पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/१८४

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१२३ अजदिनी अजहूँ --क्रि० वि० [हिं०] १० 'अजहूं'। उ०—–तुलमी अजहूँ सुमिरि अजाजी--संज्ञा स्त्री० [सं०1 सफेद और काला जीरा । जी।।। रघुनाथह तारा गयद जाके अर्धनायें । --तुलसी ग्र०, अजाजील-संज्ञा पुं० [अ० अजाजील ] शैतान [को॰] । पृ० ५ ०२ । | अजाजीव--संज्ञा पुं० [सं०] दे० 'अजजीवक' [को०]। अजहूँ --क्रि० वि० [स० अद्य, प्रा० अज्ज + हिं० हैं (प्रत्य॰)] अव अजात--वि० [सं०] १. जो पैदा न हुआ हो । अनुत्पन्न। २ । जन्मरहित । भी अद्यपि । अाज भी। उ०--किती वार मोहिं दूध पियत अजन्मा । । | भई, यह मजहूँ है छ टी ।-भूर०, १०1१७५ । अजातककुत्---सभा पुं० [भ] वह बछडा जिसकी पीठ पर हिल न अजाती--सज्ञा स्त्री० [सं० अजान्त्री । नीलपुष्पी नामक पौधा कि'०]। निकला हो। छोटा घड़ा । वछवा। उ०—-जब तक वडा अजाविका--मल्ल जी० [सं० अजाम्बिका भाद्र गृष्ण एकादशी का वडा नहीं हो जाता था अर्थात् उसकी पीठ पर डिल नहीं नाम जो एक व्रत का दिन है। निकल आता था तब तक वह अजातक कुत् श्रीर युवा होने पर अर्जा-- सा सी० [अ० प्रजा ] दे० 'अजान'। उ०—-तुझे ही शेख पूर्णक्कुन् कहलाता था ।--सपू० अभि० ग्र०, पृ० २४८ । ने प्यारे अजौ देकर पुकारा है ।---भारतेंदु ग्र०, भाग २, अजातदत-वि० [सं० अजातदन्त ] जिसे दांत पैदा न हुए हो । विना पृ० ८५१ । दाँत का। दतविहीन [को॰] । अजा--वि' स्त्री० [सं०] जिसका जन्म न हुआ हो। जो उत्पन्न न अजातपक्ष--वि० [सं०] विना पखवाला । जिसे पख उत्पन्न न हुए की गई हो । जन्महित । उ०—-अजा अनादि सहित अवि हो को॰] । नासिनि ।—मानस, १।६७ ।। अजातरिपु-नि० [सं॰] दे॰ 'अजातशत्रु [को०] 1 ग्रज -सा स्त्री० १ बकरी । २ सख्य मतानुसार प्रकृति यो माया प्रजातव्यजन-वि० [सं० अजातव्यञ्जन ] अस्पष्ट आकृति या चिह्न जो किसी के द्वारा उत्पन्न नही की गई और अनादि है । ३ वाला । जिसकी प्रकृति सुस्पष्ट न हो, (पक्षी) [को॰] । शक्ति । दुग। ४ भादो बदी एकादशी जो एका व्रत का अजातव्यवहार--वि० [सं०] जिसको व्यवहारिक ज्ञान न हो या जो घालिग न हो [को॰] । अजा--मझा पुं० [अ० अजा ]१ मृत्य शोक । मातम । २ मातम- अजातशत्तु ---वि० [स०] जिसका कोई शत्रु उत्पन्न न हुआ हो । विना पुर्सी (को॰] । बैरी की । शत्रुविहीन । अजाइव--सज्ञा पुं० [अ० अजायब ] दे० 'अजायब' । उ०--अजब अजातशत्रु’---सज्ञा पुं० १. राजा युधिष्ठिर । २ शिव । ३ वृहदाअजाद नूर दीदम दादू है हैरान |--दादू, पृ० ५७७ ।। रण्यक उपनिषद् में वर्णित काशी का एक क्षत्रिय राजा जो अजाखाना--सधा पुं० [अ० अजाखानह, ] वह स्थान विशेष जह बई। ज्ञानी था और जिसने गाग्यं वालाकि ऋषि को बहुत से मातम किया जाय, ताजिया रखा जाय यो मर्सिया पढ़ा उपदेश दिए थे । ४ 'राजगृह (मगध) के राजा बिंबिसार का जाय [को०] । पुत्र जो गौतमबुद्ध का समकालीन था । अजागर)---वि० [सं०] न जागनेवाला [को॰] । अजातश्मश्रु-वि० सं०] जिसे दाढी मूछ न निकली हो । छोटी अजागर--सा पुं० मृगराज । भैगरैया [को०] । उम्रवाला । अल्पवय [को॰] । अजागलस्तन--सा पुं० [सं०] १ बकरी के गले में लटकने वाली अजातारि--- सझा पुं०, वि० [सं०] दे० 'अजातशत्रु' को०]। मास को स्तनकार छीमी। २ देखने में उपयोगी किंतु निरर्थक अजाति----वि० [सं०] १ जाति से निकला हुआ । जाति से बाहर । वस्तु (लक्ष०) [को॰] । जातिरहित । पतित । पक्तिच्युत। उ०---कहहु काह सुनि अजाचq---वि० [हिं०] दे॰ 'अयाच्य' । उ०--जाचक भए अजाच रीझिहु वरु अकुलीनहिं । अगुन अमान अजाति मातृपितु हीनहि प्रजा परिजन मुद छाए ।- रत्नाकर, भा० १, पृ० २५४ । --तुलसी ग्र०, पृ० ३३ । २. जो जीत या उत्पन्न न मषाचक ---- सा पुं० [सं० अयाचक ] न माँगनेवाला। वह जिसे हो [को॰] । कुछ माँगने की अविश्यकता न हो । सपन्न व्यक्ति । अजाति--सधा जी० उत्पत्ति का अभाव। अनुत्पत्ति [को॰] । मषाचक --वि० जो न माँगे । जिसे माँगने की आवश्यकता न हो। अजाती --वि० [सं० प्रजाति] दे० 'अजाति' । उ०—चद न सूर दिवस सपन्न । भरापूरा। उ०--दिप्रन्ह दान विविध विधि दीन्हे । नहि राती 1 वरन भेद नहि जाति , अजाती ।:-कवीर सा०, जाचक सकल प्रजाचक कीन्हे ---मानस, ७१३ । पृ० २ । अजाची GF---सा पुं० [सं० शयाचिन् ] न माँगनेवाला। संपन्न क्रि० प्र० -- करना । जैसे--‘उसको विरादरी नै प्रजाती कर पुरुष । | दिया है ।-( शब्द० )।--होना। अशाची --वि० जो न मनै । जिसे माँगने को अविश्यकता नै हो । अजाती--सद्मा पु० जाति से अलग किया हुम्रा आदमी । जातिच्युत घन घान्य से पूर्ण । संपन्न । भरापू। उ०—(क) कपि सबरी व्यक्ति । सुग्रीव विभ'पन को जो किया अजाची ।—तुलसी (शब्द०)। अजाद-वि० [फा० आजाद ] दे० 'आजाद' । उ०---इमैं नंदनदन (ख) गुरुसुत नि दिए जमपुर ते बिन सुदामा कियौ प्रजाची । मोल लिए । जैम के फद' काटि मुकाए, अभय प्रजाद किए । —सूर ०, ११८॥ , --सूर०, १।७१ । प्रजाज़ि-सा भी० [सं०] दे० 'अजाजी' को॰] । अजादनी---सा मी० [सं०] वास यो जवासा का एक भेद [को॰] ।