पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/१९६

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अडतालिस अडाना। मुहा०- -अडतल पफडनी या अडतल लेना = (१) पनाह लेना । अडर(१--वि० [सै० अ = नहीं + दर' - भय] निडर । निर्भय । बेडर । | शरण में जाना । (२) बहाना करना । । । वैखौफ । उ०---अडर भेप घरि चढत जो अना 1--कबीर सा०, अइतालिस--वि० [हिं०] दे॰ अड़तालीस' । | पृ० ३०६ ।। अड़तालिसव--वि० [स०अटचत्वारिंशत्, प्रा० अg = अत्तालिस<हिं० 'अडर--मक्षा पुं० । अॅ० अर्डर ] राजकीय प्रदेश । राजाज्ञा । अडतालिस + वा (प्रत्य०) ] जिसका म्यान सैतालीस के उपरांत - सरकारी आदेश। हो । क्रम या मख्या में जिसका स्थान अडत(लिसवाँ हो । अडव--सच्चा पुं० [ मुं० श्रीडव, श्रोडव] वह राग जिसमे पडज, गाघार अड़तालीस–वि० [ १० अप्टचत्वारिंशत्, प्रा० अट्चत्तालीस, अट्ठ- मध्यम, धैवत श्रीर निषाद ये पाँचो स्वर आवे ।। • 'तालीम ] एक सख्या । चालीस र अाठ । ४८ । | अडवा -सञ्ज्ञा पुं॰ [सं० अडुब्रोन, वाधा ] मनुष्य का प्रकार जो अडतीस–नि० [ प्ट त्रिशत् प्रा० प्रदुनीम, अठतीस ] एक संख्या । जानवरो को डराने के लिये खेत में से किया जाता है। तीस अरि आठ । ३८।। । । उ-दरियों ऐसी भैप है जैसा अडवा वैत । बाहर चैतन की ग्रडतीसवाँ - वि० [ हि० अडतीस+वाँ (प्रत्य०) ] जिमका स्थान रहन, भीतर जड़ प्रचेत 1--दरिया० बानी, पृ० ३६ । में ती सर्वे के उपरांत ही। क्रम या मया में जिसका स्थान अडवोकेट-सज्ञा पुं० [ । ऐडवोकेट 1 वह वक ल असे वकालतअडतीसवाँ हो । नामा दाखिल करने की जरूरत नहीं होती। निचले न्यायालय अडदार--वि० [हिं० अउ+फा० दार (प्रत्य॰)] १ अडियल । से उच्च न्यायालये तक वादी या प्रतिवादी के पक्ष में बहस रुर वाला। उ०- अली चल। नवलाहि लं पिये पै सजि बरने का कानूनी अधिकार रखने वाला न्यक्ति। वकील । अव गिगार । ज्या मनग अडदार को दिए जात ईदर --मति सव वकीन ऐडवोकेट होते हैं। राम (शब्द०) । २ इन्। मम्त । मतवाला। उ०-~ अडसठ--वि० [सं० अप्टषष्ठि, प्रा० अट्ठसट्टि ] एक सख्या। साठ दावदार निरखि रिसान दीह देल राय, जैसे गडदार अइ दार और प्राठ की संख्या । ६८ । गजराज को 1--भूपण ग्र०, पृ० ६ । अड़सठवाँ- वि० [हिं० अडसेठ+व (प्रत्य०)] जिसका स्थान संगठवें अइन-गधा रानी | हि० झरना ] डने का भाव या क्रि । अडनै के उप ति हो । क्रम या सरन्या में जिसका म्याने अड सवाँ हो । कं, म्यिति । उ०-माधु को ऐसा चाहिए ज्यो सिमु अडन अड़हुल—म पुं० 1 में प्रोण + फुल्ल, हि• प्रोण हुल्ल ! जपा वा जब ग्रई ।--- १०, पृ० ५४ ।। - पुप । देवी फल । गुरहर ।। अडना--क्रि० प्र० | ६० अथवा -म• हुई, प्रा० ० अठ> हि० अड से नाम० | १ रुकना । । । । हैन। उ०--इहि उर विशेष--इस पेड ६-७ फुट तक ठचा होता है और पत्तियाँ माखन चोर, गडे । अब कैसे नि३ मत सुनि ऊ तिर ॐ हूँ जु हरसिंगार से मिलती जुलती होते हैं । फूल इका बहुन वडा अटें ।--मूर०, १०1३७३१ । ३ हठ करना । टेक बाँधना । श्रीर खूब लाल होता है। इनके फूल में महक ( गघ ) ठानना। उ०---विग्हा ती मति अई, रे मन मोर सुजान । नही होती । -~-कवीर (शब्द॰) । अडाअड-सफा पुं० [हिं०] अड़ने की क्रिया या भाव । उ०—वक्को अइपायल--वि० [हिं० प्रड + पाँव Xल (प्रन्य०) ] जोरावर। की घडाघ ४ अडग की अडाअड में है रहे कडक सु देतो बलवान् (दि०)। की काकडी ।--१द्माकर ग्र०, पृ० ३०७ । अडवग --3) पुं० [हिं० डना -- सं० चक्र, प्रा० वक :- टेढा ] अड़कि-- वि० [हिं॰] अडनेवाला । अडियल । उ०—साहब सूम, १ टेढा महा । ॐचा नीचा । अडवड । अटपट । उ०—-वैद की अदा क तुरग, किसनि कठोर, दिवान नका।--इतिहास, ने माने ना पुरन भेद जाने कछु ठानै ठान अपने लबेद अडबगा | पृ० २०३।। की १०-२त्नाकर, भः ० २, पृ० १६६ । २ विकेट । कठिन । अडाकी--वि० [हिं० अडाक ] अडनेवाला । उa--ग्राबेटा मजबुत टूर्गम। जैम राना अडवत हैं।---( शब्द०)। ३ विलक्षण । अडाकी ज्ञात किया खल जैर ।—रघु ० रू०, पृ० ६३ ।। अनोखा अदभुत 1 ई०-- नहि जागत उपाय केछु लागत कुंभ- अडाड'--सुई पुं० [हिं० । । चौपायों के रहने का होता जो प्रायः करण अडगा ।--रघुराज (शब्द०)। वस्ती के बाहर होता है। लकड़ियो का घेरा जिसमें रात को अडवद--सल्ला पुं० [हिं०] दै० श्राद्ध वद । उ०—-या प्रेम का अरवर्द चपाए हाँक दिए जाते हैं । खरिक । वधिो प्रातम खोल लगाई।- वीर त ०, भा० ३, पृ० ४६१ । अडाड ---सा पुं० [हिं० ० 'अडार।। अडवड- वि० [हिं० अटपट अथवा अडवड ] टेढा । विकट । कठिन । अंडा--सधा पुं० [ अन्० ] टूटने या गिरने की शाघाज । उ० मुश्किल। हुस्तर। ३०-- अगमपुरी की है संकरी गलियाँ एक ऊँचा टीले का टीला अडाड करके फट पड़ा।सैर अडवह हे चढ ना 1---कवीर झा ०, भा० १, पृ० ६७ । अडवल---वि० [हिं० ] अडनेवाला । अडियल । ट्ठी । कु०, पृ० ३८ ! अडभग-वि० [हिं०] ६० 'अदबग' । उ०—-मुल्क पो चहके दुश्मन अडान--सा ५० [हिं० अर्ड + अन (प्रत्य०) 1 १ रुकने की जगह। धतिल मॅचाया देव अडभै पन से पडको मुर्दार अायो देखो। २ पडाव । वह स्थान जहाँ पथिक लोग विश्राम लें। –दक्खिन० पृ० २६६ । अडाना'--सझा पुं० [हिं० अडान 1 खडी या तिनछी लकडी जी गिरती ग्रडभगी--वि० [हिं०] १. टेढा मेढा 1 अडबई । २ विकट। कठिन । हुई छत,' दीवार या पेंड आदि को गिरने से बचाने के लिये दुर्गम । ३. विलक्षण । तगाई जाती है । डोट । चाँड़। थुनी। ठेवा टेका।