लतिका ४२५५ लदनार ठीक रखने के लिये उसके विपरीत भोर की कमाची मे बांधने लतिका-सञ्चा सी० [सं०] छोटी लता। बंवर । वेल । विशेष दे० 'लता'। का लत्ता या धज्जी। लतियर, लतियल-वि० [हिं० लात + इयल (प्रत्य॰)] जो सदा क्रि० प्र०-वाँधना ।—लगाना । लात खाता रहता हो । लतखोर । लथपथ-वि० [अनु०] १ जो भीगकर भारी हो गया हो। भीगा लतियाना -कि० स० [हिं० लात+याना (प्रत्य॰)] १ पैरो से हुा । तराबोर । जैसे,—(क) वह पानी मे लथपथ हो गया। दवाना यो रोदना । २ खूब लातें मारना । प्रहार करना । दड (ख) काम करते करते पसीने से लथपथ हो गए। २ (कीचड़ देना । जैसे,—इसे खूब लतियाओ, तव मानेगा। श्रादि मे ) सना हुआ । जो कीचड आदि के लगने से भारी हो गया हो । जैसे, वह कीचड़ मे फिसलकर फिर लथपथ दौड़ा । लतिहर, लतिहल-वि० [हिं० लात + इहर (प्रत्य०)। दे० 'लतियर । लथोड-सञ्ज्ञा स्त्री० [अनु० लथपथ ] १ जमीन पर पटककर इधर लतीफ-वि० [अ० लतीफ ] १. मजेदार । सुस्वादु । - जायकेदार | उधर लोटाने या घसीटने की क्रिया। चपेट । जैसे,-ऐसी २ अच्छा । वढिया। मनोहर । लथाड दी कि होश ठिकाने हो गए। २ हार । पराजय । ३ यौ०-लतीफ मिजाज = खुशदिल । डॉटहपट । झिड़की । फटकार । ४ नुकसान । हानि । लतीफा--सज्ञा पु० [अ० लतीफा ] १ हास्य रस पूर्ण छोटी कहानी। क्रि० प्र०-देना। चुटकुला । २ चुहल की वात। हंसी की वात । ३ चमत्कार- पूण बात । अनूठी वात। मुहा०-लथाड खाना = झिड़का जाना । डाँटा जाना । घुड़फी सुनना । लथाड़ पडना = डांटा जाना । झिड़की सुनाई जाना। यौ-लतीफा गो-लतीफा कहनेवाला । लतीफा वाज = विनोदी। जैले,-आज उसपर खूब लथाड़ पड़ी। चुहलभरी बातें कहनेवाला। लथाड़ना-क्रि० स० [अनु० लथाड ] १ दे० 'लथेड़ना' । २. ३० मुहा०-लतीफा छोडना या कसना = चुहल या विनोद की बातें 'लताड़ना'। कहना। लथेड़ना, लथेरनाgf-क्रि० स० [अनु० लथपथ ] १ कीचड़ आदि लत्त-सज्ञा स्त्री॰ [देशी लत्ता, लत्तिया] १. लात। २ बुरी आदत । लत । से लपेटना । कीचड आदि पोतकर भारी करना । जैसे-दुपट्टे लत्ता-सञ्ज्ञा पुं० [सं० लत्तक ] १ फटा पुराना कपडा। चीथड़ा । को क्यो कीचड़ मे लथेड़ रहे हो। २ मिट्टी, कीचद आदि २ कपडे का टुकडा । वस्त्र खड। ३ कपडा । वस्त्र । उ०- लिपटाकर गदा करना । जैसे,—कल ही कुरता पहना, आज ही तन पर लत्ता नाहिं खसम अोढाती सोई।-पलटू०, भा० २, मिट्टी में लथेड़ डाला। ३ जमीन पर पटककर इधर उधर पृ० ७६ । लोटाना या घसीटना । उ०—हरि तेहि गहि महि माहि लथेरा । यौ०-कपडा लत्ता = पहनने का वस्त्र । -गोपाल (शब्द०)। मुहा०-लत्ते लेना = ग्राडे हाथ लेना । व्यग्य द्वारा उपहास करना। सयो० क्रि०-डालना। बनाना । लत्ते उडाना = धजियाँ उडाना। बखिया उधेडना । ४ कुश्ती या लडाई मे पछाडना। पटकना । हराना । ५ श्रम से पोल खोलना। उ०-भली भांति निर्णय किया और उसके शिथिल करना । हैरनि करना । थकाना । ६ वातो या गालियो भली प्रकार लत्ते उडाए हैं। कबीर म०, पृ० ३७१ । की बौछाड से व्याकुल करना। भर्त्सना करना । झिड किया लत्तिका-सज्ञा स्त्री॰ [ सं० ] गोवा । गोह । मुनाना । भला बुग कहना । डाँटना । हपटना । लत्ती-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ देशी लत्तिया, हिं० लात 1 १ प्रहार के लिये लदन-सज्ञा स्त्री० [हिं० लदना ] लदाव । उठाया या चलाया हुआ घोडे, गदहे आदि का पैर। पशुओ का लदना-वि॰ [हिं० ] लदी वस्तु को ढोनेवाला । वोझा ढोनेवाला । पादप्रहार । लात। लात मारने की क्रिया। उ०-कोक लरत लत्ती चलादत कोउ काई मारतो।-प्रेमघन०, भा० १, लदना--क्रि० अ० [अनुकरणात्मक देश० ] भाराक्रात होना । भारयुक्त पृ० ११३। होना। वोझ ऊपर लेना। वोझ से भरना। ऊपर पड़ी हुई क्रि० प्र०-चलाना ।-फटकारना ।-मारना । वस्तुप्रो के ढेर से भरना । जैसे,—(क) मेज कितावो से लदी यो०- दुलत्ती = घोडे, गवे आदि जानवरो का अपने पिछले दोनो हुई है । (ख) गाडी असबाव से लदी हुई प्रा रही है। पैरो से किसी पर प्रहार करना। सयो० कि०-जाना। लत्ती २- सशा पु० [हिं० लत्ता ] १, कपडे की लवी धजी। २ बाँस २ किसी वस्तु का किसी वस्तु के समूह से ऊपर ऊपर भर जाना । मे बंधी हुई कपडे की धजी जिसे ऊंचा करके कबूतर उडाते है। आच्छादित होना । पूर्ण होना । जैसे,—(क) यह पेड फलो या २ पतग की दुम अर्थात् नीचे वधी हुई कपडे की लवी धजी। फूलो से लदा है । (ख) वह स्त्री गहलो से लदी है। ३ सामान पुछिल्ला । ३. किसी पोर झुकती या कन्नी खाती हुई पतग को ढानेवाली सवारी (जैन, गाड़ी, घोड़ा, वैल, उट) का वस्तुप्रो ८-६१ लव । 1
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/४९४
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