पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/१७६

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११५ अच्छुप्ता अच्छर' @--मधा पुं० [ ई० अक्षार, पा० अर, प्रा० अच्छर ] २ गुन्न । वापदादा। ददा वृडा, जैन-दोगे क्यों नहीं ? अक्षर । वर्ण । हरफ। उ6--द्वादस अच्छर महामंत्र में प्रविपन्न । मैं तो तुम्हारे अन्छे अच्छी से नूगा ( बन्द०)। जप - रत्नाकर भी ० १, पृ० २१६ । अच्छा---क्रि० वि० अच्छी तरह । डूत्र । बहुत । जैसे----युग यहाँ अच्छर --वि० दे० 'अक्षर' । इ० ---प्रच्छर ब्रह्म मुन्न दबार 1 बुला र हुभ अच्छा तरी विय (शब्द०) । | कबीर श०, पृ० ५८ । अच्छा ---अव्य० १ प्रायना या प्रादश के उत्तर में (प्रन के नहीं ) अच्छर--मझा स्त्री० म० अप्सर ] अप्सरा उ० – सरू र मिदार स्थीतिसूचयः गव्यं । जैसे--( अादेश )--तुम वल भनि। | सुवाई। अच्छर जैसी दहि अछवाई |---जायगी (न्दि०) । ( उनर )--अच्छा' (जन्द०) । ३०--फिर बोनं-- अच्छा अच्छा -सम्रा स्त्री॰ [ स० २८मरस, पॉ० प्रा० अच्छरा] प्रा । याही कर बेचन तन --रत्नाकर, भा० १, पृ० ७३ । उ०—तरि कै छरी सो अकछरा मी यो निचोरि क 'मन कहे हैं २. इच्छ। के विरुद्ध कोई बात हो जाने पर प्रबद। उत्त होनी कन मुकता में पानी है' |---'भूपण ग्रं, पृ० २२४ ।। हुई या होने वाली सुन या देवसर भी यह शब्द कहा जाता अच्छरिपु--मझा बी० [हिं० | दे० 'अच्छरी' । उ०—घन अच्छरि है। पैर । जैसे—(क) अच्छा जो हुआ सो हृमा अब प्रागै से अच्छ कुनच्छ करे ---१० २०, २४३१ ६४ । | सावधान रहना चाहिए । (ख) अच्छा हम देख लेंगे (शब्द॰) । अच्छरी--सच्चा स्त्री० [सं० अप्सर, पा० प्रा० अच्छा ] अमरा । अच्छाई--संज्ञा स्त्री० [हिं० प्रची +5 ( प्रत्य॰)] अच्टपन । स्वर्ग की वरिवनित। । उ०---वनि नाचती सुर अच्छी जिन | उत्तमता । श्रेठता । सुदरता । सुचराई । भाव मोह। सिद्ध है ।--गुमान (शब्द) ।। अच्छाखासा- वि० [हिं० अच्छा+खासा ] पूर्णतः स्वम्य । तदुन्छ। अच्छा'–वि० [ मं० अच्छक, प्रा० अ = स्व-छ, निर्मल ] १। काफी अच्छा । पुरा । वढा चढी'। | उत्तम् । भला । बर्दिया । उमदा । खरा । चखा। | अच्छापन--सा पु० [हिं० अच्छा + धन ] (प्रत्य०) ] अच्छे होने था मुहा०—अच्छा ना = (१) ठीक यो उपयुक्त अवसर पर माना। गाव । उत्तमता । सुघराई । जैसे--तुम अच्छे अाए. अब सब ठीक हो जायगा ( शब्द०)। अच्छाबुरा--- वि० [हिं० ] सुदर या खेरवे । भला बुरा । (२) ठीक उतरना । सुदर बनना, जैसे--इस कागज पर चित्रे अच्छावा--संज्ञा पुं० [सं० प्रच्छावाक् | १ अाह्वान करनवाती । अच्छा नही आता (शब्द) । अच्छा करना = अच्छा काम यज्ञ करानेवाले होता, अध्वर्य श्रादि सोलह ऋत्विजनों में से करना । जैसे,—तुमने अच्छा नही किया जो चले मार (शब्द०)। एक । २ ३० ऋत्विज' । । अच्छा कहना प्रशसा करना, जैसे----कोई तुम्हें अच्छा नहीं अच्छाविच्छा--वि० [हिं० अच्छा+बीना = चुनना] १ दुरुस्त । कहतः (शब्द०) । अच्छा घर = सपन्न घर। प्रतिष्ठित कुन । खासा । चुना हुआ। । २ भला चंगा । नीन । अच्छा-दिन = सुख संपत्ति का दिन जैसे-उसने अच्छे दिन अच्छि (---तमा स्त्री० [ ई० क्षिा, प्रा० अच्छि नैन । न । उ6देखें हैं (शब्द॰) । अच्छी काटना, गुजरना या बीतना = अच्छा जपिराज की अच्छि पिश हुक भई रा खत ।--पृ० रा ०, तरह बीतना । अनिद से दिन कटना, जैसे--यहां से वहाँ ६३ । १४ । । अच्छी बीतेगी (शब्द०)। अच्छा रहना = अच्छी दशा में 'हुना। अच्छित-~-सा पुं० [हिं०] दे० 'अच्छत' । उ०—- वचन चार में लाभ वा अागम में रहा, जैसे-तुम से तो ही अच्छे रहे। कुकुम अन्छि । तिल करति नंदलान के --- छी०, १० ३० । जो कहीं नहीं गए (व्दि०) । अच्छा लगना = (१) भला जान अच्छिद्र'-.-[ स०] १. छिद्र रहिछ । रधविहीन । २ दिन । पडना । सजना । सोहना, जैसे—तुम्हारे सिर पर यह टोपी अन । ३ फूट प्रमाद अादि से रहित। ४ सच्चा । ५. नहीं अच्छी लगती ( शब्द०) (२) रुचिर होना । पसद । ब्रुटिरहित (को०] । ना, जैसे में यह फल नही अच्छा लगता। हम तुम्हारी अच्छिद्र'---महा पुं० १ दण्ण स्विनि या अवस्था । ३ दरहित यह चाल नहीं अच्छी लगती (शब्द०)। अच्छे वक्त= ठीक | काय पिने) । समय से । आवश्यकता के समय । जरूरत के वक्त । अच्छे से अच्छन्न--वि० [म० ]१ छिद्र रहि । २ जौ वटी न हो। अनि । पाला पड़ना = वैढने व्यक्ति से काम पड़नः । अच्छे हालो साबित । ३ जा टूटा वा विभक्त न हो। प्रविमा (को०) । गुजरना = साधारणत सुख से दिन बीतना । लगातार गतिशील (को॰) । विशेष---इस शब्द का प्रयोग व्यग्य रूप से बहुत होता है। जैसे-- अच्छिन्नपत्र--संज्ञा पुं० [स] १ गावाटक वृक्ष मिनी पत्तियां चरानेर 'अपि भी अच्छे कहनेवाले प्रा? वाँ मिले' । जब क ई पति रहती है। २. बिना कटे टूट पजपा पदः (कौ। कि पी को नही जंचती तब यह उमके कहने वा करनेवाले के अच्छिन्नपर्ण-म पुं० [न० दे० 'पित' । प्रति प्राय कहता है कि 'अच्छे अाए' वा 'अच्छे मिले' । प्रच्छिय५ --वि० [हिं० ] ६० प्र.र' । ६०- द; द्रा में प्रो २ स्वस्य । वगा । तदुरुस्त । नारोग । प्रारोग्य, जैसे-'तुम । छिमें ।- १० रा०, १।३०२। किसकी दवा में अच्छे हुए' (ब्द०) ? अच्छिर ---नया पु० [हिं० ] दे॰ 'अक्षर' । ३०--- दिनारिय क्रि० प्र०--- करना |--होना । ६1हिमा निम्ति अन्धर नृत !--१० २० (३०), भा० १, अच्छा--पशा पु० १ वडा प्रादमी श्रेष्ठ पुरुस । जैते--में न मच्छे पृ० २१२ । पठो को निकाले जावे देखा है, तुम देश ही (ब्द०)। अच्छुप्ता--ता सी॰ [४०] जैन पी १६ देवियों में से एक ।