पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/१०२

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

अवौकस्। ४१ अंविकालय । अवौकस--संज्ञा पुं० [सं० अम्बरीक ] दे० 'अवरौक [को० ]। अवावन--सञ्ज्ञा पुं० [सं० अंबा- वन 1 इलावृत खड का एक स्थाने अवल----सुझा पुं० [सं० अम्ल, हि० अबल ] १ मादक पदार्थ । अमल। जहाँ जाने से पुरुप स्त्री हो जाता था। उ०--पुनि सुद्युम्न २ खुट्टा रस । प्रवल । वसिष्ठ सौ कह्यौ । श्रुवावन मैं तिय है गयौ ।-सूर०, ६॥२॥ अबला---सा जी० दे० 'अवला' । उ०---सोझ समय राई वोलसी । अवायु--सज्ञा स्त्री० [स० अम्नायु] १ माता । जननी । २ भद्र या शिष्ट हंसि हँसि वोल (ई) अबला मूछ ।--वी० रासो०, पृ० १६। महिला [को० । । अवली)---सच्चा स्त्री० दे० 'अमल'.-२ । उ०--'आब अंवली रे अवार---सुधा पुं० [ फा० 1 ढेर । समुहू। राशि । अदाला । अवली, बबूर चढी नग बेली रे |---कवीर ग्र०, पृ० ११२ । उ०--रीढ़ वकिम किए निश्चल किंतु लोलुप खडा वन्य विलार, अवष्ठ--सस) पुं० [सं० अम्बष्ठ ] [स्त्री० अम्वष्ठा ]१ एक देश का नाम पीछे, गौयठो के गद्यमय अवार |---इत्यलम् । पजाब के मध्य भाग का पुराना नाम । २ अवष्ठ देश में बसने अवारखाना---सझा पुं० [फा०1 गोदाम। भहार । कबाड़खाना वाला मनुष्य । ३ ब्राह्मण पुरुष और वैश्य स्त्री से उत्पन्न एक । । [को०]। जाति । इस जाति के लोग चिकित्सक होते थे । ४., महावत । अवारी-सद्मा जी० [अ० अमारी 1१. हाथी के पीठ पर रखने का हाथीवान । फीलवान ! हस्तिप । ५ कायस्थो का एक भेद । हौदा । २ ( ऊँट के पीठ का ) मोहमिल जिसके ऊपर एक अबष्ठकी--सबा सी० [सं० अम्वष्ठकी ] दे० 'अवष्ठा' । छज्जेदार मंडप बना रहता है। उ०---कुदन नगन जटित अवष्ठा--सझा बी० [सं० अम्बष्ठा ] १ अचङ जाति को स्त्री । २. एके प्रबारिय |-- रा०, प० ११२ । ३ छज्जा । मइप ।। लता का नाम । पाढा । ब्राह्मणी लता । ३ जूही (को०) ।। अवारी’--सा स्त्री० पटमन । ( दक्षिण) । ४. अवाडा ( को० ) 1 ५ चूक (को०) । । अवालय---सज्ञा पुं॰ [स० अम्वालय ] अवाला शहर । उ०---सौ रूपअवष्ठिका--सा स्त्री० [सं० अम्बष्ठिका | ब्राह्मी लता [को० ] ।। मुरारीदास अवालय में एक खत्री के जन्मे |--दो सौ बावन०, अवहर--सबा पुं० [सं० अम्वर, डि० अदहर 1 मेघ वादल । भा० १, पृ० १४१ । उ०-चातक रटै वेला कि चचल । हरि सिणगारै अवहर। अवाला सच्चा स्त्री॰ [ स० अम्बाला ] माता [को०]। वेलि०, ६० १६४ ।। अवालिका--सच्चा स्त्री॰ [ स० अम्बालिका ] १ माता। माँ । जननी । अवा--स। मी० [सं० अम्वा १ माता । जननी । माँ । अम्मा। २. अबष्ठा लता। पाढी । पाठा । ३ काशी के राजा इद्रद्युम्न उ०--ज़ सिय भवन रहइ क्ह अवा। मोहि व हूँ होइ बहूत | की तीन कन्यायो मे सबसे छोटी ।। अवलवा |--मानस, १६० | २. गौरी । पार्वती । देवी । विशेष--इसे भीष्म अपने भाई विचित्रवीर्य के लिये हरण कर लाए दुर्गा । ३ अवष्ठा । पाढा ।४ कोशी के राजा इद्रद्युम्न की तीन थे । विचित्रवीर्य के मरने पर जब व्यास जी ने इससे नियोग वन्यायो में सवने वही कन्या । कियो तव पाडु उत्पन्न हुए। विशेष-- काशिराज की तीन व न्याओ को भीष्म पितामह अपने भाई विFि वीर्य के लिये हरण कर लाए थे। अब। राजा शाल्व अवाली--सझा स्त्री० [ स० अम्वाली ] माता [को०] । अविका-सा स्त्री० [सं० अम्बिका ] १ माता । माँ । उ०—–अविका के साथ विवाह करना चाहत थी । इससे भीष्म ने उसे शाल्व के पास भिजवा दिया । पर राजा शल्व ने उसे ग्रहण न किया माता को कहिये, धाकर नीच याह्मन को कहिये ताते विरुद्ध मतिकृत भयो ।---भिखारी ०, भा० २ पृ० २२५) २ और वह हताश होकर भीष्म से चदला लेने के लिये तप करने दुग। भगवती । देवी । पार्वती । उ०-- बासी नरनारि ईस लगी । शिव जी इसपर प्रसन्न हुए थे र उसे वर दिया कि तू अविका सरूप हैं --तुलसी ग्र०, पृ० २४१ । ३ जैनो की एक दूसरे जन्म में बदला लेगी । यही दूसरे जन्म मे शिखडी हुई देवी । ४ कुटकी का पेह ! ५ अवष्ठा लता। पाढा । ६. जिसके कारण भी प्म मारे गए ।। काशी के राजा इद्रद्युम्न की तीन कन्याओं में मंझली । ५ ससुर खदेरी नदी । विशप--यह नदी फतेहपुर के पास निकलकर प्रयोग से थोड़ी दूर विशेष-भीम अपने भाई विचित्रवीर्य के लिये इन कन्या को पर यमुना में मिली है। ऐसी कथा है कि यह वही कापिराज। हर लाए थे। विचित्रवीर्य के मरने पर जव व्यास जी ने इससे नियोग किया तव धृतराष्ट्र उत्पन्न हुए। की बडी कन्या अवा है, जो गगा के शाप से नदी होकर भागी थी। अविकापति--सझी पु० [सं० अम्बिकापति ] शिव [को॰] । अवा'५ -- सवा पुं० [सं० घाम्र, प्रा० अब 1 शाम । रसाल । उ० । अविकापुत्र- सच्चा पुं० [स० अस्विकीपुत्र ] काशिराज की मझली कन्या मारू अवा मउर जिम, कर लगइ कुमलाइ ।–ढोला, अविका के पुत्र धृतराष्ट्र [को॰] । अबकाबन--सज्ञा पुं० [ स० अम्बिकावन] १ इलावृत खड में एक यौs---अवाफोर= तीख' अर लगातार चलनेवाली हवा जिससे पुराणप्रसिद्ध स्थान जहाँ जाने से पुरुष स्त्री हो जाते थे। उ०—एक दिवस सो प्रबेटक गयौ । जाइ अविकावन तिय पेडो से आम के फल गिर जायें (बल० ) । अवाडा--सन्न ली० { सं० अम्बाडा ] माता । जननी [ को० ] भय |--सूर०, १।२ । २ यूज के अनर्गत एक वन ।। अवापोली-- सच्चा श्री० [सं० यौ० आम्र + पोलि>प्रा० अबा + पोली= अविकालय--सद्या ३० [सं० अम्बिकालय 1 देवी का मंदिर। उ०-- रोटी, पोतला ] अमावट । अमरस । पूजा मिसि अनिसि पुरखोतम अधिकालय नगर अारात ।--- बेलि०, ६० ६६। ।।