पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/४५६

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म० स० स० करना। रोटीफल रोना रोटीफल-सञ्ज्ञा पु० [हिं० रोटी + फल ] १ एक फल जो खाने में रोवन-सञ्चा पु० [ स०] १. रोक । स्कावट । अवरोध । २ दमन । बहुत अच्छा होता है । २ इस फल का पेड । उ.-अति क्रोदन रन सोधन सदा अरिवल रोधन पन किए - विशेप-इसका पेढ मझोले आकार का होता है और दक्षिण मे गोपाल (णब्द०) । ३ बुध ग्रह (को॰] । मद्राम की अोर होता है । इसके पत्ते वडे वडे होते है । रोधना-क्रि० स० [ स० रोधन ] रोकना । वाधा डालना । रोठा-सज्ञा पुं० [ देश० ] बाजरे की एक जाति । रोधवक्रा, रोधवतो -सज्ञा सी० [सं०] १ तटिनी। न्त्रोतस्विना । रोड'-वि० [ ] तुष्ट । प्रोत । कृतार्थ । तोपित [को०] । नदी । २ तेज धारवाली नदी। रोड-सञ्ज्ञा पुं० पेपण । चूर्णीकरण (को०] । रोधवप्र -सज्ञा पु० [ ] दे० 'रोघवती' [को०] । रो-सज्ञा स्त्री० [अ० ] सडक । रास्ता । राजपथ । जैसे,—हेरिसन रोध्र-सञ्ज्ञा पुं० [०] १ अपराच । दोप। पाप । पातक । २ रोड । लोत्र । लोच का वृक्ष । रोडवे, रोडवेज-सशा पुं० [अ०] १ मोटर गाडियो के आवागमन की रोन पुष्प-सज्ञा पु० [ ] १ मधूक वृक्ष। महुआ का पेट | २. सरकारी व्यवस्था वा तत्र । २ शासन को ओर से यात्रियो को एक जाति का सांप (को०] । एक स्थान से दूसरे स्थान को ले जानेवाली मोटर वस गाड़ी। रोध्रपुष्पक-सज्ञा पुं० [ सं०] एक प्रकार का अगहनी धान जिमे रोड़ा '-सञ्ज्ञा पुं० [सं० लोष्ठ, प्रा० लोह ) १ ईंट या पत्थर का वडा पुष्पशूक भी कहते हैं (को०] । ढेला । वडा ककड । जैसे,—कही की ईंट, कही का रोडा। रोध्र पुप्पिणी-सञ्ज्ञा स्त्री० [ ] घातकी नाम का वृक्ष (को०] । भानमती ने कुनवा जोडा । २ (लाक्ष०) वाधा। विघ्न । रोना-क्रि० अ० [म० रोदन, प्रा० रोशन] १ पीडा । दुख या शोक रोक । ३. एक प्रकार का पजाबी घान जो विना सीचे उत्पन्न से व्याकुल होकर मुंह से विशेष प्रकार का स्वर निकालना और होता है। नेत्रो से जल छोडना। चिल्लाना और आंसू बहाना । रुदन मुहा०-रोड़ा अटकाना या डालना = विघ्न या वाधा डालना । रोडा-सञ्ज्ञा पुं० [ स० प्रारट्ट ? ] पंजाव की अरोडा नामक जाति । संयो०कि.--उठना-देना ।-पडना ।-लेना। रोद -सज्ञा पुं० [सं० रौद्र (= भय कर)] १ मुसलमान । (डि०)। मुहा०-रोना कलपना या रोना धोना= विलाप करना । रोना २. धूप। घाम। पीटना = छाती या सिर पर हाथ मारकर विलाप करना। रोदन-सज्ञा पुं० [सं०] १ विलाप करना । ऋदन करना । रोना। बहुत विलाप करना। रो बैठना = (किमी व्यक्ति या वस्तु के उ०-माता ताको रोदन देखि । दुख पायो मन माहिं लिये) शोक कर चुकना । निराश होकर रह जाना । रो रोकर = विसेखि ।—सूर (शब्द०)। (१) ज्यो त्यो करके । कठिनता से। दुख और कष्ट के माय । क्रि० प्र०—करना ।-ठानना ।- होना। प्रसन्नतापूर्वक नहीं। जैस,-उमने रो रोकर काम किया है। २ अश्रु । आँसू (को०)। (२) बहुत धीरे धीरे । बहुत रुक रुककर । जैसे,-जव रुपया रोदनिका, रोदनी-मशा म्मी० [म०] जवासा । घमामा [को०] । देना ही है, तब रो रोकर नयो देते हो । रो कर घर भरना = रोदसी-सशा लो० [०] १ द्यावाभूपि । २ स्वर्ग । ३ भूमि । उ० वहुत विलाप करना । किसी वस्तु को होना = किसी वस्तु के पूरित है भूरि धूरि रोदसिहि ग्राम पास दिसि दिसि वरपा ज्यो लिये पछताना या शोक करना । किमी वस्तु का दु ख मानना । बल निबलति है। -केशव (शब्द॰) । जैसे,-किस्मत को रोना । नाम को रोना । रपए को रोना । रोना गाना = विनती करना । दु खपूर्वक निवेदन करना । गेदा-सझा पुं० [ स० रोध ( = किनारा)] १ कमान की डोरी । धनुप गिडगिडाना । जैसे,—उसने रो गाकर जुर्माना माफ कग की पतचिका । चिल्ला । उ०-मानो अरविंद पंचद्र को चढाय दीनी मानो कमनैत बिनु रोदा की कमान हूँ।-पाकर (शब्दः । २. गितार के परदे बांधने की बारीक तांत । २ बुरा मानना । रज मानना । चिढना । जैसे, = तुम तो हंसी में रोन लगते हो। ३ दुस पारना । परनाना । जैसे,- रपया सूब रोदित-वि० [हिं० रोदन या सं० रुक्ति ] [वि० सी० शेदिता] रोती गया, अव रा रहे हैं। ४ शिकायत करना। दुम वयान फरना । हुई । उ०---कव सोई यह दृष्टि रोदिता ।-माकेत, पृ० ३४८ । दुख रोना। रोध-सञ्ज्ञा पु० [ स०] १ रोक । रुकावट । २ किनारा | तट । ३ रोना-सा पु० टु ख । रंज। सेर । शोक । जने-इसी का तो वारी। वाहा । घेरा। ४ पर्वत का निम्न भाग या अवसपियो रोना है। भूमि। गिरिनितव (को०) । ५ स्त्री की कटि । श्रोणि (को०) । मुहा०-रोना थाना = दुस होना । तरस साना । जैसे,—तुतारी स०] रोकनेवाला। अवल पर रीना पाता है। रोना पड़ना या रोना पीटना पड़ना = रोधकृत्-तज्ञा पुं० [ ] वृहत्साहिता के अनुसार माठ सवत्सरो मे से विलाप होना । शोक छाना। जैसे,-५, पर रोना पीटना पैतालीसवां सवत्सर। पट गया। 5-१६ लिया। रोधक-सज्ञा पु० [ to