पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/४१५

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बनते हैं। स० रासमंडली ४१७४ राहखर्च रास करनेवालो का वृत्ताकार समूह | उ०-रासमडल बने से होकर निस्ल जाना । जैसे—विल्ली रास्ता काट गई। श्याम श्यामा। नारि दुहुँ पास गिरिवर बने दुहुनि विच सहम रास्ता देखना = प्रतीक्षा करना। पासग देखना। रास्ता शशि बीस द्वादश उपमा । - सूर (शब्द०)। ३ रासधारियो पकडना = (१) मार्ग का अनलवन करना। राह से चलना । का अभिनय । ४ रासधारियो का ममाज । (२) चल देना। चले जाना । राम्ता बत ना = चलता रासमडली-सज्ञा स्त्री० [सं० रासमण्डली] रासधारियो का समाज करना । दालना । हटाना । (२) सिवाना । तरकीब बताना। या टोली। जैसे-जह तुम्हारे जसो को रास्ता बतलाता है। रास्ते पर रासयात्रा-सञ्चा स्त्री० [स०] १ पुराणानुसार एक प्रकार का उत्सव लाना = सुमार्ग पर चलाना । ठीक करना । दुरुस्त करना । जो शरत् पूर्णिमा को होता है। २ शाक्तो का एक उत्सव जो २ प्रया। रीति । चाल । जैसे-अव तो मापने यह रास्ता चला शक्ति के उद्देश्य से चंय की पूर्णिमा को होता है। ही दिया है। ३ उपाय । तरकीन । जैसे-इम विपत्ति से निकलने का भी कोई रास्ता निकालो। रोसलीला-सज्ञा स्त्री॰ [ स० ] १ वह क्रीडा या नृत्य जो श्रीकृष्ण ने गोपियो को साथ लेकर शरर्णिमा को आधी रात के समय राम्ना-मज्ञा स्त्री॰ [ स० ] १ गधनाली नामक कद । घोडरासन । किया था । २ रासघारियो का कृष्णनीला सवयी अभिनय । विशेष-यह यासाग, लका, जागा आदि मे अधिकता से होती रोसविलास-सज्ञा पुं० [ स० ] रासक्रीडा । है । वैद्यक मे यह गुरु, तिक्त, उप्ण और विष, वात, खांसी, रासबिहारी 1-सज्ञा पुं० [सं० ] श्रीकृष्णचद्र । शोथ, कप, कफ आदि की नाशक और पाचक मानी गई है। रासायन-वि० [सं० ] रसायन सबधी । रमायन का । वैद्यक मे इममे रास्ता गुग्गुल, रास्नादशमूल, रास्नादिक्वाथ, रास्नादिलोह, रास्नापचक, रास्नामप्नक आदि अनेक प्रोपय रासायनिक-वि० [सं०] १ रसायन शास्त्र सवधी । २ रसायन शास्त्र का ज्ञाता। २ एलापों नाम को श्रोपवि । ३ रुद्र की प्रधान पत्नी का नाम । रसिायनिकशाला-सहा स्त्री॰ [ ] वह स्थान जहाँ रसायन शास्त्र ४ रस्मी । रज्जु (को०) । ५ करथनी । मेखला (को०) । संबधी परीक्षाएं या प्रयोग होते हो। रास्निका-सशा स्त्री० [सं०] रास्ता । रासि-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ सं० राशि ] दे० 'राशि' । रास्य-सज्ञा पुं० [सं० ] प्राचीन काल का एक पाय जिसमे यज्ञ के रासी-सज्ञा स्त्री॰ [ देश०] १ तीसरी बार खीची हुई शराब जो समय घी रखकर दान किया जाता था। सबसे निकृष्ट समझी जाती है । २ सज्जी। रोस्य-वरा पुं० [सं० ] श्रीकृष्ण। रासी-वि० नकली या खराव । जैसे,—रासी तार । राह -सज्ञा पुं॰ [ स० राहु ] दे॰ 'गहु' । उ० ~प्राव चाँद पुनि रासी-सज्ञा स्त्री० [सं० राशि ] दे० 'राशि' । राह गिरामा। वह विन राह नदा परकासा । —जायसी रासु-वि० [फा० रास्त ] १ साधा । सरल । २ ठीक । उ० ( 7670 ) भूले तै कर तार के रागु न पा रासु । यहै ममुझ के राख राह -सज्ञा स्त्री॰ [फा०] १ मार्ग । पथ । रास्ता । तूं मन करतारै पासु ।- रसनिधि (शब्द०)। मुहा०-राह देखना या ताकना = प्रतीक्षा करना । पामरा देखना। रासेरस-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ गोष्ठी। रासक्रीडा । ३ शृ गार । डाका पडना। लूट पडना । वाट पडना । उ०-कह पदमाकर ४ उत्सव । ५ हंसी मजाक । ठठ्ठा । चुड्न । त्यो रोगन की राह परी दुखन मे गाह प्राते गाज का ।- रासेश्वरी-सञ्ज्ञा स्त्री० [ ] राधा। पद्माकर (शब्द॰) । (२) रास्ते से पाना। रास्ते पर जाना । रासो- सज्ञा पुं० [ म० रासक या रासक रहस्य था राजयश, हिं० राह लगना = (१) रास्ते मे जाना । (२) अपना काम देखना । रायसा ] किसी राजा का पद्यमय जीवनचरित्र, विशेषत वह अपने काम से काम रखना । (अन्य मुहा० के लिये दे० 'रास्ता' के जीवन चरित्र जिसमे उसके युद्धो और वीरता आदि का वर्णन मुहा०)। २ प्रथा। रीति । चान। ३ नियम। कायदा। ४ कोहू हो । जैसे-पृथ्वीराज रासो, खुमान रासो, हम्मीर रासो। स्ति-वि० [फा०] १ सीधा । सरल । नेक । २ सही। दुरुस्त । यो०-राह खर्च । राहगीर । रहजन । राहदार = चौकीदार । ठीक । ३ ऊचित । वाजिब । ४ अनुकूल । मुताबिक । राहनुमा = रहनुमा । रहनुमाई । राहनुमाई । गह पर = रहबर । रास्तगो-वि० [फा०] सच बोलनेवाला । सत्यवक्ता । राहबरी = रहबरी । राहरत्म = राहरीति प्रादि । रास्तबाज-वि० [फा० रास्तबाज ] सच्चा । निष्कपट । ईमानदार । राह-सज्ञा सी० [हिं० रोहू ] दे० 'रोहू' । उ०-पान ऊपर रारतबाजी-सज्ञा स्त्री० [फा० रास्तयाजी ] सचाई। हेरे नाही । हना राह अजुन परछाही ।- जायसी (गन्द०)। ईमानदारी। राह -सज्ञा स्त्री॰ [अ०] १ हर्प । खुशी । २ मदिरा । शराव [को०] । रास्ता-सञ्ज्ञा पुं॰ [फा० रास्तह, ] १ मार्ग । राह । मग । पथ । राहखर्च [-नशा पुं० [फा० राह+खर्च] कही जाने आने के समय मुहा०-रास्ता काटना = किसी के चलने के समय उसके सामने रास्ते में होनेवाला खर्च । मार्गव्यय । स० की नाली। 1 सत्यता।