पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/५७७

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लौहभांड ४३४४ ल्दीक लौहभाठ-सञ्ज्ञा पुं॰ [ स० लौहभाण्ड ] लोहे का पाय (को॰] । रंग के होते हैं । २ गह्मपुत्र नद । ३ एक पर्यत का नाम । लौहभू-राज्ञा पुं० [सं०] दे० 'लौहारमा' (को०] । ४. एक तीर्थ का नाम । ५ लाल नागर । ६ लालिमा। ललाई लाती (फो०)। लौहमल-सज्ञा पुं० [सं०] दे० 'लोहज' । लोही -तथा सी० [म०] लोहाय । पडाही त्रादि [को॰] । लौहशंफु-सधा पुं० [सं० लोहाड कु ] लोहे का भाला [को॰] । लोहेप्ट-वि० [२०] तोहे या अन्य किमी धातु से बने हुए वम लौहशास्त्र -संज्ञा पुं० [सं०] धातुविद्या । धातुविज्ञान [को०] । युक्त रथ [का०] लौहसार -सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] एक प्रकार का लवण जो लोहे से बनाया ल्याना-फ्रि० म० [हिं० ले+गाना ] १ १० लाना' | 30- जाता है। यह रासायनिक परिक्रिया द्वारा बनता है और (क) ल्याई लान बिलोकिए जिय की जीवन मूलि । रही भौन प्रौपधो मे काम पाता है। के यौन मे नोनजुही मी फूति -विहारी (शब्द०)। (स) लौहा-सधा पुं० [सं० लौह ] दे० 'लोहा' । काहे ने ल्याई फिरि मोहन बिहारी जू को, फैमे वाही ल्यावो, लोहाचार्य-मज्ञा पुं॰ [सं०] धातुप्रो के तत्व को जाननेवाला प्राचार्य । जमे वाको मन ल्याई है ।-पसागर (द०)। (ग, विप्र वह जो धातुविद्या का अच्छा ज्ञाता हो । धातुविद्याविद् । वचन सुने मती गुमानिनि चली जानकिहिं ल्याई। पर निर्गम जयमान मेलि उर परि रही नकुचाई । तुलसी लोहात्मा-सञ्ज्ञा पुं० [सं० लोहात्मन् ] लोहे का पात्र । कहाही। (शब्द०)। केतली किो०)। ल्यारी-मया पुं० [देश] भेडिया। उ०-श्रीकृष्णचन्द्र ने मुसकरा मौहायस-वि० [सं०] लोहे या तांवे का बना हुआ । के कहा-बहुत अच्छा, तू वन भेटिया और मब माल चाल लौहासव-सचा पुं० [सं०] एक प्रकार का पासव जो लोहे के योग होवे मेढा । सो सुनते ही व्योमामुर तो फूलवार त्यारी हुप्रा से बनाया जाता । (वैद्यक)। और ग्वाल बाल सब बन मेढे ।-लन्लू (शब्द०) । लौहि-स -सक्षा पुं० [सं०] हरिवश के अनुसार अष्टक के एक पुत्र का ल्यावना-फ्रि० म० [हिं० लाना ] दे० 'लाना' । उ०-पितहि नाम । भू ल्यावते, जगत यज्ञ पावते । -केणव (शब्द०)। लोहित-सा पुं० [सं०] महादेव का त्रिशूल । ल्यौपु-हा सी० [हिं० लो] ध्यान । ली। लौहिता-सच्चा पुं० [हिं० लोहा ] वैश्यो की एक जाति जो लोहे ल्वाव-मजा पुं० [अ० लुगार | दे० 'लुगाय' । का व्यापार करती है । लोहिया । ल्वारिgi-सशस्वी० [हिं० गुमार ] दे० 'नूह' । लौहितायन-सञ्ज्ञा पुं० [मं०] एक गोत्र का नाम । ल्वीन वि० [म०] गत । गया हुग्रा [को॰] । लोहिताश्व-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] लोहिताश्व । अग्नि [को॰] । ल्हाग्या 1-सज्ञा पु० [हिं० लम ] दे० 'नामा' । लौहितिक-वि० [सं०] लालिमायुक्त । ललीहा [को॰] । ल्हासा-सण ० तिञ्चत को राजधानी जिस लामा भी कहते हैं। लौहित्य-सचा पुं० [सं०] १ एक प्रकार का धान जिसके चावल लाल ल्हीक-सशा सी० [हिं० लीस ] १ जू। २ दे० 'लीख' ।