पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/२०३

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अतिहीन प्रतिकुळवि० [स") एक तन्नो अतिक्रुद्ध अतिक्रुद्ध-वि० [A] अत्यंत रुष्ट । अधिक नाराज (को०] । अतिघ्न --वि० [सं०] अधिक चिंता करना कि॰] । अतिक्रुद्ध-सझा पुं० तन्नोक्न एक मल्ल [को॰] । अतिघ्नी--सज्ञा स्त्री॰ [सं०] ऐमी सुवेद निद्रा या विस्मृति जिसमे अतीत अतिक्रूर--वि० [सं॰] अत्यधिक निष्ठुर (को०] । की अप्रिय बातें भूल जाएं [को॰] । अतिक्रूर--सझा पुं० १ एक तत्रोक्त मन्न ! २ शनि आदि शूर अतिचमू-वि० [सं०] सेना का विजेता [को॰] । | ग्रह [को॰] । |, अतिचर-वि० [सं०] अधिक परिवर्तनशील [को॰] । अतिक्षिप्त-वि० [सं०] सीमा के पार वा बहुत दूर फेंका हुआ [को०] अतिचरण ----संज्ञा पुं० [सं०] अधिक करने का अभ्याम् । जितना अतिक्षिप्त--संज्ञा पुं० मोच । मुरकन [को०] । | करनी हो उससे अधिक करना [को०] । अतिखट्व-वि० [सं०] चारपाई से रहित । विना खाट के काम अतिचरणा:-मया स्त्री० [सं०] १ स्वियो की एक रोग जिसमें कई चलानेवाला ।। वार मैथुन करने पर तृप्ति होती है। २ वैद्य के मतानुसार वह अतिगड)---किं० [सं० अतिगण्ड ] वडे या फूले गालोवाला [को०)। योनि जो अत्यत मैथुन मे तृप्त न हो । अतिगड-सझा पुं० १ वडा कपोल या गाल । २ वडे कपोलवाला । | अतिचरा-सा लौ० [सं०] स्थलपविती नाम की लता [को॰] । अतिचार–सा पुं० [सं०] १ मीमा से आगे बढ़ जाना। अतिक्रमण व्यक्ति । ३ एक नक्षत्र या तारा।४ एक योग [को॰] । अतिगध'---संज्ञा पुं० [सं० प्रतिगन्ध] १ चपा का पेड़ या फूल । २। करना । उ०—-मेरा अतिचार न बद हुआ उन्मत न्हा सबको भूततृण । मुद्गर, वटगोरा प्रादि (को०) । | घेरे ।----कामायनी, पृ० ७१ । २ ग्रहों की शीघ्र चलि ।। अतिगध-वि० ते ण गधवाला वि॰] । विशेप----जब कोई ग्रह किमी राशि के मोगल को समाप्त किए अतिगधालु-सज्ञा पुं० [सं० प्रतिगन्धालु ] एफ लता का नाम । | बिना ही दूसरी राशि में चला जाता है तब उसकी मन को पुन्नदात्र [को॰] । अतिचार कहते हैं । अतिगधिका--संज्ञा स्त्री० [सं० अतिगन्धिका] १० प्रतिगधालु' [को॰] । ३ जैनमतानुसार एक विघात । व्यतिक्रम । ४ तमाशबीनी और अतिगत--वि० [सं०] वहुतायत को पहुंचा हुआ । वहुन्। अधिक । मर्यादा भग करने का जुर्मं । नाचग के समाज में अधिक ज्यादा । अत्यत । उ०—-अतिगत आतुर मिलन को जैसे जल समिलित होने का अपराध । दिनु मीन -दादू (शब्द॰) । विशेप---चद्रगुप्त के समय में जो रसिक और रंगीले बार बार निषेध अतिगति--- सझा स्त्री० [सं०] उत्तम गति । मोक्ष। मुक्ति । उ०— करने पर भी नचिरग के समाज में समिलित होते थे, उनपर जनक कहत सुनि प्रतिगति पाई । तृणावर्त को ही मुनिराई । तीन पण जुर्माना होता था। ब्राह्मण को जूठी या अपवित्र वस्तु --गि० दा० (शब्द०) । । . खिला देने या दूसरे के घर में घुसने पर भी अतिचार दहे अतिगव---वि० [सं०] १ अत्यत मूई । २ वर्णन के परे । वर्णना ।। होता था। तीत [को॰] । अतिचारी--वि० [सं० अतिचारिन् ] स्त्री० अतिचारिणी ] अतिअतिगहन--वि० [सं०] अधिक गहरा । प्रवेश करने में दुक्र [को॰] । क्रमण करनेवाला । अतिचार करनेवाला । ३०-- अतिचारी अतिगह्वर–वि० दे० 'अतिगहन' [को॰] । । मिथ्या मान इसे परलोक वचन से भर जा |--कामायनी, अतिगुण--वि० [सं०] १ सद्गुणी । बहुत अन्छे गुणवाला ।। २. पृ० १६६ ।।। | अयोग्य । निकम्मा [को०] । अतिच्छत-सज्ञा पुं० [सं०] [स्त्री० अतिच्छन्ना ! भूतृण । अतिगुण--संज्ञा पुं० सद्गुण । बहुत अच्छा गुण [को०] । “छत्रक [को०] । । अतिगुरु--वि० [सं०] अत्यत भारी । वहुत वजनी [को०] । अतिच्छत्रक----मा पु० [सं०] [ स्त्री० प्रतिच्छत्रिका | दे० 'अतिच्छन्न' अतिगुरु-सज्ञा पुं० अत्यत अादरणीय व्यक्ति । पिता माता । [को०] । आदि [को॰] । "" अतिच्छादन---सज्ञा पुं॰ [सं०] सीमा से इस पर आगे बढा हुआ अतिगृहा--सज्ञा स्त्री० [स०] पृश्नि पण नाम की लता [को॰] । होना कि आसपास की मिलती जुलती चीजें भी उसके क्षेत्र में अतिग्रह--३५ [सं०] बोधगम्य । दुर्बोध [को॰] । आ जायें [को० ] । अतिग्रह --सज्ञा पुं० १ ज्ञानेंद्रियों का विषय । २. उपयुक्त या सही अतिजगती--सज्ञा स्त्री० [स०] तेरह वर्ण के वृत्तो की संज्ञा । जैसेज्ञान । ३ आगे बढ़ जाना। ४ अधिक ग्रहण करनेवाला तारक, मजुभापिणी, माया अदि । व्यक्ति को॰] । अतिजन--वि० [स०] जो आवाद न हो । जनावासहित [को॰] । अतिजव-वि० [सं० } बहुत तेज चलनेवाला । अत्यत वेगवान् । अतिग्राह- - सज्ञा पुं० [सं०] दे॰ 'अतिग्रह' [को०] । अतिजव..-मज्ञा पुं० असाधारण गति । अतिशय वेग [को०1। । ग्रतिग्राह्य--वि० [स०] नियत्रण में रखने योग्य [को॰] । अतिजागर--संज्ञा पुं० [सं०] एक प्रकार का वगला । नील बेक । अतिग्राह्य--संज्ञा पुं० ज्योतिष्टोम यज्ञ में लगातार तीन वरि किया। अतिजागर--वि० १ निरतर जागते रहनेवाला । २. जागरूक [को॰] । जानेवाला पण [को॰] । अतिजात–वि० [सं०] पिता से मागे वडा हुआ [को॰] । अविध-सज्ञा पुं॰ [सं०] १. एक प्रकार का प्रयुध । ३. क्रोध [को०]। अविडीन-सज्ञा पुं॰ [अ॰] (पक्षियो की) असाधारण उड़ान [को॰] ।