BO DO म० do मार्ग (को०] । लोकविसर्ग ४३२१ लोकापवाद लोकविसर्ग-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १. प्रलय । विश्व की समाप्ति । २ लोकहित' -संज्ञा पुं० [स०] सबकी भलाई । सार्वजनिक कुशल [को०] । विश्व का उद्भव । ससार को उत्पत्ति [को०] । लोकहित-वि० [ स० ] सर्वजनहितकारी । सर्वोपकारक (को०] । लोकवृत्त सञ्ज्ञा पु० [स०] लोकव्यापार । लोक मे प्रचलित प्रथा (को०]। लोकातर-सज्ञा पुं० [ स० लोकान्तर ] वह लोक जहाँ मरने पर जीव लोकवृत्तांत-सज्ञा पुं० [ स० लोकवृत्तान्त ] १ ससार का तौर जाता है। अन्य लोक। तरीका । लोकाचार । प्रचलन । २ घटनाक्रम (को०] । यौ०-लोकातरगमन = अन्य लोक मे गमन । स्वर्गवास । लोकव्यवहार--सज्ञा पुं० [ ] दे० 'लोकवृत्तात (को०] । लोकातरिक-वि० [स० लोकान्तरिक जो लोको के मध्य स्थित हो। लोकव्रत ~ सज्ञा पुं॰ [ स० ] ससार का सामान्य व्यापार को०] । लोकातरित-वि० [ स० लोकातरित ] १ जो इस लोक से दूसरे लोक लोकश्रुति-सज्ञा स्त्री॰ [ स०] १ जनश्रुति । अफवाह । २ लोक- मे चला गया हो । २ मग हुआ । मृत । स्वर्गीय । प्रसिद्धि [को०] 1 लौकाकाश-सज्ञा पु० [ लोकसकरता-सचा स्त्री॰ [ स० लोकसङ्करता] समाज मे सकरता ] विश्व जिसमे सब प्रकार के जीव और तत्व रहते है । (जैन)। या मिश्रण । ससार म घालमेल या अस्तव्यस्तता [को०] । ] आकाशदिक् । दिशा । शन्य (को॰] । लोकसग्रह-सज्ञा पुं० [ स० लोकमा ग्रह ] १ ससार के लोगो को लोकाक्ष - सज्ञा पुं० [ प्रसन्न करना । २ ससार का कल्याण या सवको भलाई चाहना । लोकाचार-सञ्ज्ञा पुं॰ [ ] ससार में बरता जानेवाला व्यवहार । लोकसग्रही-वि० [ स० लोकसङ्ग्रहिन् । लोककल्याण की कामना लोकव्यवहार। करनेवाला। लोकाट- सञ्चा पु० [ चीनी लु + क्यू ] एक पोवा जिसका फल खाया लोकसंपन्न - वि० [सं० लोकसम्पन्न ] लौकिक ज्ञान से युक्त (को॰] । जाता है । लकुच । लुकाट । लोकसबाध-सज्ञा पु० [सं० लोकसम्वाध ] मनुष्यो का आवागमन । विशेष - इस पौधे की पत्तियां लबी और नुकोली, तेंदू की पत्तियो भीडभाड [को०)। के आकार को, पर उससे कुछ बडी होती है। इसका पेड बीम लोकसमृति-सञ्ज्ञा स्त्री० [ स. ] १ भाग्य । विधियोग । २ ससार पचीस हाथ से अधिक ऊंचा नहीं होता। इसके पेड मे फागुन चैत के महीने में मजरियां लगती हैं और बडे वेर के बराबर लोकसाक्षिक -वि० [स० ] १ ससार को साक्षी माननेवाला । ससार फल लगते हैं, जो पकने पर पीले होते है और खाने में प्राय के समक्ष । अगोपनीय । २. साक्षी द्वारा प्रमाणित को०] । मीठे, गुदार और स्वादिष्ट होते हैं । सहारनपुर मे लोकाट बहुत अच्छा और मीठा उत्पन्न होता है । यह फल चीन और जापान लोकसादी-सच्चा पुं० [स० लोकसाक्षिन् ] १ ब्राह्मण । २. अग्नि [को॰] । देश का है और वही से भारतवर्ष मे पाया है। लोकसाधक- वि० [ स० ] लोको का बनानेवाला [को०] । लोकसाधारण वि० [ लोकातिग-वि० [स० ] असाधारण । लोकोत्तर [को०] । ] सर्वसामान्य (विषय) [को०] | लोकसारग-सञ्ज्ञा पु० [स० लोसार ग] विष्णु का एक नाम [को॰] । लोकातिशय-वि० [ स०] लोकोत्कृष्ट । असामान्य (को०] । लोकात्मा -सज्ञा पुं० [ स० लोकात्मन् विश्व का प्रात्मा [को०] । लोकसिद्ध-वि० [ ] १ लोकप्रचलित । सामान्य । प्रथानुसारी। लोकादि-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ विश्व का प्रारभ । २ विश्व का २ सामान्यत स्वीकृत [को०] | लोकसीमातिवर्ती-वि० [स० लोकसीमातिवतिन् ] असाधारण । स्रष्टा । विधाता (को०] । असामान्य । लोकोत्तर [को०) । लोकाधिक-वि० [सं० ] दे॰ 'लोकातिग' को०] । लोकसुदर'-वि० [ स० लोकसुन्दर ] सर्वानुमोदित । लोकप्रशसित । लोकाधिप-सज्ञा पु० [सं०] १ लोकपाल । २ बुद्ध । ३ राजा (को॰) । लोकसुदर-सञ्ज्ञा पुं० बुद्ध का एक नाम (को०] । लोकाना-क्रि० स० [हिं० लोकना का प्रेर० रूप ] अयर मे फेंकना । उछालना। लोकसेवक-सञ्ज्ञा पुं० [सं० लोक + सेवक ] समाज या लोक की सेवा करनेवाला। जनता का सेवक । लोकानुप्रह-सञ्ज्ञा पुं० [ सं० ] लोक या जगत् का कल्याण । लोक- लोकस्थल-सचा पुं० [स० ] सामान्य घटना [को॰] । सपन्नता [को०)। लोकस्थिति 1-सञ्ज्ञा ली० [सं०] १ ब्रह्माह का नियमन या अवस्थिति । लोकानुभावी-वि० [ स० लोकानुभाविन् ] १ विश्व को पराभूत २ लोकसमत विधिविधान (को०] । करनेवाला । विश्वव्यापी । जैसे, प्रकाश (को०] | लोकहाँदी 1-सञ्ज्ञा स्त्री० [हिं० लोक + हल्दी ] एक प्रकार की हल्दी। लोकानुराग-सज्ञा पु० [ स० ] मानवप्रेम । विश्वप्रमे । उदारता । लोकहार-वि० [ सं० लोक + हरण लोक को हरण करनेवाला। दानशीलता [को०] । ससार को नष्ट करनेवाला । उ०—वियोग सीय को न, काल लोकानुवृत्त-सज्ञा पुं० [स० ] लोकसेवा को भावना । लोकसेवा- लोकहार जानिए ।-केशव (शब्द०)। भाव (को०)। लोकहास्य-वि० [सं०] जगहंसाई का पात्र (को०] | लोकापवाद-सशा पुं० स० ] बदनामी । अपयश [को॰] । स० स०
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/५६२
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