पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/१९१

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अटन १३० प्रद अटन--संज्ञा पुं० [स०] घूमना । चनना फिरना । डोलना । यत्रिी । अटरनी--संर मुं० [अ० एटर्नी } १ एक प्रकार का मुसार जो * कलकत्ता और बबई हाइ वटों में मुअक्किलो से मुकदमे लेकर भ्रमण । उ०—चले ग वन ग्रटन पयादे ।--मानम, २१३१०। उन्हें ठे, क जरता है और उनकी पैरवी के लिये वैरिस्टर निपृक्त अना(५)--क्रि० अ० [सं० अट = चनना अथवा भ्रटन) १ घूमना । करता है। २ ३ञ्च न्यायन्निया में सरकारी मुकदमों की पैरवी चलना। फिरना । ७०--जव जनयल जिते बघ ध िवर याना व 3 ।। तिते अटत दुरगम अचल भारे --सुर०, १।१२०१ २ यात्रा करना । सफर करना । उ०-- नो7 जाग जप विगग तप । प्रदरियाई (पृ---म। ग्त्री० [हिं० अटारी + इया (प्रत्य०) ] ३० सुतीरथ अटने ।--तुलमी ०,१० ५२० । ३ ५। पउभा ।। अटार' । ३०० –पि ।। ॐत्र २ अटरिया तेरी देखन चली । काफी होना । अंटना । -कवीर श०, १० ५५ ! | शटरुप---- ५० [1] ५ मा नारी का सप बीमक [को०] । अटना--कि० अ० [सं० उट = बस फम अयवा हि मोट ! पदा।। अटरूप---मल्ली पुं० [२] ६० अटा ' [को॰] । श्राद्ध करना । प्रोट करना । छेऊना । उ--(क ) फ टी जो अटरपक---ममा पुं० [सं०] दे॰ 'अटकप' क्रिो०] । घं घट झाट अटै, सोइ दीठि फुरी गधि को जु धेमाई - शय अटल-- वि० [सै० १ १ जो न टने । जो न डिगे । स्थिर । निश्चल । (शब्द०) । (ख) ने अटे पट फुटव ग्रीति तु देखते हैं तो ३०--3 'मीन पवन नदन अट न क्रुद्ध मुद्ध कौतुक करे - ब्रज सोनो । -के शव (गव्द०)। तुलसी (शब्द॰) । २ ज न मिटे । जी मदा बना रहे । अटनि--संज्ञा स्त्री० [सं०] १ ३० टन' । २ दे० 'अदा ' ।। f-१ ; चिरन्थी । उ~-करि रिपा दोन्ह मरुनानिधि अटनी' -सज्ञा स्त्री० [सं०] १ धनुर के मि’ का वह उग १ प । गुटले भनि, विर जि । -मूर । पद०) । ३ ३ अवश्य जहाँ प्रत्यचा या री बाँधी जाती है कि०] । हा । जिसना होना निश्चित है । अवश्यभाव । जैसे यह अटनीg..-सी स्त्री० [सं० अटन = घूमना } अटन ३ । यिः । दात अट न हैं, अपश्य होगी ।--(शुई०) । ४ ध्रुव । पक्का । | कलाबाजी । उ०—-जैसे वन्त बस चढि नटनी । वार करे जैसे-~उनकी इस यात में अटल विश्वास है ।-( शब्द० ) । तहाँ काटनी --सुदर० ग्र, भा० १ पृ० ९= । अटलस---*: पु० [ प्र० ऍटलम] वह मुस्त। जिपम १८ क मिग्न अटपट--वि० [सं० अट = चलना + पत् = रिगा यवो नु० } भिन्न भगा के मान नै हो । [ स्त्री० अटपटो। क्रि० प्रगटाना ] १ टेढा । विट टि। अटवाटी खटवार्टी--सा { अनुव० + हि० खाट + पाटो ] ३ ट मुश्किल । हुरुन्त । २ गूढ । जटिल। गह। अया ७--- बटोता। जारि बँधना | राज सामान । सुनि केवट के बैन प्रेम लपेटे अटपटे - तुलनी (शब्द॰) । ३ मुहा०--टवाटी पदवाट लेकर पडना या लेना = खिन्न प्रौर कटपटींग । अड बड़। उलट मीधा । वैठिकाने उ6--227ट उदाभन होकर अन्नग पड़ रहुन । ठकर अलग वैठना। शासन वैठि के, गोथन कर लीन्हीं। घर धनत है। कें देख के अटव--सरी स्त्री० [सं॰] दे॰ 'प्रटधी (फो॰] । ब्रजपनि हैसि दीन्हीं .---सूर० १०1४०६। ४ fभरता पड़ना । अटविके--१९॥ पुं० [सं०] जगली । अटविक [6] । लडखडाता। उ०५-वाही की चित्त चटपटी धरन अटपटे अटवी--पज्ञा स्त्री० [१०] १ जगल । वैन । उ०- -पेटयो हित हो नने पाइ |--विहारी र०, दो० ३३ । लगी, मसी मौरन घो ने लगी ।—साकेन, पृ० ३४८। २ अटपटा+--वि० [हिं०] दे॰ 'अटपट' ।। लया चौडा साफ मैदान । अटपटाना--क्रि० प्र० [हिं० अटपट से नाम० १ १ अटकना । अंटवीवल --सज्ञा पुं० [म०] बनव सियो की सेना । | अवड़ होना । लडखडान । घबराना । ---लिस । अरे नेटसट५)*--वि० [अनु॰] दे॰ 'अदृट्ट ।। * नैन, वैन अटपटात जात, ऐडात जम्हात गति अग मोरि अटहर५१--संज्ञा पुं० [स अट्ट = ऊचा ढेर, अटाला ] १ अटाला। वहियाँ झेलि ।---सूर ( शब्द० ) । २ वि + [ । सोच ढेर । २ फेंटा। पेट । पण्डी । उ०—आप ६ढ़ी शीश मोहि करना। अगा पीछा करना । जैसे--अप करने में अटपटाते दोन्ही कसोस यौ हजार शीश वारे की लगाई अटहर है ।--- क्या हैं ?-- शब्द॰) । (शब्द॰) । अटपटी७१–सच्चा स्त्री० [हिं० अटपट +ई (न्य०) 1 नटखटी । अटहर-- संज्ञा पुं० [हिं० अटक ] कठिनाई । अडचन अटकाव । अनीति । उ०----सूधै दान न काहे लेत १ अर गटटी छाँडि दिनन्त ।। ' नदसुत रह पाव घेत --सूर०, १०४१४६६ । अटा'---मज्ञा स्त्री० [ स० अट्टा 1 घर के ऊपर की कोठरी या छत । अटपटी--वि० [हिं० अटपट ] वैढगी। उनटी सीधी। उ० ---मधुकर अटारी । कोठा । उ०--छिनकु चलति, ठठुकी छिनकु, भुज | छाँडि अटपटी बाते ।--सूर०, १०॥३५४७ } प्रतम गल डारि । चढ़ी अटो देखति घटा बिज्जु छटा सी अव्वर --सझा पुं० [सं० डिम्वर } उबर । दएँ । उ०---7धित नारि --विहारी र०, दो० ३८४ ।। --... पाग अटब्वर को 1---श्रीपति (याब्द॰) । अदा-.-सज्ञा पुं० [ सः अदृ = अतिशय ] अला। ढेर। राशि । अटब्बर’---सा पुं० [प० टक्दर = परिवार ] खानदान । परिवर। समूह । उ०--ए री । बनवार के अहीरन के भीरन में सिमिटि कुटुव । उ० ---व-वर के वश के अटव्वर के रच्छक हैं तच्छक ममीन अबीर को अटा भयो।--पद्माकर (शब्द॰) । अलच्छन सुलन्छन के स्वच्छ घर--सूदन (शब्द०)। अट्रा--सज्ञा स्त्री० [सं०] भ्रमणशीलता ( सन्यासियो की भाँनि । अटम---सच्चा पु० [सं० अg] ढेर । अवार । भ्रमण की क्रिया । घूमना (को०) ।।