पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/१८५

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अजादार १२४ अजावन अजादार--वि० [अ० प्रजा++ फा० दार ] मृत्यु शोक करनेवाला । मातम अजानेय’--वि० अच्छी जाति का । ताकतवर निर्भय (घोडा) । मनाने वाला [को॰] । प्रजापवव--सज्ञा पुं॰ [सं०] अपधि के लिये निमित एक प्रकार का अजादारी----सझी मी० [अ० अजर + फा० दार+ई (प्रत्य॰) ] शोक । घी (को॰] । मातम [को०]। अजापालक--सहा पुं० [सं०] गडेरिया। मेयपालक [को॰] । अजान'--वि० [सं० अज्ञान, प्रा० अजाण [ स्त्री० जान] १ जो अजापुत्र--सझा पु० [सं०] बकरी का बच्चा बकरा । उ०—नित्य न जाने । अनजान । अवोध। अनभिज्ञ । अबूझ । नासमझ । एक अजापुत्र के भक्षण को सामर्थ्य आप में चढती जाय । --- उ० ---(क) तुम प्रभु अनित, अनादि लोकपति, ही अजान भारतेंदु अ०, भा० १, पृ० ७३ ।' मतिहीन |---सुर०, १।१८१। (ख) भक्त अरु भगवत एक है अजाव-सच्चा पुं० [अ० प्रजाव ] १ सजा । पहा । यातनी । ३०बुझत नही अजान |--कवीर (शब्द॰) । २ न जाना हुप्रा । कर अब तो हम अजाव के बदले 1--मारतेंदु ग्र०, भा० २, अपरिचित । अज्ञात । उ०——उसे दिखाती जगती का सुख, पृ० २०३ । २ पाप । कण्ट । प्रायश्चित्त । उ०--पलटू खुदा हक हँसी और उल्लास अजान |--कामायनी पृ० ३० । । राह यही । र खाना अजाव है जी ॥--पलटू०, पृ०१० । अजान-- सच्चा पुं० १ अज्ञानता । अनभिज्ञता । उ०—(क) 'मुझसे मुहा०—मोल लेना=व्यर्थ झझट मे डना ।। यह काम अजान में हो गया ।'--(शब्द०) । (ख ) धीरे धीरे यौ--अजाव के फरिश्ते = पापियो को दई देने के लिये नियुक्त आती है जैसे मादकता खो के जाने में ललाई में ही | यमदूत । छिपती --लहर, पृ० ७४ ।। अजामिल-सच्ची पुं० [सुं०] पुराण के अनुसार एक पानी ब्राह्मण का विशेप---इसका प्रयोग इस अर्थ में 'म' के साथ ही होता है और नाम जो मरते समय अपने पुत्र 'नारायण' का नाम लेकर दोनों मिलकर क्रियाविशेषणवत् हो जाते है । कही कही इसका तर गया। स्वतत्र प्रयोग भी प्राप्त होता है, जैसे-जान अजात नाम । अजाय –वि० [ स० अ = कुत्सित + फा० जाय = जगह ] वेजा । | लेइ । हरि वैकुंठ वास निहिं देइ --सुर०, ६।४। । २. एक पेड़ जिसके नीचे जाने से लोग समझते हैं कि बुद्धि अनुचित । वुरा। उ०--है सुत निर्धन देखि कै मातु कह्यो भ्रष्ट हो जाती है । उ०--कोई बदन फूलहि जना फूली । कोइ भनखाय 1 भए पुव ६ रक मर्म, कीन्हो कत अजोय । अजान वीरउ तर भूल जायमी (शब्द॰) । -~-रघुराज (शब्द॰) । विशेष--यह पीपल के वरावर ऊँचा होता है और इसके पत्ते अजाय--वि० [सं०] जायारहित ! पत्नीविहीन [को॰] । महूए के से होते हैं । इसमे लवे लंवे मार लगते हैं । अजायब'----संझा ५० [अ० 'अजब' की बहुवचन | अद्भुत वस्तु । अजान--सच्चा स्त्री० [अ० अजान | वह पुकार जो प्राय मसजिद की । विलक्षण पदार्थ या व्यापार । विचिन्ने वस्तु या कार्य । मीनारों पर मुसलमानों को नमाज के समय की सूचना देने अजायवq-वि० अजीव । विचित्र । विलक्षण । उ०—अविगत रूप और उन्हें मसजिदों में बुलाने के लिये की जाती है । वाँग । अजायब बानी । ता छवि का कहि जाई ।-भीखा श०, पृ० ३७ । मुहा०---अजान देना = (१) किसी ऊँचे स्थान या मसजिद का अजायवखाना----संज्ञा पुं० [अ० अजायब + फा० खाना ] वह भवन या मीनार से उच्च स्वर में नमाज करने के समय की सूचना देना। घेरा जिसमें अनेक प्रकार के अदभुत पदार्थ रखे जाते हैं । (२) प्रात काल मुर्गे का बोलना । मुर्गे का वाँग देना। अद्भुत-वस्तु-संग्रहालय । म्यूजियम ।। अजानता--सच्चा स्त्री॰ [सं०] अन ता । अजानपन । नासमझी। उ०-- अजायवघर--सज्ञा पुं० [अ० अजायच + हिं० घर] दे॰ 'अजायेव खोना । भोहि मेरे जिय की जनायबो अजानता है। जानराय जानत ही । सकल कला प्रवीन |--घनानंद, पृ० ३६ । अजायबी--वि० [हिं०] दे० 'अजायब'। उ०-- अग सुखमूल, अजानपन--सच्ची पुं० [हिं० अजान +पन ] (प्रत्य॰)] अनजानपन । रग रुचिर गुलाब फूल कोमल दुकुल तुलपूरित अजायबी |-- अज्ञानता। नासमझी । ३०--जो लोग झीरो की निंदा सुनकर घननद, पृ० २०६ । काँपते है वह आप भी अपने अजानपने में औरों की निदा अजाया--वि० [ स० अजातक ] गतप्राण । मृत । मरा हुआ । करते है ।---श्रीनिवास ऋ०, पृ० ३२६ । अजार---संज्ञा पुं० [फा० आजार] १ रोग । बीमारी । उ०—कवकी अजानि--संज्ञा पुं० [सं०] १ विना पत्नी का व्यक्ति । वह व्यक्ति अजव अजार मे, परी बाम तने छाम् । तित कोऊ मति लीजियो जिसे पली न हो । २ विधुर [को॰] । बद्रोदय को नाम --पद्माकर (शब्द०) । २. कृष्ट । दुःख अजानिक--सज्ञा पुं० [म०] १. गडेरिया । छागपालक । २ ६० (को०) । ३ दुर्व्यसन । लत (को०) । 'प्रजानि' । [को०]।। अजारा--संज्ञा पुं० [अ० इजारा] दे॰ 'इजारा' । उ०--कृपण संतोष अजानी--वि० [हिं०] दे० 'अज्ञानी' । उ० --रानी में जानी जानी | करै नहीं लालच अक । सुपण वभीषण से मिले लिए अजारे | महा पबि पाहन हू ते कठोर हिय है ।--तुलसी ग्र०, पृ० १६६ । लक-बकीदास ग्र॰, भा॰ २, पृ० ३१ । अजानीय--वि० [स०] दे॰ 'अजानेय' । २०धार के दश नाग- अजावत--वि० [सं० अजायमान 1 न जनमनेवाला। उत्पन्न न होने रिका का शिप्टदल देश अजानीय असाधारण अश्व और बहुत । धाला। अजन्मा । उ०--(क) निरमल अभी क्राति अद्भुत सी उपयिन सामग्री देकर भेजा था |--वैशाली ०, पृ० १२३ । छवि अक अजावने सोई ।---कवीर श०, भा० ४, पृ० २६ । जानेय'.-सा पुं० [सं०] अच्छी नस्ल का घोडा [को०] । (ख) पुरुष जावन रहा जो देहा ।--कवीर सा०, पृ० १५३३। •