पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/११५

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

३ नाम० ] ध्याना-अपना । में लपेटकर ह वन में छिपाना। २. चारो गलिय अँजः अँडान अँजी --संहा पु० [३० प्रजिर 1 अजि:। अपन । ०--अमृत अँटकना--शि० अ० [ दै० ] १ झुकना । अइना । ३०--गोरख | बुद तहे झरे निदा। नैन अंजीर मगन मन चंदा |-- अँटके कानपुर कौन होवे शाहू } -कवीर वी०, पृ० | --३० सागर, पृ० ६८।। ६५ । २. फेसना । देलझना। ३०- सुनेह ग्वानि मन अँजुरी----सच्चा ० ३० ‘अजली' । ३०--जीवन मग बात है ज्यों अॅटक्यो अक्षर प्रीति जाति नहि तौरी --मूर०, १०1३०५ अंजु का नीर --मुंदर ग्र॰, भा॰ २, पृ० ६८५ । दे० 'अटकना । अँजुली -मल्ला झी० दे० 'अँगली' । ३०--जैसे मोती ग्राम की, अँटकाना--क्रि० स० दे० 'भटकाना' । अँटना--क्रि० अ० [देश॰] १ माना। किसी वस्तु के भीतर पानी अँजुनी माहि --सतवानी ०, मा० २, पृ० १६३ । | अना। ४०--( क ) दूध इस वरतन में न अँटेंगा (शब्द॰) । अँजोर --सूझा पु० [मुं० उज्ज्वल ] इजाना । जे । प्रदगि । | ( ३) अनिद हृदय में अंटता नहीं था । -- भक्तमाल रीनी । चाँदनी । उ०—-माग हुना अँधेर अनूझा । भा ( श्री० ) पृ० ५५० । २ किमी वस्तु के ऊपर सटीक बैठना । अंजोर नत्र जाना तूझा --१०, १५१३६। ठीक चपकना। ४०--यह जूता मेरे पैर में नहीं अटका है (शब्द०)। अँजोरना)---निं० ० [हिं० अंजुरी से नाम०] १ वटना । भने ३ भर जाना। ढुक जाना । छा जाना । २०--कूड़े से कुआ ना । उ०—करो जो कछु धरी नचि पचि नुट्टत सिली बटोरि। | अंट गया ( शब्दः ) । ४ पृ पदना। काफी होता | बस पछि ३२ ववस दयानिधि दम लेन अँजोरि ---जुन्नी होना । चलना । ४०-( क ) इतना कमाते हैं पर चैटना नहीं ( शब्द०) । ३ छीनना । हरण करना । लेना। मुमना । ( नन्द्र० ) । ( ख ) अकेले हम इतने कानों को नहीं अट ८०-- भुई दिय* माग में मांझट म्टको सं फोनि । सुत ( शब्द०)। ५७. पूरा होना। खपना। लग जाना। सूरदान प्रभु रसिक शिरोमणि चित चिंतामणि लिया अँजोरि ।। | अँटिया--संझ) नी० [प्रा० अट्टा, 'ट', हि० अंदी+इया (प्रत्य॰)] --सूर (शब्द॰) । घास, स्वर या पनर्ज। नवडियो श्रादि व बँधा हुअा मृट्टा । अँजोरना –क्रि० ३० [ मुं० उज्ज्वलन; हि० 'अँजोर से नाम० ] छोटा गट्टा । नठिया पूली ! नाना । प्रकाशित करना | वान्नद । जेम--‘टपक अंजारना' टियाना-क्रि० न० [हिं० 'अँटिया' से नमि० या अंटी] १ इंगन्नियो ( शब्द॰) । अँजोरवा(y ---मुंज्ञा पुं० [हिं० जोर+वा ( प्रत्य० ) 1 इनाला । में लपेटकर डोरे की पिडी बनाना। ३ बस, खः या पतनी प्रकाश । ०---जव नगि तेल दिया में वार्ता, ये हैं। अँजीवा लकहियो वा झुट्टा बाँधना : ४ टेंट में खना। अर्दी मे रखना। दिवाय घलतू ।-~मनवानी ०, भा० २, पृ॰ २३ ।। ५. गायद करना । जम *रना । । अँजोरा---वि० [सं० उज्वल, हि० अंजोर] उजेला । प्रकाशमान । अँटीतल-संझा धुं० [ देश० 1 इक्कन जिन्हें तैली नाग कोल्हू में जोदने य--अँजोरा पाग्य बृक्ल पक्ष । अंजोरा --संज्ञा पुं० प्रकाश ! रबिर्न, । इ०--दिया मंदिर निसि अँठई*--सन्ना स्त्री० [ ० अष्टपदी प्रा० अटुअई, अंठई] टाटे छोटे कंडे कर अंजोग । दिया नाहि घर मूसहि चोरी --जायसी जो प्राय कुत्तों के बदन में चिपटे रहते है। किननी । चिचडी । | ( शब्द० ) । अँठली–अङ्गा स्त्री० [सं० अप्ठि = गुरुत, गट, अप्ठलिका ] नवयुवती के अँजोरिया --मः स्त्री० [हिं० अँचौर+इया (प्रत्य॰)] चाँदनी। | निकलते हुए जन ।। | व्योल्ना । अॅठियाना--क्रि० इ० [सं० अप्ठि प्रा० अद्,ि 'अंठि से नाम० ] अँजोरिया (g:--वि० उजेली । शुक्ल पक्ष की । १ गुठनी पडना | गिलटी पड़ना । गाँठ पहना। ३ दही का यो ०---अँजोरिया रति = शुक्ल पक्ष् फी रात । यदा जमना। अँजोरी’---सच्च, मी० [हिं० अॅनोर+ई (प्रत्य०)] १ प्रकान्। अँड.-संज्ञा पुं० [अ० अण्ड] अडा। वैजा। उ०—जिन मुद सीधे नं, चमत्र । जाला । ३०-महिमा अमित मोरि मति सिहार सोचे अन्न ग्रह उलटे सही --रत्न०, पृ० ६। बोरी रवि मुनमुन्चे मुद्यात अंजारी ---मान, ३१५ (क) ।। अँडखें-संझा पुं० दे० 'अट व 1०--कुन कुरम मेंस अकार अंड३ वदना । चद्रिा । चंद्रमा को प्रकाश ।। | वेट नौ निरंजन बन रह्यो --एन०, पृ० ११ अँजोरीG ---दिः झी० इजियाली ! उजेली । प्रकाशमय । उज्ज्वल ।। अॅडदार--वि० [हिं० अड़ना+दार (प्रत्य॰)] रुकनेवाला 1 अडन वाला । दc-- ज्या मृतग अँड़दार को लिये जान गंडदार ।-- देदीप्यमनि। उ०—(क) अंजोरी त ने दो ( शब्द॰) । मति० ग्र०, १० ३१२। । (छ) पवित्र पान्थ लिखी तो नारी । चाँद बुरुज बना होइ इस हाई अँडरना--क्रि० अ० [देश॰] धन के पौधे को इस अवस्था में - अंजोर।।---जायसी ( अब्द०)। | पहुंचना जव वाल निकलने पर हो । रेंहना। गरमाना । जग्ना--ऋि० १० १० 'अहोरना। ३०-- याम को बुधि अॅइलाना-%ि० अ० [हिं० अना] इठ-नाना । खी दिखाना। चतुई लीन्ही नवे अँजरी !--[२०, १०1१२४३।। अॅडवाई-सा ० | हि० अंड या अंदा+वाई (प्रत्य॰)] मुगी अँटी--बुझा पी० [हिं० ट] नागडाँट । दृढ़ जिद । ६०--- या दोई अन्य विडियो जो अड़ा देनेवालो हो । निकले म्यान मुदन भरे हैं इनि अॅट करि पहिचान ।--सूर०, अँड़ाना–क्रि० स० दे० 'अड़ाना' । ०--माया जाल में बाँधि १२४३। मॅड़ाया गया जाने नर अघी मलूक०, पृ० २० । व लगि तेल दिया में वार्ताला। न जिन्हें तेली लोग के निसि अँठई के समय वैन की अ