पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/१६६

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अग्रभारी १०५ अग्रांश अग्रभागी--वि० [मं०] सर्वप्रथम हिस्सा या भाग पानेवाला (को०)। अग्रसध्या--सा स्त्री० [सं०] १. प्रातःकाल । प्रभात ।। ऊषाकाल । अग्रभुक्--वि० [सं०] १ देवपितर को अपण किए बिना पहले स्वयम् २. सायकाल का पूर्ववर्ती समय को०]। खानेवाला । २ पैटू। -रिक । ३. सबसे पहले भोजन करने अग्रसर--संज्ञा पुं० [सं०] १ आगे जानेवाला व्यक्ति । अग्रगामी। वाला [को॰] । अगा। २.। आरभ करनेवाला । पहले पहले करनेवाला व्यक्ति । ३ मुखिया । प्रधान व्यक्ति । अग्रभू--सी लो० [सं०] दे॰ 'अग्रभूति' [को०] ।। क्रि० प्र०--होना = आगे बढ़ना । ३०--हुए अग्रसर उसी मार्ग से अग्रभूमि-सा स्त्री० [सं०] १. घर की छन् । पाटन । २ लक्ष्य या प्राप्य स्थान [को०]। छुटे तोर से फिर वे --कामायनी, पृ० १०६। अग्रसर-वि० १, जो आगे जाय। अगुआ। २ जो भारभ करे। अग्नमहिपी-सज्ञा स्त्री० [सं०] प्रधान रानी । पटरानी [को०] । ३ प्रधान । मुख्य । उ०—अग्रसर हो रही यहाँ फूट, बाधाएँ अग्रमास--सज्ञा पुं॰ [सं॰] १ उदर के भीतर मोमवृद्धि का एक रोग । कृत्रिम रही टूट --कामायनी, पृ० २३६।। ३. हृदय [को०] । अग्नसारण--सझा पुं० [सं० अग्रसर ] १. आगे बढ़ाना। किसी का अग्नमुख–सझा पुं० [सं०] भूखे को अग्रभाग । मुखाग्र [को॰] । आवेदन पत्र प्रादि प्रागेवाले अधिकारी के पास भेजने का कार्य । अग्रयान--सूझा पुं० [सं०] १ सेना का अागे वढनः । सेना का पहला अग्रसोरा----सच्चा स्त्री॰ [स०] १ विना फल या पत्ते की टहनी । २. । धावा । २. प्रागै वढती हुई सेन । धावा करती हुई फौज। अनत सस्याओं की गिनती करने का एक सरल तरीका [को॰] । अग्रयान--वि० अग्रगामी । अगृr [को॰] । अग्रसारित-नि॰ [ सू० अग्रसर ] आगे बढ़ाया हुआ । अग्रयायी-सकार पुं० [सं० अग्रयायिन् ] १. अगुआ। अग्रसर । २ । अग्रसूची-सज्ञा स्त्री॰ [सं०] सूई का अगला भाग या हिस्सा। सूच्यग्र [को॰] । प्रधान। श्रेष्ठ [को०]। | अग्नसोची--सज्ञा पुं॰ [स० अग्र+हि० सोचना] अागे से विचार करने अग्रयोधी--सज्ञा पुं० [सं०] १. आगे बढकर युद्ध करनेवाली वीर। २ । वाली प्राणी । दूरदेश । दूरदर्शी । उ०—-पहले कुछ आटे की कमी प्रधान योद्धा । प्रमुख वीर को०] ।। मालूम हुई किंतु अग्रसोची सदा सुखी !-किन्नर०, पृ० ७७। अग्रलेख--सच्चा पुं० [स० अग्र + लेख } दैनिक और साप्ताहिक समाचार अग्रस्थान--सज्ञा पुं० [सं०] शीर्षस्थान । प्रथम स्थान या मूर्धन्य स्थान पत्रो मे सर्पा कय स्तभ के अतर्गत मपादक द्वारा लिखित (को॰] । प्रमुख लेख । उ०---'जीवन चरित्र लिख अग्रलेख अथवा छापते अग्रह--सज्ञा पुं॰ [सं०] १. गार्हस्य को न धारण करनेवाला पुरुष । विशाल चित्र' 1--अपरा, पृ० ६३। । २ वानप्रस्थ । ३ ज्ञानशून्य (को०)। ४ गृहशून्य या गृहहीन विशेप--यह शब्द अग्रेज़ी के ‘लीडिंग आर्टिकल' का अनुवाद है । व्यक्ति (को॰) । अग्रलोहिता---सी स्त्री० [सं०] चिल्ली या वथुप्रा नामक शाक [को०]। अभहरवि० [सं०] (वस्तु या पदार्थ) जो पहले दिया जाय । सर्व‘अग्रवक्त--सज्ञा पुं॰ [सं०] सुश्रुत में वर्णित चीरफाड का एकं यत्र ।। | प्रथम दी जाने योग्य [को०]। अग्रवर(५)---क्रि० वि० [२० अग्र+पर, प्रो० वर ] आगे। पहले। अभहस्त--सा पु० [सं०] १६° मकर । २ हाथी के सूड का उ०--उमडि अग्रवर पेयर दिन्ह्यउ, जिय हुठि प्रथम जुद्ध व्रत | अगला सिरा या नोक [को॰] । लिन्ह्यउ |---हिम्मत ०, पृ० ६५७ ।। अग्रहायण- -संज्ञा पुं० [स०] वर्ष का अगला या पहला महीना। अग हुन । मार्गशीर्ष । * अग्रवर्ती---वि० [स० अग्रवतिन् ! अागे रहने वाला । अगुआ। विशेष--प्राचीन वैदिक क्रम के अनुसार वर्ष की अरिभ अगहन से अग्रवात -सी पुं० [सं०] स्वच्छ एव ताजा वायु [को॰] । माना जाता था। यह प्रथा अब तक भी गुजरात आदि देशो में अॅग्रवान्--वि० [स० ] सबसे आगे या श्रेष्ठ [ को०]। है। पर उत्तरीय भारत में वर्ष का आरभ चैत्र मास से लेने अग्रवाल--सज्ञा पुं० [हिं०] अगरवाला। के कारण यह नवा पडता है। अग्रश --क्रि० वि० [१०] अागे से ही। पहले से ही । शुरू से ही । | अग्रहार---संज्ञा पुं० [सं०] १ राजा की ओर से ब्राह्मण को योगक्षेम | [को॰] । के लिये किया हुआ भूमि का दान । २. बह गाँध या भूमि अग्नशाला--सा स्त्री॰ [म०] निवास का अगला भाग । असारी जो किसी ब्राह्मण को माफी दी जाय। ३ ब्राह्मण को देने [को॰] । , के लिये कृषि की पैदावार से, निकाला या अलग किया हुआ अग्रगोची-सच्चा पुं० [१०] अागे से विचार करनेवाला । दूरदर्शी । अन्न (को०)। दूरदेश, जैसे---‘अग्रशोची सदा सुखी' (शब्द॰) । अग्नहारिक--संज्ञा पुं० [सं०] अन्नहार का निरीक्षक अधिकारी [को॰] । अग्रशोभा--सज्ञा स्त्री० [सं०] उत्कृष्ट मौदर्य । अपूर्व शोभा [को०]। अग्नाश-सज्ञा पुं० [ स० अ +अश ] १. आगे का भाग। २ चद्रमा अग्नसख्या--सज्ञा जी० [सं०] प्रथम स्याने या श्रेणी [को०] । का वह भाग जो पृथ्वी पर से सदैव नहीं दिखाई पडता वरन अग्रसधानी--सज्ञा स्त्री॰ [स] यमराज की एक पुस्तिका या पञ्जिका कभी कभी चद्रमा की अनियमित गति या कप से दिखाई पड जिसमें प्राणिवर्ग का शुभाशुभ लिखा रहता है [को०] । जाता है।