पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/४६०

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मनपाला। 1 रोला ४९१६ रोसारी रोना-समा पु० [ देश० ] जूठे बरतन मांजने का काम । चौका तान दता है। यह बाजा प्राय. देवस्थानो या राजा बाबुनो बरतन करने का काम। के द्वार पर पहर पहर पर वजाया जाता है। दमी से चौकी गेली-मजा स्त्री० [सं० रोचनी] १. चूने हलदी से बनी हुई लाल कहलाता है। वुकनी जिसका तिलक लगाते हैं । श्री। रोशन जमीर-वि० [फा० रोशन + जमीर J उज्वल विशेष-लोहे की कडाही मे चूने का पानी भरकर उममे हल्दी जिनका हृदय स्वच्छ हो । साफदिल । उ०-नव मन्दूक रोशन खटाई और सोना ग्लाने का सुहागा डालकर अाग्न पर पकाते जमीर होय पार पमारे सोवै ।-मलूड०, पृ०४। हैं। पीने सुखाकर छान लेते है । रोशनदान-सज्ञा पु० [फा०] प्रकाश पाने का छिद्र । गवाक्ष । २ एक नग । लहसुनिया । मोखा। रो-सज्ञा पुं० [हिं० रोम ] रोग । रोवा । लोम । उ०—जेहि समुद रोशनाई- सज्ञा स्त्री० [फा०] १ अक्षर लिखने का म्याही । काली । महं राणा परा। चहै जर प रो न जरा ।-जायसी प्र०, ममि । स्याही। २ प्रकाश। रोपनी । उजाला। उ०- पृ०२२४। घाट घाट वाट वाट हाट हाट दीप टाठ जागी रोशनाई जगती रोवनहार, रोवनहारा -सञ्ज्ञा पु० [ हि० रोवना+ हार = हारा के ग्राम ग्राम में । -- रघुराज (शब्द॰) । (प्रत्य॰)] १ रोनेवाला । २ किसी के मर जाने पर उसका रोशनी सचा स्रो० फा०] १ उजाता। प्रकाश । २. दीपक। शोक करनेवाला कुटु बी । 30-राम विमुख ग्रस हाल तुम्हारा चिराग । जैसे,-रोशना लामो तो नूझ । ३ दीपमाला का रहा न कुल कोउ रोवनहारा ।—तुलसी (शब्द॰) । प्रकाश । दोपका की पति का उजाला। जैन, इस सुशी मे रोवना-क्रि० अ० [प्रा० रोवण ] दे० 'सोना' । शहर भर राशनी हुई। ४ ज्ञान का प्रकाश। शिक्षा का रोवना-वि० [वि॰ स्त्री० रोवनी ] १ बढ्दुत जल्दी रोनेवाला । बहुत प्रकाश । जैसे - नई रोशनी के युवक । जल्दी बुरा माननेवाला। २. हंसी या सेल मे भी बुरा मान रोप-सज्ञा पुं० [०] [वि० रुष्ट ] १ क्रोध । कोप। गुस्मा । जानवाला। चिढनेवाला। उ-तही न पायो मुयस प्राजु २. चिढ । कुढन । ३ वैर । विरोध । द्वेष । उ०-भूलि गयो रोवना सब बोल । —विश्राम (शब्द॰) । सब सो रस रोप मिटै भव मम रनि वितो।-केशव रोवनिहारा-वि० [हिं० ] दे० 'रोवनहारा'। उ०- राम विमुख (शब्द०)। ४ लडाई को उमग । जोश । उ०-विगन जलद अस हाल तुम्हारा। रहा न कोउ कुल रोवनिहारा ।—मानस, नभ नील खडग यह रोप वढावत । -हरिश्चद्र (शब्द०)। ६।१०३ । रोपण '-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ पारा । २ कोटी । ३ असर जमीन । रोवनी धोवनी-सज्ञा स्त्री० [हिं० रोवना धोना ] रोनी धोनी । रापण ----वि० [ वि० सी० रोपणी ] क्रोध करनेवाला । छ । रोन धोने की वृत्ति । दुख या शोक की चेष्टा । मनहूसी। दे० 'रोनी घोनी' । उ०-सुख नीद कहति अाली अाइही। रोवनि रोपणता-सज्ञा स्त्री० [ स० ] क्रोध । कोप । रोपयुक्त हाना [को॰] । धावनि, अनखानि, अनरसनि डीठि मूठि निठुर नसाइहाँ । रोपान्वित-वि० [सं०] क्रुद्ध । सनि खेलनि, किलकनि अानंदनि भूपति भवन बसाइही। रोपित -वि० [ ] । नाराज । रट | तुलसी (शब्द०)। रोपी-वि० [सं० रोपिन् । रापयुक्त। प्रोधः । गुम्मावर । उ०- रोवा-सशा पुं० [हिं० रोयां ] दे० 'रोयाँ'। तापस नृपहि बहुत परितोषी । चला महाफपटी अति रापी।- रोवासा-वि० [हिं० रोयना ] [वि० सो० रोवासी ] जो रोने पर तुलसी (शब्द०)। तैयार हो । जी रो देना चाहता हो । रोस'-सज्ञा पुं॰ [स? रोप ] दे० 'प' । रोशन-वि० [फा०] १ जलता हुआ । प्रदीप्त । प्रकाशित । जैसे, - रोस-सश सी० [हिं० रोस | दे० 'रोम' । चिराग रोशन करना । २. प्रकाशमान । चमकदार । ३, प्रसिक्ष। रोसना-फ्रि० म० [हिं० रोस+ना (प्रत्य०) ] ऋद्ध होना । मशहर । जैसे, नाम रोशन होना । उ०-मुरगी को मानता है, वकारी का रामता है।-गुदर ग्र०, कि० प्र०—करना ।—होना । भा० २, पृ०४०४1 ४ प्रकट । जाहिर । जैसे,—जो बात है, वह पाप पर रोशन है। रोसनाई- मज पी० [हिं० रोशना ] ३० 'रशनाई। मुहा०—फिसी पर रोशन होना=किमी पर जाहिर होना। प्रगट होना । मालूम होना। रोसनी- सस सो० [हिं० रोशनी ] ६० मिशनी' । रोशन चौकी-सशा सी० [फा०] फूंक कर बजाने का एक वाजा। रोसा--सरा पु० [ स० राहिश ] रमा नामक गधित पान । शहनाई का बाजा । नफीरी। रोसाररा--वि० [सं० रोपालु ] प्रति स प्रोची । संयुक्त । विशेप-इसे प्राय पाच पादमी मिलकर बजाते है। एक केवल रोसारो-वि० [हिं० रोमार+६ (प्र२०)रोष मारनेवाला । स्वर भरता है, दो उसके द्वारा राग रागिनी का गान फरते है, उ०-पूर राज त चनयागंगपात प्रर्प राजारी ।- एफ नगाल या दुक्कड़ बजाता है मोर एक झांझ के द्वारा रा००१०१३ ॥ BO