । | और तीव्र वायु जिसकी गति एक घंटे में ४० या ५० कोस प्रतिपथी--सज्ञा पुं० [अ० अति +पयिन् ] सामान्य मार्ग से उत्तम ह भी है । | मार्ग । मन्दार्ग [को०]। अतिप्रमाण–वि० [सं०] १. प्रमाण से परे। जो प्रमाण को अतिअतिपद---वि० [सं०] १ पदरहित । जिसके पैर न हो। २. वर्ण- क्रमण कर गया हो । २ वहुत अधिक प्रमाणयुक्त [को॰] । वृत के अनुसार अधिक पदवालो। जैसे, अतिपदा गायत्री या अतिप्रवृद्ध-- वि० [सं०] अत्यधिक अहूकारी । २ बहुत अधिष बढ़ जगती को ०। । हुमा [को॰] । अतिपात्य---वि० [सं०1 साली किो] । । पाँच वर्ष की वय प