पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/५२५

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लाल ४२८६ लाल दाना जीत जाना। ले लिए। ३. (चौमर के सेन मे गोटी) जो चारो पोर गे घूमकर बिलकुल विशेप-जान चार में छोटा होगा: यार वीच के साने मे पहुंच गई हो, और जिगो लिये फाई पाल प्रांत तया अकाट माया पाया जाना। दोकार वाकी न रह गई हो। " (चौरार के रोग मे सिलादी) जिसकी की नगी गरेर और रगीली का गाना जिजार सब गोटियां वीच के घर मे पहुच गई हो और जिगे कोई गाल तोगी है। गे विमने लार ग गौर भी नाय चलना बाकी न रह गया हो। (ऐसा सिलासी जीता हुना निकली। यानी चपाती गर' 7 पर गाया गाना समझा जाता है।) ५ जो सेल मे औरा गे पहले जीत है। विगैरदे० 'वन'। गया हो (खेलाडी)। लालच-सक्षा पु० [H० साला ] [[10 सालो को Tri, मुहा०-लाल होना = (१) बहुत अधिक रापत्ति पार गपर विशेषत पाभादि प्राकानीप्रति औरती होना। निहाल होना। जैसे, उम मातन में गदा हुया पागना जी पीर गी || नाराया खजाना पाकर वह ताल हो गया । (२) चौसर प्रादि के पेत म gri ai? 5311117111 7137TT I **,- TT मे ना ज्यारा वाला पाना नती। लाल-सज्ञा पुं० १ एक प्रसिद्ध छोटो चिडिया। लालगुनी । रायगुनी। Flis 0-1-777---JI उ०—(क) तूती लाल कर करे सारग झगर ताने तीतर मरा- तुरमनी बटेर गह्यित हैं ।-रघुनाथ (२०)। (ग) लालग को पिंजरा कर लाल लिए प्रति गुजन कुजन मै रहे । मुहा०-नाना देना frमी मन मे जाना उपना। - जसवत (शब्द॰) । जी,-उमा लय को मिठाईमामाननर उमरगाने विशेप- इसका शरीर पुछ भूरापन लिए लाल रंग का होता है और जिसपर छोटी छोटा सफेद बुंदकियाँ पनी रहती हैं। यह लाल चकवी- पुं० [ M० लालित TI (०) । बहुत कोमल और चचल होता है और इसकी योती बहुत लाल चहा-वि० [F TIRE (परत) जिवा पधिक प्यारी होती है । लोग इसे प्राय पालते हैं। इसकी गादा को लालपन। सानी लामा । उ०-पुरानी मोर गुने गपून 'मुनियां' कहते हैं। पिथ हात जो ज्या प्रति लाल हा 1-1 (२०)। २ चौपायो के मुंह का एक रोग । लाल अवारी-सज्ञा स्त्री० [हिं० लाल + अवारो] एक प्रकार का पटुग्रा लालचीन- 1 पुं० [हिं० ला+गौना )। जिसके वीज दवा में काम आते हैं। २ ण्टमन की जातिमा लालची-वि० [हिं० नापत + ६ (प्र.स.)। जिन या पिया ना नर एक प्रकार का पौधा जिसे पटवा भी कहते हैं। निरोप दे० है। लोभी। 'पटवा'। लाल चौता- पुं० [हिं० लार+गता ] स पूना चितगा लाल अगिन-सज्ञा पुं० [हिं० लाल+अगिन] पाय एक वालिश्त नीता।पि ३० जीता। लबा भूरे रंग का एक पवार का गित पक्षी। लाल चीनी-TITto [f TIT+नी ] 7 मारमा पार, विशेप-इस पक्षी का गला नीचे की ओर सफेद होता है। यह जिमा मारा गरी फेर और गिर पर नर पियरियाँ मध्य भारत तथा उडीगा मे अधिकता रो पाया जाता है, और होगी। घास मे प्याले के आकार का घोसना बनाकर उसमे चार लालटेन - 7 सी० [प० मिनाह गाना मादि तक अडे देता है। जिसमे तेन मा गजाता पोजनानाजी नगी-हती है। लाल पालू-सा पु० [हिं० लाल + पालू ] १. रतालू । २ अरूई । पौर जिगो गारो पोर, तेज हा गौर पानी दिवाने के लाल इलायची-सज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ लाल + इलायची ] घडी इलायचो। लिये शीगा गाशी प्रारमा सौर गोई पारी पदार्थना विशेप दे० 'इतायची'। रहता है। कोल। लालक'-सज्ञा पुं॰ [सं० ] विदूपक [को०] । विशेप-इमा व्यापार प्रकाश लिये स्थानों पर होता है, लालक-वि० [सं० ] लाट प्यार करनेवाला (को०] । जहाँ या तो प्रमाण को प्राय (T FIानी सरे ान पर ते लाल चू-सज्ञा पुं० [हिं० लाल+कच्चू ] गजकर्ण बालू । वहा । जान की अवश्यकता की गार या ऐनी जगह स्वागो रुप लाल कलमो-सशा पुं० [हिं० लाल+फलमी ] चांदनी या गुल- से रखने के लिये होता है, जरा पारा पार से हा साया चांदनी नाम का पौधा या उसका फूल । लालकीन-मप्पा पुं० [चीनी० नानकिङ्] एक प्रकार का वम । विशेष लामड़ी-मशा पुं० [हिं० नाल ( = ररत)+की (प्रत्य॰)] लान रा है.'नानकीन'। फा एक पकार पा नगीना जो पार नपा गोर बालियो पादि लाल चास-सज्ञा स्त्री० [हिं० लाल+ घास ] गोमूत्र नामक तृण । मे मोती के दोना और लगाया जाता है। लाल चदन-सज्ञा पुं॰ [ हिं• लाल = चदन] एक प्रकार का चदन । लाल दाना-सरा पुं० [हिं० लाल+ दाना लागका पोस्ते का रक्त चदन । देवी चदन । दाना । लाल ससखरा । (पूरद)। करती हो।