पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/४७७

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लगाना ४२३८ लगार मुहा०—किमी को लगाकर कुछ कहना या गाली देना = बीच में किसी का सवच स्थापित करके किमी प्रकार का आरोप करना । २० प्रज्वलित करना । जलाना। जैसे,--कडाही के नीचे आंच लगा दो। उ०-मेगा प्रभु करौ नेक रहीं पात्र घरी जाइ कहो तुम वठा कही आग सी लगाई है। -प्रियादास (शब्द॰) । २१ ठाक स्थान पर बैठाना । जडना । जैसे,-घही में सूई लग,ना, चौखटे मे शीशा लगाना । २२ गणित करना। हिसाव करना । जैसे,—व्याज लगाना, जोड लगाना। २३ किसी के पीछे या साथ नियुक्त करना । शामिल करना । जैसे,—तुम भी उनके पीछे अपना दूत लगा दो। २४ किसी प्रकार साय मे मबद्ध करना । जैसे,-तुमने यह अच्छी वला मेरे पीछे लगा दी। २५ किसी के मन मे दूसरे के प्रति दुर्भाव उत्पन्न करना । कान भरना । चुगली खाना । जैसे,—(क) किसी ने उन्हें मेरी तरफ से कुछ लगा दिया है । (ख) तुम तो यों ही इघर की उधर लगाया करते हो। यौ० o-लगाना वृझाना = लडाई झगडा कराना। दो आदमियो मे वैमनस्य उत्पन्न करना। २६ अपने साथ या पीछे ले चलना । जैसे,—वह बहुतो को अपने साथ लगाए फिरता है । २७ किसी कार्य मे प्रवृत्त या तत्पर करना । नियुक्त करना । जैसे,—(क) लडके को किसी रोजगार मे लगा दो। (ख) जो काम किया करो, वह मन लगाकर किया करो । उ०—जिनको चारिहु द्वारन प्रथम लगायो राम ।- रघुराज (शब्द०)। २८ गौ, भैस, वकरी आदि दूध देनेवाले पशुप्रो को दूहना । जैसे,—वह गौ लगाने गया है । २६ गाडना । धंसाना । ठोकना । जडना । जैसे,—दीवार मे कील लगाना । ३० समीप पहुंचाना। पास ले जाना। सटाना। जैसे—वह दरवाजे के पास कान लगाकर सुनने लगा। ३१ स्पर्श कराना । छुयाना । जैसे,—उसने तुरत गिलास उठाकर मुंह मे लगाया । ३२ बद करना । जैसे,—दरवाजा लगाना, कुरते की घुडी लगाना, ताना लगाना । ३३ जूए की बाजी पर रखना । दाँव पर रखना । जैसे,—(क) उसने अपके पास के सब रुपए दांव पर लगा दिए । (ख) मैं तुमसे बाजी नहीं लगाता । उ०-देश कोश नृप सकल लगाई। जीति लेब सब रहि नहिं जाई ।-सवल (शब्द०)। ३४ किसी विषय मे अपने आपको बहुत दक्ष या श्रेष्ठ समझना। किमी बात का अभिमान करना । जैमे,- वह गाने मे अपने श्रापको बहुत लगाता है । ३५ अग पर पहनना, प्रोढना या रखना । धारण करना । जने,-चश्मा ल्गाना, छाता लगाना । ३६ वदले में लेना । मुजरा करना । जैसे,—यह अंगूठो तो हमने अपने लहने में लगा ली । ३७ प्रकित करना। चिह्नित करना। जैसे,- तिलक लगाना, निशान लगाना, मोहर लगाना। ३८ घारदार चीज की धार तेज करना । सान पर चढ़ाना । जैसे,—खुरपा लगाना, कैची लगाना । ३६ खरीदने के समय चीज का मूल्य कहना । दाम आँकना । जैसे,—मैंने उनके मकान का दाम ५,०००) लगा दिया है । ४० किसी चीज का, विशेषत, खाने की चीज का अभ्यस्त करना । परचाना, माधना । जैसे,—लडके को दाल रोटी पर लगा लो, दूध कहाँ तक दिया करोगे । ४१ नियत स्थान या कार्य पर पहुंचाना । जैसे, पारमल लगाना, मनीग्राईर लगाना। ४२ फैलाना । विछाना । जैसे,—बिछौना लगाना , जाल लगाना । ४३ सभोग करना। मथुन करना। प्रसग करना। (बाजारू)। ४४ करना । जैसे,— (क) आपने वहाँ बहुत दिन लगा दिए । (ख) यहाँ कपडो का ढर मत लगाना । उ०-धब जनि देर लगावहु स्वामी। देखि प्रीति बोले ऋपि ज्ञानी । -विश्राम (गन्द०)। ४५ जहाज को छिछला या किनारे की जमीन पर चढाना । (लश )। ४६ एक जहाज को दूसरे जहाज के सामने या वराबर ले जाना। (लश०) । ४७ पाल खींचकर चढ़ाना । (लश०) । विशेष—(क) भिन्न भिन्न शब्दो के साथ इस क्रिया के भिन्न भिन्न अर्थ होने हैं। जैसे,-दांत लगाना, समाधि लगाना, कान लगाना, दम लगाना आदि । इस प्रकार के बहुत से अर्थों में से अधिकाश की गणना मुहावरो में होनी चाहिए । (ख) इस क्रिया के अलग अलग प्रर्यो मे छोडना, डालना, देना, रखना आदि अलग अलग संयोजक क्रिपाएं लगती हैं । लगाम-सज्ञा स्त्री॰ [फा०] १ लोहे का वह काटेदार ढाँचा जो घोडे के मुंह के अदर रखा जाता है और जिसके दोनो ओर रस्सा या चमहे का तस्मा आदि बंधा रहता है । दतालिका । कविका । क्रि० प्र०-उतारना ।-चढाना ।—लगाना । मुहाः-लगाम चढाना या देना = (१) किसी को कोई कार्य करने से, विशेषत बोलने से रोकना । (२) लंगोट कसना । (बाजारू) । २. इस ढांचे के दोनो ओर बंधा हुमा रम्सा का तस्मा जो सवार या हॉकनेवाले के हाथ मे रहता है। सवार या हाँकनेवाला इसी रस्मे या तस्मे को सहायता से घोडे का चलाता, सकता, इधर उधर मोडता और अपने वश मे रखता है । रास । बाग। मुहा.-लगाम लिए फिरना = किसी को पकड़ने, बावने या वश मे करने के लिये उसका पीछा करना । वरावर ढूढते फिरना । लगामी-सज्ञा स्त्री॰ [फा० लगाम ] लगाम । गस । उ०-हाथि लगामी ताजणी, पारकइ सेवइ राजदुवार -बी० रासो, पृ० ६६ । लगाय-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [हिं० लगाव] प्रेम सबध । लगन । लगायत-प्रव्य० [अ० लगायत ] १ लेकर । शुरू कर । २ अत तक । लगार-सक्षा स्त्री० [हिं० लगना+पार (प्रत्य॰)] १ नियमित रूप से कोई काम करने या क ई चीज देने की क्रिया या भाव । वघी। वरेज । २ लगने की क्रिया या भाव । लगाव । सबध । उ.-बार वार फन घात के विप ज्वाला की झार । सहसौ फन फन फूंकर नैक न तनहि लगार । —सूर (शब्द०)। ३ तार । कम । सिलसिला । उ०-सात दिवस नहिं मिटी लगार । बरण्यो सलिल अखोडेत चार ।-सूर० (शब्द०)। ४ लगन । प्रीति । लगावट । मुहब्बत । उ०-चकोर नरोसे चद के ताता या चमहे -