पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/११७

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अदलो अँधियारा अदली--वि० [ प्रा० अधल ] अधः । उ०---यहाँ वी अंदप्ती आखिर लकडियों की चुन्न जो दूसरी पट्टी के भीतर ऐसे घसी न्हत है। | के बी श्रृंदले ---दक्विनी ० पृ० ४३३ । कि ऊपर से मालूम नहीं देती। अॅदाज -सज्ञा १० 'अदाज"। उ०—-एक जीव जीवत हैं उमर अँधला--संज्ञा पुं॰ [प्रा० अघल ] दे० 'धग'--१ । उ० ( क ) अंदाज भर ए३ ज ब होते हिसु होत चटपट है ।--ठाकुर तिर्वं उद्र महि दुख महै अंघलड ६fले ग्रसीतु ।—प्राणु०, पृ० पृ० १३ । । २१० | (स ) कोने ‘भ्रम मूल अंधा --भुदर० प्र०, मा० अंदाना--क्रि० स० [ स० प्रद या अदि = बाँधना, बघन करना] | २, पृ० ९०९ ।। बचाना । बरकार। उ०---पग्विा नवमी पुरुब न 'माए। दूइज अंधवायु)---संज्ञा पुं० [ स ० अन्धवायु ] अाँधी । उ०---तैर। मृत दममी उन र अॅदए |--जायसी ( घाब्द०) । अंधवायु उठायो |--ब्रज०, पृ०३८ । अशा--संज्ञा पुं० [ से ० ग्रन्दुक, प्रा० अदुयो | हाथियों के पिछले पैरो अधवाहy-मज्ञा चु० दे० अंधव' । ७००-घावह नद् गहिरि लगे। में डालने के लिये लव डी का बना एक बटेदार यन्न । किन तेरी सुन अंघवाह इट यौ ।---मूर०, १०१७७ । विशप - दो धनुषाकार लकहियो का बना होता है जिनके अधार'५ मिज्ञा पुं॰ [ रा ० अन्धकार, प्रा० अधीर ] अधकार । सम। मुंह एक अोर काल से मिले रहते हैं। इसे हाथी के पैर मैं अंधेरा। अंधियारा। उ०---मृगनैनी कामिनि विना लागन मबै डालकर दूसरे छोरो को भी बांध देते हैं। | अंधार ।--ज० प्र०, पृ० ९६।। अंदेशा--माझा पुं० [फा० अदेशह, ] 91ोका । खेटके।। १०-- अंधार --सज्ञा पुं० [ स० ग्राघार= सहारा ] रस्सों का अन मह कैमा ? छोइ कैसा • गुप्त पथ का व 1 अंदेशा |--क्वामि, जिनमें घास भूमा प्रादि भरकर वैल की पीठ पर लादते हैं । पृ० १० ।। अँधारी--मज्ञा स्त्री० ग्रांद्वी । तेज हवा । तूफान (दि. ) अँदेस(+--मझा पुं० दे० 'अंदेश।' । ३०--जिन व रमन करि अधिक अँधिभर ५ --नि० [ स० अन्धकार, प्रा० अघोर] अंधेरा । प्रध क लैम् । फल अति तुच्छ मिटे न देम |--नद० ग्र०, पृ० करिमथ। उ०--हिएं की जोति दीप बई नाका । यह जो दी। ३०१ । । अधिग्र भा वूझा --जायर्स' ग्र० ( गुप्त ), पृ० २०४। अंदेसवा--सज्ञा पुं० दे० ये देशा'। उ०--तुम बिन प्रान रई वा अधिन्नारा५ --मज्ञा पुं० [सं० प्रकार, प्रा० अभ्यार अधव ।। नाहीं यहू जिय म ह अंदमवा रे । --भारतेंदु ग्र०, म ० ३, अंधेरा। इ०-वर पि धूरि कीन्हे नि अंधियारा |--कनिम १० ३७४।। ६.५१ । अंदोरा)---सज्ञा पुं० दे० 'अहोर'। उ०-~-धरी एक सुठि भयउ अँधारी-मज्ञा म्ली० [ म० घन्छ+कारी ] अखि वद ३ ३ ।। अंरा । पुनि पाछे बीता हाइ रारा 1--जायसी ( शब्द० ) । | प्रावण या पट्टी । अंग्रेरी । उ०--छलि शखिन्ह अधिग्ररी अँदोल -सज्ञा पुं॰ [ प्रा० श्रदोल = झलना ) आनद । प्रसन्नता । । मेली। धन काहि गडदार महेली 1-चित्रा०, पृ० २०३।। । उ०—-चहल पहल सा देखि कै मान्यो बहुत अंदाल ---सुदर० अँधियरवा ---सज्ञा पुं० [हिं० अघियर+वा (प्रत्य०)] ३० ‘मधि | ग्र०, भा० १, पृ० :१६ ।। यार' । उ---अधिग्रवा में टाढि गौरी का करलु । जब लोग अॅदोलना--- क्रि० स० [ स० अन्दोलन ] हिलाना । हुलाना । तेल दिया में बाती, ये है। अॅनों व विधाय धलतू ।-- सेत उध-गि दिनान स्नम अग वारि पिन्नो प्रदोलि कर |-- वान,०, भ० २ पृ० ३३ ।। रा०, १५५५६ । अँधियरिया --सज्ञा स्त्री० [हिं० अँधियर +इया ( प्रत्य॰)] १ अँधकाल---संज्ञा पुं० [सं० अन्ध+काल] अधकार । अँधेर । उ०— अँधेरी रात । २ अंधरा । तम । उ०—-वन विवरिया मिटि सूर कचन गिरि घिचनि मनू रह्यो है अंधकाल ।-सूर ० १० । अँधियरिया। --धरम०, पृ० ३ ३ । । | १०८३।। अँधियार--संज्ञा पुं० [सं० अन्धकार, प्रा० अघपार {• अंधियारी) अँधवाई--मज्ञा स्त्री० दे० 'ग्रवाई अधेरी । अधकार । तम् । ३०---पसर परयों में धियार सेकेल अँधवाई---सज्ञा स्त्री० [सं० अन्धदाय] धूल लिए हुए वेगयुक्त पवन ।। • ससार धुमडि घिरि ।-नद ग्र०, पृ० ४।। ऐसी तेज हवा जिसमें गर्द के कारण कुछ सूझ न पड़े। अाँधी अँधियार’--वि० प्रकाश हित | पंधेरा । तमाच्छादित । दे" 'अंधेर' । तूफान । उ०--श्याम अवैले आँगन छाडे यापु गई कछु पाज उ०-भय उदधि जमलोक दरस निट ही अँधियार । घर । यहि अवर अॅदाई वा इक गरजन गगन सहित घरे । —सूर ०,१८८ ।। --सूर (शब्द॰) । अँधियारक टोला--मज्ञः पुं० [सं० अँधियारक + हिं० टोला ] अधक अँधरा -सज्ञा पुं० [ स० अन्ध, प्रा० अघरअ ] अघा । नेत्रविहीन नाम का यदुवंशियों की एक शाखा का निवासस्थान । अर्घा प्राणी । दृष्टिरहित जीव ।। ' का निवास ।अँधरा --वि० ग्रछा । विना अाँख का । दृष्ट्रिरहित । अँधियारा --संज्ञा पुं॰ [ म० अन्धकार, प्रा० अघयार ] अँघरी-सज्ञ ली० [हिं० अंघर+ई ( प्रत्य० ) अध। अधी। अँधेरा । अघकार-1 तम । २ घुघलापन धुघ । अँधियारा --वि० १ प्रकाश, रहित । अँधेरा। तमाच्छादित । अँधरी*---सज्ञा स्त्री० [स०आधारित,प्रा० आधारिश्र> शीघरी > अँधरी] । उ०—६झ अँधियारा फगत ६। जव मनुज अघ में निरत | पहिए की पुट्टियों अर्थात् गोलाई को पूरा करनेवाली घनुषाकार था 1-हस०, पृ० ११ । २ घुधला। ३. उदास । सुना।