पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/४५०

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HO आवर्त को०)। रेवंत ४२०९ रेशम रेवत-सज्ञा पुं० [स० ] सूर्य के पुत्र जो गुह्यको के अधिपति है और रेवना -क्रि० स० [हिं० रेना ] दे० 'रेना' । जिनकी उत्पत्ति सूर्य की बडवा रूपधारणो सज्ञा नाम की पत्नी रेवरार, -सञ्ज्ञा पु० [हिं० रेवडा ] दे० 'रेवडा' । से हुई थी। रेवरा-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [देश॰] एक प्रकार की ईख । रेवद-सज्ञा पुं० [फा०] एक पहाडी पेड जो हिमालय पर ग्यारह बारह हजार फुट की ऊंचाई पर होता है। रेवरेड सज्ञा पुं० [० ] पादारेयो को सम्मानसूचक उपाधि । जैसे,—रेवरेंड कोलमैन । विशेष-काश्मीर, नेपाल, भूटान और सिकिम के पहाडो मे यह जगली पेड पाया जाता है। इसकी उत्तम जाति तिब्बत के रेवा-सञ्ज्ञा स्त्री० [ ] १ नर्मदा नदी । २. काम को पत्नी रति । ३ नील का पौवा । ४ दुर्गा । ५ एक प्रकार का साम । दक्षिणपूर्व भागो और चीन के उत्तरपश्चिम भागो मे होती है और रेवद चीनी कहलाती है । हिंदुस्तानी रेवद वैसी अच्छी ६ एक प्रकार की मछली जो नदियो मे पाई जाती है। नहीं होती। उसमें महक भी वैसी नहीं होती जैसी कि चीनी की ७ दीपक राग को एक रागिनी । भारत का वह देशखड होती है । बाजारों मे इसकी सूखी जड और लकडी रेवद चीनी जहाँ नर्मदा नदी बहती है। रीवा राज्य । बवेलखड । के नाम से विकती है और प्रोपछि के काम मे आती है। इसमे रेवाउतन-सज्ञा पु० [ स० रेवा + उत्पन्न ] हाथी । (हिं०) । क्राइमोफानिक एसिड होता है, जिससे इसका रग पीला होता विशेप पुराने समय मे नर्मदा के किनारे हाथी बहुत पाए जाते थे। है । क्राइमोफानिक एसिड दाद की बहुत अच्छी दवा है। रेवद चीनी रेचक होती है और पेट के दर्द को दूर करती है। यह रेवेन्यू-सञ्ज्ञा पुं० [ अं० ] किसी राजा या राज्य को वार्षिक प्राय जो मालगुजारी, आबकारी इनकमटैक्प, कस्टम ड्यूटो प्रादि करो पौष्टिक भी मानी जाती है। से होती है । प्रामदे मुल्क । मालगुजारी। रेवट :-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १. शूकर । मुअर । २. वेणु। बाँस । ३ विषवैद्य। ५ दक्षिणावर्त शख । ५ ववहर। वायु को रेवेन्यू बोर्ड–पज्ञा पुं० [० ] कई बडे बडे अफसरो का वह वोर्ड या समिति जिसके अधीन किसी प्रदेश के राजस्व का प्रवध और नियत्रण हो। रेवड़-सञ्ज्ञा पुं० [-श०] भेड वकरी का झुड । लेहडा । गल्ला । रेवड़ा-सञ्चा पुं॰ [देश॰] पगी हुई चीनी या गुड लबे लवे टुकड़े रेवोल्यूशन-सञ्ज्ञा पुं० [अं० ] समाज मे ऐसा उलट फेर या परिवर्तन जिससे पुराने सस्कार, प्राचार, विचार, राजनीति, रूढियो जिनपर सफेद तिल चिपकाया रहता है । आदि का अस्तित्व न रहे । आमूल परिवर्तन । फेरफार | उलट- रेवड़ी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [देश०] पगी हुई चीनी या गुड की छोटी टिकिया फेर । क्राति । विप्लव । २ देश या राज्य की शासनप्रणाली जिसपर सफेद तिल चिपकाया रहता है। या सरकार मे आकस्मिक और भीपण परिवर्तन । प्रचलित रेवत'-सञ्ज्ञा पु० [सं०] १ जवीरी नीबू । २. पारग्वध वृक्ष । अमल शासनप्रणाली या सरकार को उलट देना । राज्यक्राति । तास । ३ एक राजा जिसकी कन्या रेवती बलराम जी को राज्यविप्लव। व्याही थी। विशेष-देवी भागवत के अनुसार यह प्रानतं का पुत्र और शांति रेवोल्यूशनरी - वि० [अ०] १ राज्य क्रातिकारो। विप्लवपथी। जैसे,-रेवोल्यूशनरी लीग । २. रेवोल्यूशन सबधी। जैसे,- का पौत्र था। ब्रह्मा के कहने से इसने अपनी कन्या रेवती रेवोल्यूशनरी साहित्य । बलराम को व्याही थी। रेशम-सशा पुं० [फा०] १ एक प्रकार का महीन चमकोला और रेवत'- सज्ञा पुं० [हिं० रय+वत (प्रत्य॰)] दे० 'रैवता' । उ० दृढ ततु या रेशा जिससे कपडे बुने जाते हैं। यह ततु कोश मे आया अवघेसर सुरणे सहोदर, भडा परसपर अक भरे । रेवत गज रहनेवाले एक प्रकार के कीडे तैयार करते है। राजा सुभट समाजा, कर रथ माजा त्यार करे ।- रघु० रू०, विशेप रेशम के कीडे पिल्लू कहलाते हैं और बहुत तरह के होने पृ०२३४ है, जैसे,-विलायती, मदरासी या कनारी, चीनी, अराकानी, रेवतक-सज्ञा पु० [ स० ] १ पारावत । परेवा । २ एक प्रकार प्रासामी, इत्यादि । चीनी, बूलू और बडे पिल्लू का रेशम सबसे का खजूर । पारेवत वृक्ष (को॰) । अच्छा होता है। ये कीडे तितली को जाति के है। इनके रेवती-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] १ सत्ताईसवाँ नक्षत्र जो ३२ तारो से कई कायाकल्प होते है। प्रडा फूटने पर ये वडे पिल्लू के मिलकर बना है और जिसका प्राकार मृदग का सा कहा गया आकार में होते है और रेंगते है। इस अवस्था मे ये पत्तियो है। इस नक्षत्र के अतगत मीन राशि पडती है । २ एक मातृका बहुत खाते हैं। शहतूत की पत्ती इनका सबसे अच्छा भाजन का नाम । ३ गाय । ४ दुर्गा । ५ एक बालग्रह जो बच्चो को है । ये पिल्लू बढकर एक प्रकार का कोश बनाकर उसके भीतर कष्ट देता है । ६. रेवत मनु की माता। ७ बलराम की पत्नी हो जाते हैं। उस समय इन्हे कोया कहते हैं। काश के भीतर जो राजा रेवत की कन्या थी। ही यह कीडा वह ततु निकालता है, जिम रेशम कहते हैं । कोश रेवतीभव-सक्षा पुं० [सं० ] शाने । के भीतर रहने की अवधि जब पूरी हा जाती है, तव कीडा रेवतीरमण-सज्ञा पुं० [सं०] १. वलराम । २ विष्णु । रेशम को काटता हुआ निकलकर उड जाता है। इससे कीड़े 1